संभल में अब कैसे हैं हालात, हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में आज क्या-क्या हुआ? 5 पॉइंट में समझिए सबकुछ

Uttar Pradesh: संभल में जहां हिंसा की आग भड़की थी, वहां फिलहाल कैसे हालात है? क्या जामा मस्जिद के सर्वे का विवाद अब सुलझ जाएगा? न्यायिक आयोग के सदस्यों ने आज हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है। वहीं संभल जामा मस्जिद सर्वे मामले में एएसआई ने अदालत में जवाब दाखिल किया। आपको आज का सारा अपडेट 5 पॉइंट में समझाते हैं।

Sambhal Violence Updates

संभल में आज क्या-क्या हुआ?

Sambhal Violence Updates: उत्तर प्रदेश के संभल में अब कैसे हालात है? क्या हिंसा की आग अब ठंडी हो चुकी है, आखिर वहां किस बाद को लेकर बवाल मचा है? हिंसा की वजहों को खंगालने के लिए गठित न्यायिक आयोग की टीम इसकी पड़ताल करने आज संभल पहुंची। वहीं दूसरी ओर संभल जामा मस्जिद सर्वे मामले में एएसआई ने अदालत में जवाब दाखिल कर दिया है। आपको इस सारे मामले से जुड़े ताजा अपडेट से 5 पॉइंट में रूबरू करवाते हैं।

टीम ने मस्जिद सहित शहर के हिंसा प्रभावित इलाकों का किया दौरा

उत्तर प्रदेश के संभल में पिछले महीने शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग के दो सदस्यों ने रविवार को मस्जिद सहित शहर के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। आयोग के प्रमुख एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा और सेवानिवृत्त आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी अरविंद कुमार जैन ने कड़ी सुरक्षा के बीच मस्जिद के पास कोट गर्वी इलाके में हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। आयोग के तीसरे सदस्य पूर्व आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी अमित मोहन प्रसाद इस दौरान मौजूद नहीं थे। बाद में, मुरादाबाद के मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने कहा, "आज जांच आयोग के अध्यक्ष और एक अन्य सदस्य ने घटनास्थल का दौरा किया। उनका मुख्य उद्देश्य स्थल का निरीक्षण करना था। उन्होंने उन क्षेत्रों का दौरा किया जहां गड़बड़ी हुई थी। टीम ने घटनास्थल एवं मस्जिद की जांच की और वहां मौजूद कुछ लोगों से बात की। टीम फिर से दौरा करेगी और दौरे का पूरा कार्यक्रम घोषित किया जाएगा। वे निश्चित रूप से दोबारा आएंगे।" उन्होंने कहा, "संभल में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है और हालात पर कड़ी नजर रखी जा रही है। हालात तेजी से स्थिर हो रहे हैं। फिलहाल, जिलाधिकारी के आदेश 10 दिसंबर तक प्रभावी हैं और उसके बाद किसी पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। हम साक्ष्य एकत्र करने की प्रक्रिया में हैं और अब तक इसमें शामिल 400 व्यक्तियों की पहचान कर चुके हैं।" सिंह उस आदेश का हवाला दे रहे थे, जिसके तहत कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए हिंसा प्रभावित संभल शहर में नेताओं, सामाजिक संगठनों या जनप्रतिनिधियों सहित बाहरी लोगों के सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना प्रवेश पर 10 दिसंबर तक रोक लगाई गई है।

करीब 15 मिनट तक रुकी टीम और मस्जिद का किया निरीक्षण

इस बीच, शाही जामा मस्जिद के इमाम आफताब हुसैन वारसी ने कहा, "टीम करीब 15 मिनट तक रुकी और मस्जिद का निरीक्षण किया।" मस्जिद प्रबंध समिति के सचिव मसूद फारूकी ने कहा, "टीम ने हमसे कुछ नहीं पूछा। वे केवल जामा मस्जिद देखने आए थे और उसने घटनास्थल का दौरा किया था। उन्होंने कहा कि वे बाद में बयान लेंगे।" आयोग के सदस्यों ने हालांकि सुबह के दौरे के समय मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया। उनके साथ मुरादाबाद के मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह, पुलिस उपमहानिरीक्षक मुनिराज जी, संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया और पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार भी थे। मंडलायुक्त ने शनिवार को बताया था कि अरोड़ा और जैन एक दिन पहले ही मुरादाबाद पहुंच गए थे तथा प्रसाद के संभल में उनके साथ दौरे में शामिल होने की उम्मीद थी।

आयोग को दो महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करने का निर्देश

संभल में अदालत के आदेश पर मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किए जाने के दौरान 24 नवंबर को हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और अनेक अन्य घायल हो गए थे। सर्वेक्षण का आदेश एक याचिका पर दिया गया था जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद स्थल पर कभी हरिहर मंदिर हुआ करता था। आयोग को दो महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया है। इस समयसीमा को बढ़ाने के लिए सरकार की मंजूरी की जरूरत होगी। आयोग इस बात की जांच करेगा कि 24 नवंबर को हुई हिंसक झड़पें किसी सुनियोजित आपराधिक साजिश का हिस्सा थीं या नहीं। साथ ही स्थिति को संभालने में पुलिस और प्रशासन की तैयारियों की भी जांच होगी। आयोग हिंसा के लिए जिम्मेदार परिस्थितियों का भी विश्लेषण करेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपायों की सिफारिश करेगा।

मस्जिद सर्वे मामले में ASI ने अदालत में दाखिल किया जवाब

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने यहां शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण की अनुमति देने वाली अदालत में अपना जवाब दाखिल कर दिया है, जिसमें एएसआई ने मुगलकालीन मस्जिद को संरक्षित विरासत संरचना बताते हुए उसका नियंत्रण व प्रबंधन सौंपने का अनुरोध किया है। एएसआई का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शर्मा ने रविवार को बताया कि शुक्रवार को एएसआई ने अपना जवाब दाखिल किया है, जिसमें कहा गया है कि स्थल का सर्वेक्षण करने में उसे मस्जिद की प्रबंधन समिति और स्थानीय निवासियों से प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था। उन्होंने बताया कि जवाब में 19 जनवरी 2018 की एक घटना का भी जिक्र किया गया है जब मस्जिद की सीढ़ियों पर मनमाने तरीके से स्टील की रेलिंग लगाने के लिए मस्जिद की प्रबंधन समिति के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। शर्मा ने कहा कि साल 1920 से एएसआई के संरक्षित स्थल के रूप में अधिसूचित शाही जामा मस्जिद एएसआई के अधिकार क्षेत्र में है इसलिए एएसआई के नियमों का पालन करते हुए लोगों को मस्जिद में दाखिल होने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि एएसआई का तर्क है कि इमारत का नियंत्रण व प्रबंधन तथा किसी भी तरह का संरचनात्मक बदलाव का अधिकार एएसआई के पास ही रहना चाहिए। शर्मा ने बताया कि एएसआई ने यह चिंता भी जताई कि प्रबंध समिति द्वारा मस्जिद के ढांचे में अनधिकृत परिवर्तन गैरकानूनी है और इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। आने वाले दिनों में अदालत द्वारा इस मामले पर विचार-विमर्श किए जाने की उम्मीद है।

कौन-कौन है न्यायिक आयोग की टीम का सदस्य, जानें यहां

पिछली 24 नवंबर को संभल में स्थानीय अदालत के आदेश पर एडवोकेट कमिश्नर द्वारा शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किए जाने के दौरान हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें चार लोग मारे गए थे। सर्वेक्षण का आदेश एक याचिका पर सुनवाई के बाद दिया गया था, जिसमें दावा किया गया है कि मस्जिद स्थल पर कभी हरिहर मंदिर हुआ करता था। हिंसा की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया गया है और रविवार को उसके सदस्यों के संभल आने की संभावना है। आयोग को दो महीने में जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया है। इस समयसीमा में विस्तार के लिए सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होगी। आयोग के दो सदस्य शनिवार को ही मुरादाबाद पहुंच गए थे। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार अरोड़ा की अध्यक्षता वाले आयोग में पूर्व आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अरविंद कुमार जैन अन्य सदस्य हैं।

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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