क्या है G7, किस मकसद से हुआ था इसका गठन, इस साल क्यों है सबसे अलग?

इस साल G7 देशों के साथ-साथ भारत भी अतिथि देश के रूप में शिखर सम्मेलन का हिस्सा है। भारत के अलावा, यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की भी व्यक्तिगत रूप से शिखर सम्मेलन में शामिल हुए हैं।

G7 Summit 2023

इस साल G7 के शिखर सम्मेलन में क्या अलग

What is G7: दुनिया के सबसे शक्तिशाली अंतर-सरकारी राजनीतिक मंचों में से एक G7 या सात देशों का समूह जापान के हिरोशिमा में दुनिया के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा कर रहा है। रूस-यूक्रेन में चल रहे तनाव के बीच दुनिया के सात सबसे अमीर देशों के नेता हिरोशिमा में इकट्ठा हुए हैं। जी-7 में यूरोपीय संघ के अलावा फ्रांस, अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, जापान, इटली और कनाडा शामिल हैं। यह शिखर सम्मेलन स्वतंत्रता, लोकतंत्र और मानवाधिकारों के मूलभूत मूल्यों को साझा करता है। वार्षिक शिखर सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों पर विचारों का आदान-प्रदान भी होता है।

क्या है G7 का इतिहास

1970 के दशक में विकसित देश 1971 के निक्सन शॉक (Nixon shock- अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के आर्थिक सुधारों के बाद आई मंदी) और पहले तेल संकट (1973) जैसी कई चुनौतियों का सामना कर रहे थे। तब इन देशों ने व्यापक अर्थव्यवस्था, मुद्रा, व्यापार और ऊर्जा के नीतिगत समन्वय पर व्यापक चर्चा करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय मंच बनाने की जरूरत महसूस की। इसी सिलसिले में पहला G7 शिखर सम्मेलन नवंबर 1975 में तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति गिस्कार्ड डी'एस्टेटिंग के प्रस्ताव की पृष्ठभूमि में आयोजित किया गया। शिखर सम्मेलन पेरिस के बाहरी इलाके में स्थित शैटो डे रामबोइलेट में आयोजित किया गया था। पहले शिखर सम्मेलन में केवल छह देशों- फ्रांस, अमेरिका, यूके, जर्मनी, जापान और इटली ने भागीदारी की थी।

हिरोशिमा में G7 शिखर सम्मेलन आयोजित करने का महत्व

2023 में G7 की अध्यक्षता जापान द्वारा आयोजित की जा रही है। ये G7 का 49वां शिखर सम्मेलन है और इसे हिरोशिमा शिखर सम्मेलन भी कहा जा रहा है। G7 के नेता हिरोशिमा में चर्चा के लिए इकट्ठा हो रहे हैं, एक ऐसा शहर जो परमाणु बम की विनाशकारी क्षति से उबर चुका है और जो स्थायी विश्व शांति की तलाश में है। सम्मेलन के दौरान नेता परमाणु हथियारों के उपयोग की वास्तविकताओं से परिचित होंगे और शांति की अपनी इच्छा साझा करेंगे। जापान को उम्मीद है कि वह परमाणु हथियारों रहित दुनिया बनाने की दिशा में कदमों को मजबूत करेगा।

इस साल G7 के शिखर सम्मेलन में क्या अलग

अब तक के अधिकांश G7 शिखर सम्मेलनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था, क्षेत्रीय मामलों और विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर चर्चा हुई है। इनमें वैश्विक समस्याओं के समाधान पर बात हुई। इस साल G7 देशों के साथ-साथ भारत भी अतिथि देश के रूप में शिखर सम्मेलन का हिस्सा है। भारत के अलावा, यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की भी व्यक्तिगत रूप से शिखर सम्मेलन में शामिल हुए हैं।

1974 में पोखरण में परमाणु परीक्षण करने के बाद से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बनेंगे। हिरोशिमा में पीएम मोदी की उपस्थिति अहम है क्योंकि भारत उन कुछ देशों में से एक है जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। जी 7 नेता दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती उपस्थिति और ताइवान के क्षेत्र में इसके बढ़ते खतरे से निपटने के तरीकों पर भी चर्चा करेंगे। जापान में चीन के दूतावास ने गुरुवार को कहा कि चीन ने हाल ही में जी 7 शिखर सम्मेलन में चीन से संबंधित नकारात्मक कदमों पर अपनी चिंता जताई है। चीन ने जापान से सम्मेलन को सियासी शो में नहीं बदलने या चीन पर अंकुश लगाने की कोशिश नहीं करने की अपील की।

इस साल G20 की अध्यक्षता करने वाले भारत के अलावा G7 समूह ने यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कोमोरोस (अफ्रीकी संघ अध्यक्ष), कुक आइलैंड्स (प्रशांत द्वीप समूह फोरम अध्यक्ष), इंडोनेशिया (आसियान अध्यक्ष), दक्षिण कोरिया और वियतनाम को मेहमानों के रूप में आमंत्रित किया गया है। संयुक्त राष्ट्र, आईएमएफ, विश्व बैंक, डब्ल्यूएचओ और विश्व व्यापार संगठन भी शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | एक्सप्लेनर्स (explainer News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

लेटेस्ट न्यूज

अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited