क्या है महादेव सट्टेबाजी ऐप मामला? विदेश तक फैले हैं Rs 6,000 करोड़ वाले इस सट्टेबाजी सिंडिकेट के तार
Mahadev Betting App Case : ईडी ने इस घोटाले की जांच को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक बढ़ा दिया है। इंटरपोल की मदद से उन विदेशी ऑपरेटरों की खोज की जा रही है, जो इस ऐप को मध्य पूर्व और यूरोप से चला रहे थे। दुबई में पूछताछ के दौरान कई महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं, जहां इस ऐप के मुख्य संचालक छिपे हो सकते हैं। जांच के दौरान ईडी ने कई गिरफ्तारियां की हैं और कई प्रमुख संचालक न्यायिक हिरासत में हैं।

महादेव बेटिंग ऐप घोटाला की जांच कर रही सीबीआई।
Mahadev Betting App Case : महादेव बेटिंग ऐप मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बुधवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रायपुर एवं भिलाई आवासों पर छापे मारे और वहां तलाशी अभियान चलाया। बघेल दिल्ली के लिए रवाना होने वाले थे लेकिन इससे पहले जांच एजेंसी ने छापे की कार्रवाई की। सीबीआई की इस कार्रवाई को कांग्रेस जहां राजनीति से प्रेरित बता रही है, वहीं यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। सीबीआई के छापे पूर्व CM भूपेश बघेल, एमएलए देवेंद्र यादव, विनोद वर्मा, ओएसडी मनीष बंछोर, पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, आईपीएस आनंद छाबड़ा, आईपीएस आरिफ शेख, आईपीएस अभिषेक पल्लव, एएसपी संजय ध्रुव, एएसपी अभिषेक माहेश्वरी के यहां पड़े हैं।
कथित घोटाले की अनुमानित राशि लगभग 6,000 करोड़ रुपए
दावा है कि महादेव एप मामले का सिंडिकेट कई प्रदेशों और विदेशों तक फैला है। मामले में ईडी और सीबीआई दोनों जांच एजेंसियां काम कर रही हैं। आरोप है कि अवैध सट्टेबाजी का यह नेटवर्क राजनीति, ग्लैमर से लेकर ऑन लाइन सट्टेबाजों तक फैला है। ईडी का दावा है कि यह ऐप एक व्यापक सिंडिकेट है, जो अवैध सट्टेबाजी वेबसाइटों के लिए उपयोगकर्ताओं की आईडी बनाने और 'बेनामी' बैंक खातों के माध्यम से धन शोधन के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों की व्यवस्था करता है। ईडी ने पहले कहा था कि कथित घोटाले की अनुमानित राशि लगभग 6,000 करोड़ रुपए है।
कई राज्यों और शहरों तक फैला हुआ है यह घोटाला
बाद में छत्तीसगढ़ सरकार ने इस ऑनलाइन सट्टेबाजी घोटाले महादेव बुक ऐप की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी। इस घोटाले में कई राज्यों, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों और प्रभावशाली हस्तियों की संलिप्तता सामने आने पर राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया। उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा, 'महादेव सट्टेबाजी ऐप घोटाला कई राज्यों और शहरों तक फैला हुआ है, और इसमें अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की भी संलिप्तता है। इसलिए राज्य सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है। इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है।'
70 मामले विभिन्न पुलिस स्टेशनों में दर्ज
छत्तीसगढ़ गृह विभाग द्वारा दिल्ली पुलिस स्थापना अधिनियम के तहत सीबीआई को जांच की सहमति दी गई । यह जांच महादेव ऑनलाइन जुआ प्लेटफॉर्म और इससे जुड़े अन्य संगठनों के खिलाफ दर्ज अपराध संख्या 6/2024 के तहत की जाएगी। यह मामले भारतीय दंड संहिता (IPC), भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, और जुआ अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत कई पुलिस थानों और आर्थिक अपराध अन्वेषण (ACB/EOW) में दर्ज किए गए। शर्मा ने आगे कहा, 'महादेव सट्टेबाजी ऐप से जुड़े 70 मामले विभिन्न पुलिस स्टेशनों में दर्ज हैं, जिनमें से एक मामला एसीबी/ईओडब्ल्यू के पास है। चूंकि इस घोटाले के तार कई राज्यों, शहरों और विदेशों तक फैले हैं, इसलिए इसे सीबीआई को सौंपा गया है। सभी दोषियों को सख्त सजा मिलेगी। जो लोग विदेश में छिपे हैं, उन्हें भी भारत लाया जाएगा—किसी को बख्शा नहीं जाएगा।'
5,000 करोड़ रुपये का मनी लॉन्ड्रिंग घोटाला
शर्मा ने पहले TOI को बताया था कि यह घोटाला सैकड़ों करोड़ रुपये का है, और इसमें आरोपी कई अन्य राज्यों के लोगों और विदेशी संपर्कों से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, "इस नेटवर्क का जितना विस्तार हो रहा है, उसे देखते हुए सीबीआई जांच अनिवार्य हो गई है।" यह महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी घोटाला भिलाई से जुड़े लोगों द्वारा संचालित किया गया था और इसे यूएई और भारत के विभिन्न राज्यों से नियंत्रित किया जाता था। 2023 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छत्तीसगढ़ में छापेमारी के बाद इस घोटाले का पर्दाफाश किया था।
कुछ बॉलीवुड हस्तियों से भी हुई पूछताछ
ईडी की जांच में सामने आया कि महादेव ऑनलाइन बेटिंग ऐप एक अवैध प्लेटफॉर्म था, जो क्रिकेट, फुटबॉल और अन्य जुआ गतिविधियों पर सट्टेबाजी की सुविधा प्रदान करता था। यह ऐप भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संचालित होता था और लोगों को आसान पैसे का लालच देकर फंसाता था। लेकिन असल में, यह अवैध कमाई को ऑफशोर खातों और शेल कंपनियों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग करने में लगा हुआ था। ईडी की छापेमारी में कई हाई-प्रोफाइल लोगों के नाम सामने आए, जिनमें राजनेता, नौकरशाह, व्यवसायी और फिल्मी हस्तियां शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ बॉलीवुड हस्तियों को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया था क्योंकि वे या तो इस ऐप का प्रचार कर रहे थे या इसके संचालन में निवेश कर चुके थे।
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अंतरराष्ट्रीय जांच और इंटरपोल की मदद
ईडी ने इस घोटाले की जांच को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक बढ़ा दिया है। इंटरपोल की मदद से उन विदेशी ऑपरेटरों की खोज की जा रही है, जो इस ऐप को मध्य पूर्व और यूरोप से चला रहे थे। दुबई में पूछताछ के दौरान कई महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं, जहां इस ऐप के मुख्य संचालक छिपे हो सकते हैं। जांच के दौरान ईडी ने कई गिरफ्तारियां की हैं और कई प्रमुख संचालक न्यायिक हिरासत में हैं। ईडी अब उन लोगों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत आरोप पत्र दाखिल करने की तैयारी कर रहा है। कई बैंक खाते और संपत्तियां जब्त कर ली गई हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर आरोप
छत्तीसगढ़ में भाजपा के सत्ता में आने के बाद, राज्य की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने ईडी की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की। इस एफआईआर में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और अन्य को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं 120B (आपराधिक साजिश), 406 (अमानत में खयानत), 420 (धोखाधड़ी), 467, 468 (जालसाजी) और 471 (फर्जी दस्तावेज का उपयोग) के तहत आरोपी बनाया गया है। ईडी ने पहले आरोप लगाया था कि सरकारी अधिकारियों को "प्रोटेक्शन मनी" दी जा रही थी, ताकि वे इस अवैध गतिविधि को नजरअंदाज करें।
450 करोड़ रुपये प्रति माह की अवैध कमाई
19 जुलाई को EOW ने इस घोटाले में पहली चार्जशीट एक स्थानीय अदालत में दायर की। चार्जशीट में दावा किया गया कि महादेव बुक ऐप के प्रमोटरों को पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों, साथ ही राजनीतिक नेताओं से संरक्षण प्राप्त था। इसके अलावा, चार्जशीट में यह भी कहा गया कि 2020 के लॉकडाउन के बाद से महादेव ऐप और उसके पैनल ऑपरेटरों ने प्रति माह लगभग ₹450 करोड़ कमाए हैं।
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