क्या है नागास्त्र-3 जिससे दुश्मनों का पलभर में होगा खात्मा, क्यों कहा जा रहा इसे साइलेंट किलर?
नागास्त्र-3 नामक यह हथियार वर्तमान में रक्षा मंत्रालय से परियोजना स्वीकृति आदेश (PSO) के तहत प्रोटोटाइप चरण में है। इसे रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) 2020 की मेक-I श्रेणी के तहत विकसित किया जा रहा है। जानिए क्या-क्या होंगी खासियतें।

नागास्त्र -3 पर हो रहा काम
What is Nagastra-3: नागास्त्र-1 और नागास्त्र-2 के बाद अब भारतीय सेना को स्वदेशी नागास्त्र-3 मिलेगा जिसे दुश्मनों का काल माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को महाराष्ट्र के नागपुर में सोलर इंडस्ट्रीज के दौरे के दौरान प्रमुख स्वदेशी रक्षा परियोजनाओं की समीक्षा की। इसमें सोलर इंडस्ट्रीज की इकाई सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड द्वारा विकसित की जा रही अगली पीढ़ी की लोइटरिंग म्यूनिशन प्रणाली भी शामिल है। इसकी खासियतें ही दुश्मनों के होश उड़ाने के लिए काफी है।
नागास्त्र-3 नामक यह हथियार वर्तमान में रक्षा मंत्रालय से परियोजना स्वीकृति आदेश (PSO) के तहत प्रोटोटाइप चरण में है। इसे रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) 2020 की मेक-I श्रेणी के तहत विकसित किया जा रहा है। इसकी परिचालन सीमा 100 किलोमीटर तक है और यह पांच घंटे से अधिक समय तक चल सकती है, जो इसके पहले के मॉडल के मुकाबले इसकी ताकत बहुत ज्यादा है।
क्या है नागास्त्र-3?
नागस्त्र-3 एक घूमने वाला हथियार है जिसे आत्मघाती ड्रोन या कामिकेज ड्रोन भी कहा जाता है। इसे एक निश्चित समय के लिए टारगेट वाले इलाके में मंडराते रहने के लिए डिजाइन किया गया है। फिर एक सटीक हमले के साथ यह टारगेट को नष्ट कर देता है। ये सिस्टम पायलटों की जान जोखिम में डाले बिना दुश्मन के इलाके में चलते-फिरते टारगेट को ध्वस्त करने में सक्षम है।
लोइटरिंग म्यूनिशन को जो बात सबसे अलग बनाती है, वह है उनका हाइब्रिड फीचर। ये मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) की खुफिया, निगरानी और टोही क्षमताओं को मिसाइलों की स्ट्राइक क्षमता के साथ जोड़ते हैं, जिससे रियल टाइम युद्ध के मैदान में दुश्मन पर बढ़त मिलती है।
लोइटरिंग म्यूनिशन सिस्टम
सबसे शुरुआती लोइटरिंग म्यूनिशन सिस्टम का इस्तेमाल 1980 के दशक में फिक्स्ड सरफेस टू एयर मिसाइल के खिलाफ दुश्मन की वायु रक्षा को ध्वस्त करने में किया गया था। समय के साथ इन एलएम की भूमिका कई मिशन ऑपरेशनों जैसे कि एंटी-पर्सनल, एंटी-बंकर, एंटी-आर्मर और एयर बेस, मिसाइल बेस और अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे जैसे दुश्मनों की अहम ठिकानों के विनाश के लिए छोटी दूरी (2-15 किमी), मध्यम दूरी (15-50 किमी) और लंबी दूरी (50-100 किमी) के लिए सटीक है।
नागास्त्र-1
2024 में भारतीय सेना में नागास्त्र-1शामिल किया गया था, यह भारत का पहला स्वदेशी लोइटरिंग हथियार सिस्टम था जिसमें 75 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री थी। लगभग 30 किलोग्राम वजनी यह हथियार पोर्टेबल था और इसे दो बैग में रखा जा सकता था। इसमें 1 किलोग्राम का उच्च विस्फोटक वारहेड, 60 मिनट की सहनशक्ति और 2 मीटर की स्ट्राइक सटीकता थी। यह सिस्टम 15 किलोमीटर के भीतर मैनुअल मोड में संचालित होता था, जिसे ऑटोमैटिक मोड में 30 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता था। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका पैराशूट रिकवरी सिस्टम था, जिससे मिशन के निरस्त होने पर इसे सुरक्षित रूप से वापस लाया जा सकता था।
नागास्त्र-2
इसके बाद नागास्त्र-2 अधिक मारक क्षमता से युक्त था। 20 किलोग्राम वजनी इस हथियार में 4 किलोग्राम का एंटी-टैंक/एंटी-पर्सनल वारहेड, एक पोर्टेबल न्यूमेटिक लॉन्चर और सभी मौसमों में रियल-टाइम टारगेटिंग के लिए डुअल डे-नाइट सेंसर लगे थे। नागास्त्र-1 की तरह, इसमें भी दोबारा इस्तेमाल के लिए पैराशूट-आधारित रिकवरी सिस्टम को बरकरार रखा गया।
नागास्त्र-3
नागास्त्र-3, जिसे मीडियम रेंज प्रिसिजन किल सिस्टम (MRPKS) के तहत एक प्रोटोटाइप के रूप में विकसित किया जा रहा है, सबसे लंबी छलांग है। न सिर्फ एक हथियार सिस्टम के रूप में बल्कि रक्षा आत्मनिर्भरता के लिए भारत के बढ़ते प्रयासों का एक प्रतीक भी है।
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