दुनिया की 40% आबादी और एक तिहाई अर्थव्यवस्था वाला समूह है BRICS, भारत से हैं बड़ी उम्मीदें
What Is BRICS: वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमेरिका एवं पश्चिमी देशों के दबदबे का मुकाबला करने के लिए साल 2009 में इस समूह का अनौपचारिक रूप से गठन हुआ। इस समूह की शुरुआत करने की प्रक्रिया रूस ने शुरू की। खास बात यह है कि यह समूह संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक अथवा ओपेक की तरह एक औपचारिक बहुपक्षीय संगठन नहीं है।
इस बार दक्षिण अफ्रीका में हो रहा ब्रिक्स सम्मेलन।
What Is BRICS: ब्रिक्सब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे विकसित एवं उभरती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है। दक्षिण अफ्रीका के इस समूह में शामिल होने से पहले इसे BRIC नाम से जाना जाता था। गोल्डमैन सैश के मुख्य अर्थशास्त्री जिम ओ नील ने चार देशों की अर्थव्यवस्था की क्षमताओं को रेखांकित करते हुए पहली बार एक रिसर्च पेपर में BRIC का उल्लेख किया। वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमेरिका एवं पश्चिमी देशों के दबदबे का मुकाबला करने के लिए साल 2009 में इस समूह का अनौपचारिक रूप से गठन हुआ। इस समूह की शुरुआत करने की प्रक्रिया रूस ने शुरू की। खास बात यह है कि यह समूह संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक अथवा ओपेक की तरह एक औपचारिक बहुपक्षीय संगठन नहीं है। इस समूह की सलाना बैठक होती है और समूह के देशों के पास बारी-बारी से अध्यक्षता आती है।
BRICS का हिस्सा बनना चाहते हैं 40 देश
इस बार समूह की बैठक की अध्यक्षता दक्षिण अफ्रीका कर रहा है। दक्षिण अफ्रीका साल 2020 में इस समूह का हिस्सा बना। इन पांच देशों में दुनिया की करीब 40 फीसदी आबादी रहती है और विश्व के एक तिहाई कारोबार पर इन देशों की हिस्सेदारी है। जियोपॉलिटिक्स के अलावा यह समूह आपसी आर्थिक सहयोग एवं बहुपक्षीय कारोबार एवं विकास बढ़ाने पर जोर देता है। आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए BRICS कई पहल कर चुका है। खास बात यह भी है कि ब्रिक्स के सभी सदस्य देश जी-20 समूह का भी हिस्सा हैं। ईरान, सऊदी अरब, यूएई, अर्जेंटीना, अल्जीरिया, इंडोनेशिया सहित 40 से अधिक देश BRICS में शामिल होने की इच्छा जता चुके हैं।
भारत से हैं बड़ी उम्मीदें
भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। भारत की अर्थव्यवस्था जिस तरह से बढ़ रही है उससे अगले कुछ सालों में वह विश्व की तीसरी सबसे बड़ी इकोनामी बन जाएगी। भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत दुनिया को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है। आने वाले वर्षों में भारत आर्थिक जगत का एक प्रमुख भागीदार होगा।
दक्षिण अफ्रीका में 15वां शिखर सम्मेलन
'प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के वास्ते मंगलवार सुबह दक्षिण अफ्रीका के लिए रवाना हो गए। उन्होंने विश्वास जताया कि यह सम्मेलन सदस्य देशों को भविष्य के सहयोग के क्षेत्रों की पहचान करने और संस्थागत विकास का जायजा लेने का उपयोगी अवसर प्रदान करेगा। रवाना होने से पहले जारी बयान में प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रिक्स देश विभिन्न क्षेत्रों में एक मजबूत सहयोग एजेंडा अपना रहे हैं। उन्होंने कहा, 'हम मानते हैं कि ब्रिक्स विकास संबंधी अनिवार्यताओं और बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार सहित पूरे ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए चिंता का सबब बने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा और विचार-विमर्श करने का मंच बन गया है।'
अन्य देशों के शामिल करने पर हो सकता है फैसला
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने रविवार शाम राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान कहा कि उनका देश ‘ब्रिक्स’ समूह के सदस्यों की संख्या बढ़ाने का समर्थन करता है। ब्रिक्स का सदस्य बनने के लिए 22 देशों के आवेदन का मुद्दा समूह के पांच सदस्य देशों के नेताओं के एजेंडे में है, जो ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के 15वें संस्करण के लिए इस सप्ताह बुधवार को जोहानिसबर्ग में मिलेंगे। रामफोसा ने कहा, ‘दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स की सदस्यता के विस्तार का समर्थन करता है। ब्रिक्स का मूल्य इसके वर्तमान सदस्यों के हितों से परे है। अपने प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए ब्रिक्स को अन्य देशों के साथ साझेदारी करने की जरूरत है, जो उसकी आकांक्षाओं और दृष्टिकोण को साझा करते हैं।’
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