क्या है धार का भोजशाला विवाद? जानिए इस प्राचीन मंदिर का इतिहास और इससे जुड़ी आस्था

ऐसा माना जाता है कि एक हिंदू राजा, राजा भोज ने 1034 ई. में भोजशाला में वाग्देवी की मूर्ति स्थापित की थी। बाद के वर्षोंं में इसे मस्जिद में बदल दिया गया।

क्या है भोजशाला विवाद?

Dhar Bhojshala Controversy: मध्य प्रदेश के धार जिले में विवादास्पद भोजशाला/कमाल मौला मस्जिद परिसर में मंगलवार को हिंदुओं ने पूजा अर्चना की । इसके साथ ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की एक टीम ने अदालत के निर्देशि पर अपना सर्वेक्षण जारी रखा। सात अप्रैल, 2003 के एएसआई के आदेश के अनुसार, हिंदुओं को हर मंगलवार को भोजशाला परिसर के अंदर पूजा करने जबकि मुसलमानों को शुक्रवार को वहां पर नमाज अदा करने की अनुमति है। सर्वेक्षण शुरू होने से पहले सुबह करीब 7.15 बजे हिंदू श्रद्धालु ऐतिहासिक परिसर में पहुंचे।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का निर्देश

11 मार्च को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एएसआई को छह सप्ताह के भीतर भोजशाला परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था। मध्यकालीन युग के इस स्मारक को हिंदू, देवी वाग्देवी (सरस्वती) का मंदिर मानते हैं और मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला मस्जिद कहता है। अदालत के निर्देशों पर कार्रवाई करते हुए वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ एएसआई टीम ने 22 मार्च को आदिवासी बहुल जिले में विवादित परिसर में अपना सर्वेक्षण शुरू किया।

क्या है विवाद?

ऐसा माना जाता है कि एक हिंदू राजा, राजा भोज ने 1034 ई. में भोजशाला में वाग्देवी की मूर्ति स्थापित की थी। हिंदू समूहों का कहना है कि अंग्रेज इस मूर्ति को 1875 में लंदन ले गए थे। वहीं, भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद पर हिंदू और मुस्लिम समान रूप से दावा करते हैं। हिंदुओं के लिए यह देवी वाग्देवी यानी सरस्वती का मंदिर है। दूसरी ओर मुस्लिम इसे कमाल मौला मस्जिद मानते हैं। भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित है।

End Of Feed