आखिर क्या है ये EVM? जिस पर बार-बार उठता है सवाल, अब राहुल गांधी ने उठाया सवाल; जानें इससे जुड़ा हर जवाब

What is EVM: भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) चुनाव प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण अंग बन चुकी है। चुनावों में हारने वाली पार्टियां अक्सर इस मशीन में हैकिंग की बात करते हैं, गड़बड़ियों के दावे करते हैं। तरह-तरह के आरोप लगाए जाते हैं। आपको इस मशीन के बारे में बताते हैं।

Rahul Gandhi Questioning electronic voting in India

राहुल गांधी ने ईवीएम पर क्यों उठाया सवाल?

Rahul Gandhi Raised Questions on EVM: सियासत में मुद्दे और सवालों के बड़ा अहम रोल होता है। चुनाव आते ही एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी और आलोचनाओं का दौर तेज हो जाता है, तो चुनाव के बाद अक्सर हारने वाली पार्टियों के नेता चुनावी प्रक्रिया, निष्पक्षता और चुनाव कराने वाली मशीन ईवीएम पर सवाल खड़ा कर देते हैं। भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) चुनाव प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण अंग बन चुकी है। भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली में इस मशीन की अहमियत समझने के लिए ये जानना जरूरी है कि दो दशक से हर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इसका इस्तेमाल हो रहा है।

ईवीएम पर ठीकरा फोड़ती हैं हारने वाली पार्टियां

चुनावों में हारने वाली पार्टियां अक्सर इस मशीन में हैकिंग की बात करते हैं, गड़बड़ियों के दावे करते हैं। तरह-तरह के आरोप लगाए जाते हैं, इससे जुड़े विवाद का मामला देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट तक भी कई बार पहुंच चुका है। हाल ही में लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे सामने आए। इस बार के चुनावी परिणाम में सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्षी पार्टियों के अलायंस को ज्यादा बड़ी जीत-हार नहीं झेलनी पड़ी। चुनावी नतीजों के बाद से अब तक विपक्षी पार्टियां शांत थी, लेकिन आखिरकार EVM पर सवाल उठ ही गया। कांग्रेस के दिग्गज राहुल गांधी ने बताया इसे 'ब्लैक बॉक्स' करार दिया है।

आखिर राहुल गांधी ने उठा दिया ईवीएम पर सवाल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कहना है कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) एक ‘ब्लैक बॉक्स’ है, जिसकी जांच करने की किसी को इजाजत नहीं है। वो यहीं नहीं रुके उन्होंने चुनावी प्रक्रिया को भी सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया और कहा कि भारत की चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर ‘गंभीर चिंताएं’ जताई जा रही हैं।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, 'जब संस्थाओं में जवाबदेही ही नहीं होती तो लोकतंत्र दिखावा बन कर रह जाता है और धांधली की आशंका बढ़ जाती है।' इस पोस्ट के साथ गांधी ने एक खबर भी साझा कि जिसमें दावा किया गया कि मुंबई की उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट से 48 वोट से जीत दर्ज करने वाले शिवसेना के उम्मीदवार के एक रिश्तेदार के पास एक ऐसा फोन है जिससे ईवीएम में छेड़छाड़ संभव थी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने ‘एक्स’ पर एलन मस्क की उस पोस्ट को भी साझा किया जिसमें मस्क ने ईवीएम को हटाने की बात कही थी। मस्क ने अपनी पोस्ट में कहा था, 'हमें ईवीएम को खत्म कर देना चाहिए। मुनष्यों या कृत्रिम मेधा (एआई) द्वारा हैक किए जाने का जोखिम, हालांकि छोटा है, फिर भी बहुत अधिक है।'

विपक्ष बार-बार उठाता है ईवीएम पर सवाल

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को अपने 45 से अधिक वर्षों के इतिहास में आलोचनाओं, शंकाओं और कई गंभीर आरोपों का भी सामना करना पड़ा है, लेकिन चुनाव आयोग ये बार-बार कहता रहा है कि निष्पक्ष चुनाव करवाने में ईवीएम की भूमिका बेहद अहम है। आयोग ने समय-समय पर ईवीएम से जुड़ी गड़बड़ियों को भी दूर करने की कोशिशें की। आपको इस लेख में बताते हैं कि आखिर ये ईवीएम है क्या।

आखिर क्या होती है इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन

ईवीएम तीन शब्दों का संग्रह है, E = इलेक्ट्रॉनिक, V = वोटिंग, M = मशीन... यानी इलेक्टॉनिक वोटिंग मशीन (EVM)। ये एक ऐसी मशीन है, जो साधारण बैटरी पर चलती है। मतदान के दौरान डाले गए वोटों को ये मशीन दर्ज करती है और वोटों की गिनती भी करती है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन तीन हिस्सों से बनी होती है।
पहला- कंट्रोल यूनिट (सीयू)
दूसरा- बैलेटिंग यूनिट (बीयू)
तीसरा- वोटर वेरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट)
कंट्रोल यूनिट और बैलेटिंग यूनिट दोनों मशीनें पांच मीटर लंबी एक तार से जुड़ी होती हैं। बैलेटिंग यूनिट को वोटिंग कंपार्टमेंट के अंदर रखा जाता है। इसको पोलिंग ऑफिसर के पास रखा जाता है।

कैसे किया जाता है ईवीएम का इस्तेमाल?

ईवीएम से पहले जब बैलट पेपर का इस्तेमाल वोटिंग के लिए किया जाता था, उस वक्त मतदाता को मतदान अधिकारी द्वारा कागज का मतपत्र मिलता था, फिर मतदाता मतदान कंपार्टमेंट जाकर अपने पसंदीदा उम्मीदवार के आगे मुहर लगाते थे और मतपत्र को मतपेटी में डाल दिया जाता था। हालांकि ईवीएम में कागज और मुहर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। ईवीएम में मतदान अधिकारी जब कंट्रोल यूनिट पर ‘बैलट’ बटन दबाते हैं, उसके बाद मतदाता बैलेटिंग यूनिट पर अपने पसंदीदा उम्मीदवार के आगे लगा बटन दबाकर, अपना वोट डालता है। उसका य वोट कंट्रोल यूनिट में दर्ज होता है। यह यूनिट 2000 वोट दर्ज कर सकती है। आपको बता दे, एक बैलेटिंग यूनिट में 16 उम्मीदवारों के नाम दर्ज किए जा सकते हैं, यदि उम्मीदवारों की संख्या इससे अधिक होती है तो अतिरिक्त (एक्स्ट्रा) बैलेटिंग यूनिट्स को कंट्रोल यूनिट से जोड़ा जा सकता है।

क्या होता है वीवीपैट, शंका दूर करने की कोशिश

कई राजनीतिक दल लंबे वक्त से ईवीएम को लेकर शंका जाहिर करते आ रहे हैं। आरोपों के चलते लोगों की शंकाओं को दूर करने के मकसद से चुनाव आयोग ने वोटर वेरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएट) की व्यवस्था की। इसे ईवीएम से जोड़ा गया, जिससे वोटर को ये दिख सकता है कि उन्होंने जिसे वोट दिया है, उनका वोट उसी को गया है या नहीं।
विपक्षी दल पिछले कुछ समय से ईवीएम पर चिंता जताते रहे हैं और उसने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर ‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपैट) पर्चियों का शत प्रतिशत मिलान करने की अपील की की थी, लेकिन अदालत ने इसे स्वीकार नहीं किया। अब देखना होगा कि ये जो सवाल राहुल गांधी ने ईवीएम पर उठाया है, उस पर सियासत गरमाती है तो बात कितनी दूर जाती है।
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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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