क्या होता है ASI सर्वे, ज्ञानवापी मामले में इसकी इतनी अहमियत क्यों?
ज्ञानवापी मामले में एएसआई सर्वे के फैसले के बाद एक सवाल आपके मन में जरूर उठ रहा होगा कि इसमें क्या होता है। आपको इसकी जानकारी देते हैं।
ASI Survey
What is ASI Survey: इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक टीम ने शुक्रवार से वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण शुरू कर दिया। एएसआई की 43 सदस्यीय एक टीम सुबह करीब सात बजे ज्ञानवापी परिसर में दाखिल हुई और काम शुरू किया। सर्वे का काम पांच-छह दिनों तक चलने की संभावना है। हिंदू पक्ष के वकील ने बताया कि इस दौरान हिंदू याचिकाकर्ता अपने वकीलों के साथ मौके पर मौजूद रहे। मुस्लिम पक्ष की तरफ से कोई भी मौजूद नहीं था। मुस्लिम पक्ष ने इस सर्वे से अलग रहने का फैसला किया है।
कैसे होता है ये सर्वे?
ज्ञानवापी मामले में एएसआई सर्वे के फैसले के बाद एक सवाल आपके मन में जरूर उठ रहा होगा कि इसमें क्या होता है। यह सर्वे कैसे किया जाता है और ज्ञानवापी मामले में एएसआई सर्वे की इतनी अहमियत क्यों है। आपको इसकी जानकारी देते हैं।
एएसआई का मतलब है अर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया। इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग भी कहते हैं। एएसआई केंद्र सरकार के सांस्कृति मंत्रालय के अधीन आता है और इसका काम देश की पुरातात्विक इमारतों व संसाधनों का संरक्षण करना है। राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों के रख-रखाव की जिम्मेदारी भी इसी की है।
एएसआई देश की प्राचीन धरोहर और ऐतिहासिक इमारतों से जुड़े तथ्यों को प्रमाणित करता है। ये काम पूरी तरह वैज्ञानिक तरीके से किया जाता है, ताकि किसी तरह की कोई गलती न रह जाए। इसके लिए तकनीक का सहारा लिया जाता है। इन कारणों से इसकी विश्वसनियता भी अधिक होती है।
आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल
एएसआई सर्वे में ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इस तकनीक से सर्वे क्षेत्र का गहराई से अध्ययन किया जाता है। ज्ञानवापी परिसर ऐसी ही एक ऐतिहासिक और प्राचीन इमारत है। ज्ञानवापी के सर्वे में ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। एएसआई की टीम ग्राउंड पेनेट्रेटिंग से तथ्य जुटाएगी। यहां आधुनिक रडार का इस्तेमाल होगा, जिससे जमीन के अंदर मौजूद चीजों का अध्ययन किया जाएगा।
संस्कृति मंत्रालय के अधीन एएसआई
चूंकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का कार्यालय संस्कृति मंत्रालय के अधीन आता है, इसलिए एएलआई की टीम जब किसी ऐतिहासिक इमारत या खंडहर का सर्वे करती है, तो संस्कृति मंत्रालय उसकी निगरानी रखता है। हालांकि ज्ञानवापी जैसे मामले में जहां अदालत के आदेश पर सर्वे होता है, वहां अदालत सर्वे की मॉनिटरिंग करती है।
ज्ञानवापी परिसर सर्वे को हरी झंडी
बता दें कि वाराणसी की जिला अदालत के फैसले के बाद एएसआई की टीम ने 24 जुलाई को भी ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का काम शुरू किया था लेकिन कुछ ही घंटों बाद अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस सर्वे पर तुरंत रोक लगा दी थी और मामले को इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष रखने को कहा था। हाई कोर्ट ने तीन अगस्त को फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी थी और ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने के निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा था। मुस्लिम पक्ष ने उच्च न्यायालय के फैसले को गुरुवार 3 अगस्त 2023 को ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन यहां भी उसे राहत नहीं मिली और अदालत ने सर्वे जारी रखने का आदेश दिया।
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