क्या है El Nino, मॉनसून पर कैसे पड़ता है इसका असर, 10 प्वाइंट में समझिए

आइए समझते हैं कि क्या है एल-नीनो का इतिहास, ये ला-नीना से कितना अलग है और कैसे ये मौसम पर असर डालता है। मौसम को लेकर क्या कहता है आईएडी और स्काईमेट वेदर।

एल नीनो (El Nino) के प्रभाव के कारण सूखे की संभावना

What is El-Nino: निजी पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट वेदर (Skymet Weather) ने सोमवार को कहा कि भारत में इस साल मानसून (Monsoon in India) कमजोर रहेगा और सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है। एजेसी ने अनुमान जताया कि ला नीना की स्थिति समाप्त होने और एल नीनो (El Nino) के प्रभाव के कारण सूखे की संभावना 20 प्रतिशत है। मानसून के मौसम के दौरान लगातार चार वर्षों तक सामान्य और सामान्य से अधिक बारिश के बाद नया पूर्वानुमान भारत के कृषि क्षेत्र के लिए बड़ी चिंता का कारण है।

मौसम विज्ञान विभाग ने कहा, सामान्य रहेगा मॉनसून

वहीं भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कहा है कि इस बार मॉनसून रहेगा। आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि अल नीनो की स्थिति मानसून के मौसम के दौरान विकसित होने की संभावना है। इसका प्रभाव मौसम की दूसरी छमाही के दौरान देखा जा सकता है।

हालांकि, स्काईमेट का अनुमान है कि जून से सितंबर की चार महीने की अवधि के दौरान मानसून की बारिश 868.6 मिमी के दीर्घकालिक औसत (LPA) का लगभग 94 प्रतिशत होगी। निजी मौसम एजेंसी ने यह भी भविष्यवाणी की कि देश के उत्तरी और मध्य हिस्सों में कम बारिश होने की संभावना है। इसके मुताबिक गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में जुलाई और अगस्त के मुख्य मानसून महीनों के दौरान अपर्याप्त बारिश होने की उम्मीद है। कुल मिलाकर इस साल एल-नीनो के प्रभाव के कारण भारत में कृषि क्षेत्र, किसानों और देश की अर्थव्यवस्था को झटका लग सकता है। आइए समझते हैं कि क्या है अल-नीनो का इतिहास, ये ला-नीना से कितना अलग है और कैसे ये मौसम पर असर डालता है।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव ...और देखें

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