क्या है Google Tax जिसे भारत 1 अप्रैल से हटाने की तैयारी में है...कितना फायदा, कितना नुकसान?
2016 में शुरू किया गया यह टैक्स सिस्टम विशेष रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया था कि भारतीय बाजार से भी अधिक राजस्व देने वाले विदेशी डिजिटल सेवा देने वाली कंपनियां भारत में भौतिक मौजूदगी न होने के बावजूद राजस्व में उचित हिस्से का योगदान दें।

गूगल टैक्स होगा खत्म
What is Google Tax: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकियों ने कई देशों को अपनी नीतियों पर दोबारा सोचने के लिए मजबूर कर दिया है, और भारत भी कोई अपवाद नहीं है। ट्रंप की टैरिफ धमकियों ने नीतियों में बदलाव लाने पर मजबूर कर दिया है और इस कड़ी में सरकार द्वारा 6% गूगल टैक्स को खत्म करने का कदम सबसे नया है। भारत द्वारा गूगल (Google) और मेटा जैसी विदेशी तकनीकी कंपनियों द्वारा प्रदान की जाने वाली ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर 6% इक्वलाइजेशन लेवी, को हटाने की संभावना है, जिसे अक्सर गूगल टैक्स भी कहा जाता है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त विधेयक में संशोधन के हिस्से के रूप में 1 अप्रैल, 2025 से यह टैक्स समाप्त किया जा सकता है।
2016 में लागू हुआ टैक्स
2016 में शुरू की गई यह लेवी यानी टैक्स विशेष रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया था कि भारतीय बाजार से बड़ा राजस्व देने वाले विदेशी डिजिटल सेवा देने वाली कंपनियां भारत में भौतिक मौजूदगी न होने के बावजूद अपने उचित हिस्से का योगदान दें। इसका मुख्य उद्देश्य घरेलू कंपनियों और विदेशी प्रौद्योगिकी समूहों के बीच मुकाबले को बराबरी पर लाना था। जहां भारतीय कंपनियां आयकर के दायरे में थीं, वहीं ये विदेशी टेक कंपनियां पारंपरिक अंतरराष्ट्रीय कर सिद्धांतों के तहत बिना टैक्स दिए डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से काम करती थीं।
गूगल टैक्स क्यों हटा रहा भारत?
आखिर भारत गूगल टैक्स क्यों हटा रहा है? इसे लेकर जानकार कहते हैं कि इस टैक्स को हटाना भारत के डिजिटल टैक्स ढांचे में बदलाव को दर्शाता है। इसे अमेरिका के साथ व्यापार टकराव को कम करने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में माना जा रहा है। अमेरिका लगातार इस टैक्स पर आपत्ति जता रहा था और उसका कहना था कि गूगल और मेटा जैसी अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियों के खिलाफ यह एक भेदभावपूर्ण भरा फैसला है।
अतीत में इस टैक्स ने विदेशी डिजिटल कंपनियों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाला है। इन कंपनियों को भारत में ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं से अर्जित राजस्व पर 6% टैक्स जमा करना पड़ता है। लेकिन ये लागत अक्सर विज्ञापनदाताओं पर डाल दी जाती है, जिससे भारतीय कंपनियों के लिए डिजिटल मार्केटिंग का खर्च बढ़ गया।
इससे फायदा या नुकसान?
टैक्स खत्म होने से विदेशी डिजिटल सेवा प्रदाताओं का पैसा बचेगा और लाभ मार्जिन में बढ़ोतरी का लाभ मिलेगा। इससे निवेश के माहौल में तेजी आएगी। वैश्विक प्लेटफॉर्म पर डिजिटल विज्ञापन सेवाओं का लाभ उठाने वाले भारतीय व्यवसायों की ओवरऑल मार्केटिंग लागत में भी कमी आ सकती है। इसके चलते अधिक डिजिटल आउटरीच और आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। सरकार को भले ही बड़े टैक्स से वंचित होना पड़ेगा लेकिन भारतीय व्यवसायों को इससे लाभ ही होगा।
विज्ञापन की लागत बढ़ी
दरअसल, शुरुआत में गूगल, फेसबुक जैसी कंपनियों द्वारा ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर अपनी ओर से 6% टैक्स ने भारतीय व्यवसायों के लिए विज्ञापन की लागत बढ़ा दी थी और इसके कारण लाभ में भारी कमी आई। एक तरह से यह उन टेक कंपनियों से टैक्स संग्रह बढ़ाने के मामले में नुकसानदायक साबित हुआ जो भारतीय ग्राहकों और टेक दिग्गजों से ऑनलाइन विज्ञापन सेवाएं लेने वाले व्यवसायों से लाभ कमा रही थीं।
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