क्या है कांवड़ यात्रा के लिए नेमप्लेट वाला विवाद? अखिलेश, मायावती, अजय राय समेत विपक्षी नेताओं ने CM योगी पर उठाया सवाल

UP Politics: यूपी की सियासत में इन दिनों एक नए विवाद ने तूल पकड़ लिया है। सीएम योगी ने आदेश दिया कि कांवड़ मार्गों पर खाद्य और पेय पदार्थों की दुकानों पर संचालक/मालिक का नाम और पहचान प्रदर्शित की जाए ताकि तीर्थयात्रियों की आस्था की पवित्रता बनी रहे। विपक्षी नेताओं ने एक सुर में इसका विरोध किया है।

Nameplates for Kanwar Yatra Full Controversy

कांवड़ यात्रा को लेकर सीएम योगी के फैसले पर विवाद।

Kanwar Yatra Full Controversy: क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा को लेकर मचे हंगामे की असल वजह क्या है? अखिलेश यादव, मायावती, अजय राय समेत उत्तर प्रदेश के दिग्गज विपक्षी नेताओं ने एक सुर में उस फैसले का विरोध किया है, जिसमें सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ये आदेश जारी किया कि कांवड़ यात्रा के दौरान उन रास्तों में पड़ने वाले खाद्य और पेय पदार्थों की दुकानों पर संचालक/मालिक का नाम और पहचान प्रदर्शित की जाए ताकि तीर्थयात्रियों की आस्था की पवित्रता बनी रहे। इसी फैसले के बाद सियासी बखेड़ा शुरू हो गया है।

योगी के फैसले पर भड़के कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय राय ने योगी के इस फैसले पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि 'भाजपा लगातार ऐसे फैसले ले रही है, जिससे जनता में भारी आक्रोश फैल रहा है। यही वजह है कि वो अयोध्या में इतनी बुरी तरह हार गए, लोकसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा को यूपी के लोगों ने सिरे से नकार दिया। लोगों के बीच लड़ाई करवाकर बीजेपी वाले अपनी राजनीतिक रोटियां सेकती है। अब उनकी सच्चाई लोगों के सामने आने लगी है।' अजय राय से जब टाइम्स नाउ नवभारत ने पूछा कि क्या इसका असर विधानसभा उपचुनाव पर भी पड़ेगा। तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, 'ये बिल्कुल तय है, हाल ही में 13 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे ये बताने के लिए काफी हैं कि भाजपा को लोग सबक सिखा रहे हैं। यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में विपक्षी गठबंधन INDIA सभी 10 सीटों पर जीत हासिल करेगी।'

योगी आदित्यनाथ के फैसले की मायावती ने की आलोचना

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के नामपट्टिकाओं के संबंध में फैसले के आदेश पर एक ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, "उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार द्वारा कांवड़ मार्ग के व्यापारियों को अपनी दुकानों पर मालिक और कर्मचारियों का पूरा नाम प्रमुखता से लिखने और चुनावी लाभ के लिए मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का आदेश पूरी तरह से असंवैधानिक है।" इसके अलावा, उन्होंने लिखा, "एक विशेष क्षेत्र से संबंधित लोगों द्वारा इस तरह का आर्थिक बहिष्कार बेहद निंदनीय है।"

अखिलेश यादव ने सरकार को सुनाई खरी-खोटी

इससे पहले गुरुवार को समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इस आदेश को सामाजिक अपराध करार दिया और सरकार और प्रशासन की कार्रवाई के पीछे की मंशा पर सवाल उठाते हुए अदालत के हस्तक्षेप की मांग की। जिस व्यक्ति का नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फतेह है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? माननीय अदालत को स्वत: संज्ञान लेकर ऐसे प्रशासन के पीछे सरकार की मंशा की जांच करनी चाहिए और उचित दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं जो सौहार्द के शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ना चाहते हैं।

ओवैसी ने यूपी के सीएम योगी पर किया हमला

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस आदेश की निंदा करते हुए इसे रंगभेद और नाजी युग की प्रथाओं से तुलना की और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनौती दी कि अगर उनमें हिम्मत है तो वे लिखित आदेश जारी करें। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के इस आदेश को देखकर ऐसा लगता है जैसे उनमें हिटलर की आत्मा प्रवेश कर गई है। क्या आप एक यात्रा को इतना महत्व देंगे कि आप दूसरों की आजीविका बर्बाद कर देंगे? क्या आप केवल एक समुदाय के लिए काम करेंगे? संविधान कहां है? मैं योगी आदित्यनाथ को चुनौती देता हूं कि अगर उनमें हिम्मत है तो वे लिखित आदेश जारी करें। मुसलमानों के साथ स्पष्ट भेदभाव हो रहा है।

योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा को लेकर लिया ये फैसला

उत्तर प्रदेश सरकार ने 22 जुलाई से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए कई उपायों की घोषणा की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया कि कांवड़ मार्गों पर खाद्य और पेय पदार्थों की दुकानों पर संचालक/मालिक का नाम और पहचान प्रदर्शित की जाए ताकि तीर्थयात्रियों की आस्था की पवित्रता बनी रहे। इसके अतिरिक्त, हलाल-प्रमाणित उत्पाद बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

मुजफ्फरनगर पुलिस ने इससे पहले लिया था ये फैसला

इससे पहले, मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ मार्ग पर सभी भोजनालयों से अपने मालिकों और कर्मचारियों के नाम स्वेच्छा से प्रदर्शित करने का आग्रह किया था, साथ ही कहा कि इस आदेश का उद्देश्य किसी भी तरह का धार्मिक भेदभाव पैदा करना नहीं है, बल्कि केवल भक्तों की सुविधा के लिए है। सहारनपुर के डीआईजी अजय कुमार साहनी ने कहा कि पहले भी ऐसे मामले सामने आए हैं, जब कांवड़ियों के बीच होटल और ढाबों पर खाने की रेट लिस्ट को लेकर बहस हुई है।

इसके अलावा, ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जहां किसी होटल/ढाबे पर नॉनवेज मिलता है या किसी दूसरे समुदाय के व्यक्ति ने किसी और नाम से होटल/ढाबा खोल लिया है और इससे विवाद हुआ है। इसके मद्देनजर, यह निर्णय लिया गया कि दुकानों/होटल/ढाबों के मालिक/मालिक का नाम बोर्ड पर स्पष्ट रूप से लिखा जाएगा, रेट लिस्ट स्पष्ट रूप से लिखी जाएगी और काम करने वालों के नाम भी स्पष्ट रूप से लिखे जाएंगे, ताकि किसी भी तरह की कोई समस्या न हो...सभी से बातचीत की गई है और सभी होटल/ढाबे इस पर सहमत हो गए हैं...हमारे कांवड़ मार्ग के लिए यह निर्णय लिया गया है।

अखिलेश यादव ने पुलिस पर भी उठाया था सवाल

इस कदम की विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की है, जिन्होंने यूपी सरकार पर एक समुदाय को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा था कि 'मुज़फ़्फ़रनगर पुलिस ने जनता के भाईचारे और विपक्ष के दबाव में आकर आख़िरकार होटल, फल, ठेलोंवालों को अपना नाम लिखकर प्रदर्शित करने के प्रशासनिक आदेश को स्वैच्छिक बनाकर जो अपनी पीठ थपथपायी है, उतने से ही अमन-औ-चैन पसंद करनेवाली जनता माननेवाली नहीं है। ऐसे आदेश पूरी तरह से ख़ारिज होने चाहिए। माननीय न्यायालय सकारात्मक हस्तक्षेप करते हुए शासन के माध्यम से ये सुनिश्चित करवाए कि भविष्य में ऐसा कोई भी विभाजनकारी काम शासन-प्रशासन नहीं करेगा। ये प्रेम और सौहार्द से उपजी एकता की जीत है।'

दो समुदायों के बीच खाई पैदा की जा रही: सपा

समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन ने कहा कि मुसलमानों का बहिष्कार कर हिंदुओं की दुकानों पर जाने का संदेश दिया जा रहा है। यह सांप्रदायिक सोच कब तक चलेगी? दुर्भाग्य से इस तरह की घटनाएं हो रही हैं...दो समुदायों के बीच खाई पैदा की जा रही है। इस तरह के आदेश रद्द किए जाने चाहिए। यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि यह बिल्कुल अव्यवहारिक है। वे समाज में भाईचारे की भावना को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लोगों के बीच दूरी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। इसे तुरंत रद्द किया जाना चाहिए।

भाजपा नेता ने सीएम योगी के फैसले का किया बचाव

भाजपा नेता और यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा कि सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ाने के लिए यह एक स्वागत योग्य कदम है। दिनेश शर्मा ने कहा, "यह एक स्वागत योग्य कदम है और सरकार ने लोगों में आपसी सौहार्द बढ़ाने के लिए यह आदेश जारी किया है... करीब 40-50% लोग दुकान के नीचे अपने मालिक का नाम लिखते हैं, मुझे लगता है कि संवैधानिक व्यवस्था में दिए गए धार्मिक आस्था के सम्मान और संरक्षण की भावना के तहत यह एक बेहतर प्रयास है... हिंदू और मुसलमान साथ-साथ चलें, रामलीला में मुसलमान पानी चढ़ाएं तो लोग पानी पिएं और ईद पर हिंदू उनका स्वागत करें, इस पर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन व्रत, त्योहार और कांवड़ यात्रा के नियमों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए... इसी इरादे से यह फैसला एक स्वागत योग्य कदम है।"

सहारनपुर के डीआईजी अजय कुमार साहनी ने कहा, 'पहले भी ऐसे मामले सामने आए हैं, जब कांवड़ियों के बीच होटल और ढाबों पर खाने की रेट लिस्ट को लेकर बहस हुई है। इसके चलते कई बार ऐसा हुआ है कि किसी होटल/ढाबे पर मांसाहारी खाना मिलता है या किसी दूसरे समुदाय के व्यक्ति ने किसी और नाम से ढाबा या होटल खोल लिया है, जिससे विवाद हुआ है। इसके मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है कि किसी भी तरह की समस्या से बचने के लिए होटल/ढाबा या दुकान के मालिक का नाम, रेट लिस्ट और कर्मचारी का नाम बोर्ड पर स्पष्ट रूप से लिखा जाए। सभी से बातचीत की गई है और सभी होटल/ढाबे इस पर सहमत हो गए हैं। हमारे कांवड़ मार्ग के लिए भी यही निर्णय लिया गया है।"

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | एक्सप्लेनर्स (explainer News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

लेटेस्ट न्यूज

आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited