क्या है अखिलेश यादव का PDA फॉर्मूला? चुनावी नतीजों में दिखेगा असर या निकल जाएगी हवा; समझें गुणा-गणित

What is PDA: लोकसभा चुनाव 2024 के चुनाव प्रचार में अखिलेश यादव ने समाजवादी 'पीडीए' यात्रा निकालकर लोगों से समर्थन मांग रहे हैं। विधानसभा चुनाव 2022 से पहले अखिलेश MY समीकरण के भरोसे बैठे थे, चुनाव आते ही वो PDA पर जोर देने लगे थे। देखना ये है कि इस बार के चुनाव में सभा को इसका लाभ मिलता है या नहीं।

अखिलेश यादव का चुनावी प्लान।

Akhilesh Yadav Plan for Election: आज के दौर में राजनीति और जाति एक दूसरे के पूरक हो चुके हैं, सियासत में कास्ट की भूमिका अब तक प्रचलन में है। यही वजह है कि कई राज्यों में आज भी जाति की राजनीति को तवज्जो दी जाती है। उत्तर प्रदेश और बिहार दो ऐसे राज्य हैं, जहां कास्ट पॉलिटिक्स की अहमियत कुछ ज्यादा ही है। यहां दलितों के नेता, पिछड़ों के नेता, मुस्लिमों के नेता, यादव, कुशवाहा, राजभर, कोइरी, भूमिहार, ठाकुर, पंडित, हर जाति को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाले सैकड़ों नेता हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव इन दिनों ‘PDA’ पर खासा जोर दे रहे हैं। आखिर ये पीडीए क्या है और क्या इसका राग अलापने से अखिलेश चुनाव में अपनी पार्टी का डंका बजवा सकेंगे?

अखिलेश को कास्ट पॉलिटिक्स पर भरोसा

उत्तर प्रदेश की सियासत में जातीय समीकरण का आज भी खूब बोलबाला है। ऐसे में अखिलेश यादव इन दिनों पीडीए पर जोर दे रहे हैं, सबसे पहले समझाते हैं कि आखिर ये पीडीए है क्या चीज... ‘PDA’ यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक। मतलब साफ है अखिलेश की सपा की नजर पिछड़ा वर्ग, दलित और अल्पसंख्यकों पर है। सवाल ये है कि आखिर क्या अखिलेश सत्ता में आकर इन्हीं तीनों समाज के नेता रहेंगे या कल्याण करेंगे। कास्ट पॉलिटिक्स को विभाजनकारी नीति कही जाए तो गलत नहीं होगा। यही वजह है कि इस फॉर्मूले को भाजपा ध्वस्त करने की कोशिश कर रही है।

भाजपा ने तैयार किया है ये काउंटर प्लान!

देश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी भी इस बात को बखूबी समझती है कि जातिगत राजनीति की कितनी अहमियत है। भाजपा ने अखिलेश की पीडीए का तोड़ निकालने के लिए जाति की बजाय दूसरा फॉर्मूला अपना लिया, जिसके तहत वो गरीब, युवा, महिला और किसानों के कल्याण का वादा कर रही है।

End Of Feed