क्यों अग्निवीर स्कीम को लेकर तूल पकड़ रहा विवाद? चुनाव में भी रहा बड़ा मुद्दा, जानें इससे जुड़ी ABCD
Agniveer Scheme: क्या अग्निवीर योजना को लेकर मोदी सरकार 3.0 में कोई प्रमुख बदलाव किये जा सकते हैं या फिर ठोस कदम उठाए जा सकते हैं? आपको समझाते हैं कि आखिर क्यों लोकसभा चुनाव 2024 में अग्निवीर के मुद्दे ने जोर पकड़ लिया। आपको इस योजना और इससे जुड़े विवाद के बारे में सबकुछ समझना चाहिए।
अग्निपथ योजना।
Agnipath Yojana Explained: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों में एनडीए गठबंधन को भले पूर्ण बहुमत मिल गई हो, लेकिन भाजपा 240 सीटों पर जीत हासिल कर सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद बहुमत के नंबर से 32 सीट पीछे रह गई। ऐसे में मोदी सरकार 3.0 में भाजपा के सहयोगी दलों के कई तरह के दबाव देखने को मिलेंगे। जिसका ट्रेलर अभी से ही देखने को मिल रहा है। इस चुनाव में अग्निवीर योजना एक बड़ा मुद्दा रहा, जिसे विपक्ष ने जमकर भुनाया। दो साल पहले जब 2022 में सरकार ने इस योजना का ऐलान किया था, विवाद उसी वक्त से तेज हो गया था। आपको सबसे पहले ये बताते हैं कि आखिर कैसे और क्यों अग्निवीर योजना को लेकर विवाद ने तूल पकड़ लिया, इस मुद्दे को चुनाव में भी बड़े जोर-शोर से उठाया गया।
विपक्ष ने पकड़ा असल मुद्दा, चुनाव में हुआ इस्तेमाल
साल 2022 की बात है, जब 14 जून को केंद्र सरकार ने सेना में जवानों की भर्ती के लिए अग्निपथ योजना की घोषणा की थी। कांग्रेस और कई विपक्षी दलों ने उस वक्त भी इस योजना का कड़ा विरोध किया था। कुछ राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हुए थे। कांग्रेस और विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA ने हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव 2024 में अग्निपथ योजना को बड़ा मुद्दा बनाया था और कहा कि यदि वह सत्ता में आते हैं तो इसे रद्द कर देंगे। विपक्षी दलों के भारी विरोध के बावजूद भाजपा और उसके नेता इस योजना का बचाव करते रहे हैं। लेकिन ये चुनावी नतीजों से ये समझा जा सकता है कि इस मुद्दे को विपक्ष ने बड़े स्तर पर भुनाया, जिसका अच्छा-खासा असर वोटर्स पर पड़ा।
अग्निवीर योजना पर उखड़ रहे भाजपा के सहयोगी दल
भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की अहम सहयोगी पार्टी जनता दल (युनाइटेड) ने केंद्र में सरकार गठन को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से की जा रही कवायदों के बीच सेना में भर्ती की ‘अग्निपथ’ योजना की समीक्षा किए जाने की मांग उठाई है। दरअसल, जद (यू) के वरिष्ठ नेता के सी त्यागी ने कहा है कि 'अग्निपथ योजना को लेकर मतदाताओं के एक हिस्से में नाराजगी रही है। हमारी पार्टी चाहती है कि विस्तार से उन कमियों और खामियों को दूर किया जाए जिसको लेकर जनता ने सवाल उठाए हैं।' इस बयान से समझा जा सकता है कि अग्निवीर योजना मोदी सरकार 3.0 के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। लेकिन आपको ये समझना चाहिए कि आखिर ये योजना क्या है और इससे जुड़ा असल विवाद क्या है।
आसान शब्दों में समझिए आखिर क्या है अग्निवीर योजना?
साल 2022 की बात है, जब देश के रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defense) ने सैन्य मामलों से जुड़ी एक योजना की घोषणा की। इसके तहत सशस्त्र बलों का हिस्सा बनने के इच्छुक साढ़े 17 से 21 वर्ष की आयु के युवाओं को कठोर सैन्य प्रशिक्षण दिया जाएगा। परीक्षा, फिजिकल और मेडिकल फिटनेस के तहत चयन हुए अभ्यर्थियों की चार साल के लिए भर्ती होगी, जिसे अग्रिवीर के नाम से जाना जाएगा। इस योजना के नियमानुसार चार साल का समय पूरा होने के बाद योग्यता और काम के आधार पर 25% अग्निवीरों को सशस्त्र बलों में नियमित संवर्ग के रूप में नामांकित किया जाएगा। यानी चार साल बाद 25 फीसदी अग्निवीरों को रेगुलर किया जाएगा। दरअसल, यही है असल विवाद की जड़। अब आपको ये समझाते हैं कि अग्निवीरों का वेतन यानी सैलरी पैकज क्या है।
अग्निवीर योजना के तहत क्या है जवानों की पे-स्केल?
सलावा वित्तीय पैकेज की बात की जाए तो अग्निवीरों को पहले वर्ष के लिए लगभग 4.76 लाख रुपये का भुगतान तय किया गया, जो चौथे वर्ष तक लगभग 6.92 लाख रुपये तक अपग्रेड किया जा सकता है। इस योजना के तहत अग्निवीरों को जोखिम और दुघर्टना भत्ता प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा दिव्यांगता के लिए भी मुआवजा तय किया गया, जिसके तहत 50 प्रतिशत दिव्यांगता के लिए 15 लाख रुपये, 75 फीसदी के लिए 25 लाख और 100 प्रतिशत दिव्यांगता के लिए 44 लाख रुपये का मुआवता तय किया गया। इसके अलावा मृत्यु मुआवजा 48 लाख रुपये का गैर-अंशदायी जीवन बीमा कवर और सेवा के दौरान मृत्यु हो जाने पर 44 लाख रुपये की अतिरिक्त अनुग्रह राशि भी देने का ऐलान किया गया।
"सेवा निधि" पैकेज के तहत अग्निवीरों को चार साल के बाद (आयकर से छूट) 10.04 लाख रुपये का एक कोष प्रदान किया जाएगा। इस पैकेज के तहत इस कोष में अग्निवीरों के द्वारा 30% राशि योगदान की जाएगी, साथ ही उतनी ही राशि सरकार द्वारा दी जाएगी। आपको आसान शब्दों में अग्निवीरों का सैलरी ब्रेकअप समझना चाहिए।
पहले वर्ष
स्वनिर्धारित पैकेज (मासिक) | 30000 रुपये |
हाथ में आने वाली सैलरी (70%) | 21000 रुपये |
अग्निवीर कोष फंड में योगदान (30%) | 9000 रुपये |
भारत सरकार द्वारा अग्निवीर कोष फंड में योगदान | 9000 रुपये |
स्वनिर्धारित पैकेज (मासिक) | 33000 रुपये |
हाथ में आने वाली सैलरी(70%) | 23100 रुपये |
अग्निवीर कोष फंड में योगदान (30%) | 9900 रुपये |
भारत सरकार द्वारा अग्निवीर कोष फंड में योगदान | 9900 रुपये |
स्वनिर्धारित पैकेज (मासिक) | 36500 रुपये |
हाथ में आने वाली सैलरी(70%) | 28000 रुपये |
अग्निवीर कोष फंड में योगदान (30%) | 10950 रुपये |
भारत सरकार द्वारा अग्निवीर कोष फंड में योगदान | 10950 रुपये |
तीन साल बाद अग्निवीर कोष फंड में कुल योगदान | 5.02 लाख रुपये |
स्वनिर्धारित पैकेज (मासिक) | 40000 रुपये |
हाथ में आने वाली सैलरी (70%) | 28000 रुपये |
अग्निवीर कोष फंड में योगदान (30%) | 12000 रुपये |
भारत सरकार द्वारा अग्निवीर कोष फंड में योगदान | 12000 रुपये |
चार साल बाद अग्निवीर कोष फंड में कुल योगदान | 5.02 लाख रुपये |
कैसे चुनाव में बड़ा मुद्दा बन गया अग्निवीर स्कीम?
उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के युवाओं में सेना में भर्ती होने के लिए भारी जोश देखने को मिलता है। यही वजह है कि अग्निवीर योजना की घोषणा के बाद यूपी-बिहार और राजस्थान में युवाओं ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया, रेल की पटरियों पर आंदोलन किए। उस वक्त कांग्रेस और प्रमुख विपक्षी दलों, समाजवादी पार्टी, आरजेडी ने इस मुद्दे को पकड़ लिया। लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी, बिहार और राजस्थान में इन पार्टियों के नेताओं ने इन मुद्दे को बड़े जोर-शोर से उठाया। असर नतीजों में दिखा। उत्तर प्रदेश में भाजपा को भारी झटका लगा। बिहार और राजस्थान में भी नुकसान झेलना पड़ा। अब सवाल ये है कि क्या नीतीश कुमार के जेडीयू जैसे सहयोगियों के दवाब में आकर मोदी सरकार 3.0 इस योजना में सुधार और बदलाव पर विचार और फैसला करती है या नहीं। हरियाणा में BJP की सीट 10 से घटकर 5 पर सिमट गई। यहां पार्टी का वोट शेयर भी 58 फीसदी से घटकर 46 फीसदी हो गया। पंजाब में तो बीजेपी ने एक भी सीट नहीं जीती। राजस्थान में भी भाजपा 24 से घटकर 14 ही रह गई।
देश के सैनिकों के जज्बे को कोई भी शख्स महज शब्दों में परिभाषित नहीं कर सकता। हिंदुस्तान में रह रहे लोग अपने घरों में चैन की नींद सो सकें, इसकी खातिर हमारे जवान सरदहों पर अपनी रातें काली करते हैं, दुश्मनों की काली नजर से देश की सुरक्षा करते हैं। जान हथेली पर रखकर भारत मां के सपूत हमारी सीमाओं पर दुश्मनों को उनकी हैसियत बताते हैं और तो और बिना कुछ सोचे-समझे एक क्षण में देश की आन बान और शान के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान कर देते हैं। कहते हैं कि जवानों और किसानों को सियासत की आंच से दूर ही रखना चाहिए, लेकिन चुनावों में अक्सर जवान, सीमा और शहादत जैसे मुद्दे उठते हैं। हालांकि चुनावी सीजन में जवान और किसान दोनों का ही मुद्दा सभी पार्टियां प्रमुखता से उठाती हैं। अग्निवीर योजना के मुद्दे को भी इस बार के चुनाव में प्रमुखता से उठाया गया, जिसका नतीजा हर कोई देख सकता है।
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