नवाज शरीफ ने माना पाकिस्तान ने की थी 1999 में दगाबाजी, जानिए क्या है लाहौर घोषणापत्र, किसने किया था नाकाम?
यह समझौता दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण संबंधों पर आधारित ता जिसके तहत तय हुआ था कि जम्मू-कश्मीर मुद्दे सहित सभी मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीकों से हल किया जाएगा।
अटल बिहारी वाजपेयी और नवाज शरीफ
What is Lahore Agreement: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ आखिर मान लिया कि 1999 का लाहौर समझौता खुद उनके देश ने ही तोड़ा था। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान पाकिस्तान की इसी दगाबाजी के बाद भारत-पाकिस्तान के संबंध निम्नतम स्तर पर चले गए थे। नवाज शरीफ ने माना कि पाकिस्तान ने भारत के साथ उनके और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 1999 में हस्ताक्षरित समझौते को तोड़ा था। मेजर जनरल केके सिन्हा ने टाइम्स नाउ को बताया कि पाकिस्तान ने दिन के उजाले में दुनिया की नजरों में भारत की पीठ में छुरा घोंपा। परवेज मुशर्रफ ने लाहौर समझौते को हाईजैक कर लिया था।
क्या था लाहौर समझौता?
पीएमएल-एन की एक बैठक में नवाज शरीफ ने कहा, 28 मई 1998 को पाकिस्तान ने पांच परमाणु परीक्षण किए। उसके बाद वाजपेयी साहब यहां आए और हमारे साथ एक समझौता किया। लेकिन हमने उस समझौते का उल्लंघन किया, यह हमारी गलती थी।। उनके इस बयान को साफ तौर पर जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा कारगिल दुस्साहस से जोड़कर देखा और माना जा रहा है। भारत और पाकिस्तान के बीच शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ 21 फरवरी, 1999 को नवाज शरीफ और तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे। पाकिस्तानी शहर लाहौर में एक ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के बाद 21 फरवरी, 1999 को लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए गए थे।
यह समझौता दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण संबंधों पर आधारित ता जिसके तहत तय हुआ था कि जम्मू-कश्मीर मुद्दे सहित सभी मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीकों से हल किया जाएगा। नई दिल्ली और इस्लामाबाद परमाणु हथियारों के अचानक या अनधिकृत उपयोग के जोखिम को कम करने और अन्य भरोसे वाले उपायों के लिए तुरंत कदम उठाने पर भी सहमत हुए थे।
पाक ने लाहौर समझौता कैसे तोड़ा?
1999 में लाहौर घोषणा के तुरंत बाद पाकिस्तानी सेना ने कश्मीरी आतंकवादियों के भेष में भारतीय सीमा में घुसपैठ की। इसे "ऑपरेशन बद्र" नाम दिया गया। घुसपैठियों ने भारतीय सेना की शीतकालीन खाली की गई चौकियों पर कब्ज़ा कर लिया। योजना यह थी कि सियाचिन ग्लेशियर पर भारतीय सेना को अलग-थलग करने के लिए कश्मीर और लद्दाख के बीच संपर्क को खत्म किया जाए और भारत को कश्मीर विवाद के समाधान के लिए बातचीत करने पर मजबूर किया जाए।
कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को भारी शिकस्त
घुसपैठ का पता चलने के बाद भारत ने घुसपैठियों को पीछे धकेलने के लिए शीतकालीन खाली चौकियों पर वायु सेना भेजी, जिनमें पाकिस्तानी सेना के जवान कब्जा जमाए बैठे थे। इसके बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय चलाया। यह भीषण लड़ाई समुद्र तल से 5,000 मीटर (16,400 फीट) ऊपर, ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी इलाकों के पास कठोर इलाके में हुई, जिसने भारतीय सेना ने जबरदस्त युद्धकौशल दिखाया। यह दो परमाणु हथियार संपन्न देशों के बीच पारंपरिक युद्ध का उदाहरण बनकर सामने आया। दो महीने बाद 26 जुलाई 1999 को युद्ध समाप्त हो गया। भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त झेलने पर मजबूर किया और अपने इलाकों व चौकियों पर दोबारा कब्जा जमाया। 1999 का कारगिल युद्ध आजादी के 52 साल बाद लड़ा गया था। पाक घुसपैठ के पीछे पाकिस्तानी सेना के तत्कालीन प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ की साजिश थी।
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