आखिर क्या है मियावाकी टेक्निक? जिसका इस्तेमाल करके नेशनल Highway पर पेड़ लगाएगी NHAI

Miyawaki Technique Plan for National Highway(NHAI): मियावाकी टेक्निक का उपयोग करके वनरोपण के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती है। महज 3 वर्ग मीटर जितनी छोटी जगह पर भी इस तकनीक का इस्तेमाल करके वन लगाया जा सकता है। NHAI ने नेशनल हाईवे पर पेड़ लगाने के लिए इसका उपयोग करेगी। आपको इस मियावाकी के बारे में बताते हैं।

मियावाकी टेक्निक को जानिए।

What is Miyawaki Technique: चिलचिलाती गर्मी में यदि आपको सड़कमार्ग से सफर करना पड़ जाए, वो भी अगर ये सफर हाईवे का हो, जो अंदाजा भर लगाइए कि प्रचंड गर्मी (Heatwave) में आपका क्या हाल होगा। इन दिनों सूरज आग का गोला बन चुका है। राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highway) के सफर की सबसे बड़ी समस्या ये होती है कि यहां दूर-दूर तक पेड़ नजर नहीं आते। यही वजह है कि हाईवे के सफर पर धूप की मार और दोगुनी हो जाती है।

मियावाकी तकनीक से NHAI कुल 53 एकड़ क्षेत्र में लगाएगा पेड़

यात्रियों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (National Highways Authority of India- NHAI) ने ये घोषणा की है कि वह दिल्ली-NCR में नेशनल हाईवे के किनारे अलग-अलग इलाकों में कुल 53 एकड़ क्षेत्र में पेड़ लगाएगा। इस घोषणा की सबसे खास बात ये है कि पेड़ लगाने के लिए मियावाकी तकनीक (Miyawaki plantations) का इस्तेमाल किया जाएगा। ऐसे में आपको इस लेख के जरिए समझाते हैं कि आखिर मियावाकी टेक्निक आखिर होती क्या है, इससे क्या लाभ हैं और इसकी प्रक्रिया क्या होती है।

राष्ट्रीय राजमार्ग (साभार- Freepik)

क्या है मियावाकी टेक्निक, कहां से आई ये पद्धति?

सबसे पहले आपको समझाते हैं कि आखिर मियावाकी टेक्निक है क्या चीज, जिसका इस्तेमाल करके पेड़ लगाने की बात कही जा रही है। इस पद्धति के बारे में बताया गया है कि इसका उपयोग करके पॉकेट वनों को लगाया जाता है, जिससे जैव विविधता का निर्माण किया जा सके। साथ ही शहरी क्षेत्रों को पुनर्जीवित करने के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है। वनरोपण के लिए मियावाकी विधि को जापानी वनस्पतिशास्त्री और पादप पारिस्थितिकी विशेषज्ञ (Japanese Botanist and Plant Ecologist) प्रोफेसर अकीरा मियावाकी ने विकसित किया था। प्रकृति के पारिस्थितिकी तंत्र से प्रेरणा लेकर इसमें मात्र 20-30 वर्षों में 100% जैविक, सघन और विविधतापूर्ण अग्रणी वनों का निर्माण किया गया।

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