क्या है इजरायल-फिलीस्तीन विवाद, जो 74 साल से नहीं सुलझ सका, कैसे हुआ था इस ताकतवर देश का गठन
इजरायल-फिलीस्तीन के बीच अक्सर जंग छिड़ जाती है। दोनों के बीच विवाद दशकों पुराना है। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि क्या है ये विवाद।
क्या है इजरायल-फिलीस्तीन विवाद
Israel Palestine Conflict: इजराइल में एक बार फिर इजरायली सेना और फिलीस्तीन के बीच संघर्ष छिड़ गया है। इजरायल ने मंगलवार तड़के इस्लामिक जिहाद समूह के ठिकानों पर हवाई हमले किए। फलस्तीन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि इस हमले में संगठन के तीन वरिष्ठ कमांडर, उनकी पत्नियों समेत कुल 13 लोगों की मौत हुई है। हमले सघन आवासीय क्षेत्र में किए गए। गाजा शहर में एक अपार्टमेंट की सबसे ऊपरी मंजिल और दक्षिणी शहर राफा में एक घर में विस्फोट हुआ। फलस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि 20 लोग घायल हुए हैं और एंबुलेंस के जरिए प्रभावित इलाके से लोगों को निकाला जा रहा है।
इजराइल ने कहा कि उग्रवादी प्रशिक्षण स्थलों को निशाना बनाते हुए सुबह तक हवाई हमले जारी थे। पहले भी गाजा में फलस्तीनी उग्रवादी संगठनों को निशाना बनाकर हमले किए गए थे जिस पर उन्होंने जवाबी कार्रवाई की थी। हवाई हमले के जवाब में फलस्तीन से रॉकेट दागे जाने की आशंका के मद्देनजर इजराइली सेना ने गाजा के 40 किलोमीटर के दायरे के भीतर रहने वाले निवासियों को बम रोधी आश्रय स्थलों के पास रहने का सुझाव दिया है। वहीं, हजारों फिलीस्तीनी इस घटना के विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं और संघर्ष का नया दौर शुरू हो गया है।
इजरायल-फिलीस्तीन के बीच अक्सर इस तरह की जंग छिड़ जाती है। दोनों के बीच विवाद दशकों पुराना है। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि क्या है ये विवाद और क्यों दशकों तक विवाद सुलझ नहीं पाया है।
क्या है विवाद?
आज इजरायल जिस जमीन पर बसा है, 19वीं सदी में वह पूरी जमीन फिलीस्तीन के नाम से जानी जाती थी। यहूदी पूरे यूरोप में बिखरे हुए थे और उनका शोषण हो रहा था। खास तौर पर जर्मनी में यहूदियों को असहनीय अत्याचार हुए। ऐसे ही दौर में फिलिस्तीन की ओर पलायन करने के लिए जियोनिस्ट आंदोलन शुरू हुआ। धीरे-धीरे फिलिस्तीन के इलाके में यहूदियों की संख्या बढ़ने लगी और उन्होंने यहां जमीनें खरीदना शुरू कर दिया। इस तरह उनका वर्चस्व बढ़ता गया। इसके बाद यहूदियों का फिलिस्तीनियों से टकराव शुरू हो गया। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हिटलर के शासन में 42 लाख यहूदी मार दिए गए। तब यहूदियों को लगा कि उनके लिए फिलिस्तीन ही सबसे सुरक्षित जगह है। इसके बाद दुनियाभर के यहूदी यहां पहुंचने लगे।
संयुक्त राष्ट्र में पहुंचा विवाद
दूसरे विश्व युद्ध के बाद यहूदियों और फिलिस्तीनियों के बीच विवाद इस कदर बढ़ गया कि मामला नए बने संयुक्त राष्ट्र में पहुंचा। यहां फैसला हुआ कि जहां यहूदियों की संख्या ज्यादा है, वो जगह यहूदियों को दे दी जाए और बाकी जमीन अरब बहुल फिलिस्तीन को सौंपी जाए। येरुशलम में दोनों पक्षों की आबादी लगभग बराबर थी। तब संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि यहां अंतर्राष्ट्रीय नियंत्रण कानून लागू होगा। इसके बाद 1948 में इजरायल का गठन हुआ। 5 जुलाई 1950 को इजरायल की संसद ने एक नया कानून बनाया जिसके अनुसार दुनिया के किसी भी कोने से यहूदियों को इजरायल में आकर बसने की आजादी मिली।
इजरायल ने आतंकी संगठनों को कुचला
इसके बाद इजराइल का पड़ोसी देशों से युद्ध शुरू हो गया। नतीजतन पूरे वेस्ट बैंक पर जॉर्डन का कब्जा हो गया और गाजा पट्टी मिस्र के कब्जे में आ गई। फिलिस्तीन की जगह पर इजराइल ने कब्जा कर लिया। इजराइल ने फिलिस्तीन के करीब पचास फीसदी हिस्से को कब्जा लिया। सात लाख फिलिस्तीनियों को देश छोड़ शरणार्थी बनना पड़ा। 1967 में इजराइल और पड़ोसी देशों में फिर युद्ध हुआ जिसमें इजराइल ने मिस्र से गाजा पट्टी और जॉर्डन से वेस्ट बैंक छीन लिया।
इसके बाद इजराइल-फिलीस्तीन में कई हिंसक झड़पें हुईं लेकिन हर बार फिलिस्तीन को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा। इसी दौर में फिलीस्तीन में आतंकी संगठन हमास का गठन भी हुआ, जिसने हिंसा का एक नया दौर चलाया। लेकिन इजरायल की ताकत के सामने ये आतंकी संगठन भी नहीं टिक सका। आज भी इजरायल किसी भी तरह की आतंकी गतिविधियों को सख्ती से कुचल देता है जिसका खामियाजा फिलीस्तीन के आम लोगों को भी भुगतना पड़ता है।
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