NDRF में कौन होते हैं, कब हुआ इसका गठन, आपदाओं के समय 'देवदूत' बन जाते हैं इसके कर्मी

What is NDRF : प्राकृतिक आपदाओं के लिए एक समर्पित बल बनने के बाद एनडीआरएफ की पहली परीक्षा 2008 के कोसी बाढ़ में हुई। 19 अगस्त 2008 को कोसी बैराज में दरार आने के बाद एनडीआरएफ को तत्काल बिहार रवाना किया गया। इस आपदा में एनडीआरएफ ने अपनी क्षमता और काबिलियत का शानदार प्रदर्शन किया।

NDRF team

प्राकृतिक आपदाओं से बचाव करती है एनडीआरएफ।

मुख्य बातें
  • साल 2006 में आठ बटालियन के साथ एनडीआरएफ का गठन हुआ
  • अभी एनडीआरएफ में 12 बटालियन हैं, हर बटालियन में 1,149 कर्मी
  • इसमें BSF, CRPF, CISF, ITBP, SSB के जवान होते हैं

What is NDRF : प्राकृतिक आपदाओं या कुदरती कहर को रोका नहीं जा सकता। यह सदियों से प्रकृति का हिस्सा रहा है। इनसे जान-माल का नुकसान भी होता आया है लेकिन 1990 के दशक के बाद इन प्राकृतिक आपदाओं में तेजी आई और इनके विध्वंस का स्तर भी ज्यादा रहा। साल 1999 में ओडिशा में आए भीषण चक्रवात, 2001 के गुजरात भूकंप और साल 2004 में आई हिंद महासागर में आई भीषण सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने सरकार को एक ऐसे बल का गठन करने के लिए बाध्य किया जो इनसे प्रभावी तरीके से निपटे और जान-माल के नुकसान को कम कर सके। इन प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए सरकार ने व्यापक आपदा प्रबंधन योजना तैयार की और दिसंबर 2005 में आपदा प्रबंधन कानून बना। फिर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने इस बल की नीतियां, योजना और गाइडलाइन तैयार की।

आठ बटालियन के साथ एनडीआरएफ का गठन

आपदा प्रबंधन कानून में ही प्राकृति एवं मानव जनित आपदाओं से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) को संवैधानिक शक्तियां दी गई हैं। इस कानून के तहत ही साल 2006 में आठ बटालियन के साथ एनडीआरएफ का गठन हुआ। अभी वर्तमान में एनडीआरएफ के पास 12 बटालियन हैं और हर एक बटालियन में 1149 कर्मी हैं। शुरुआत में एनडीआरएफ कर्मियों की तैनाती कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने में भी की जाती थी लेकिन 2007 में इसका काम केवल प्राकृतिक आपदाओं तक सीमित कर दिया गया। साल 2008 में एनडीआरएफ रूल्स अधिसूचित हुए। आपदाओं और उससे जुड़े कार्यों के लिए इसे एकीकृत कमांड डीजी एनडीआरएफ के तहत एक समर्पित बल बना दिया गया।

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कोसी बाढ़ पहली परीक्षा

प्राकृतिक आपदाओं के लिए एक समर्पित बल बनने के बाद एनडीआरएफ की पहली परीक्षा 2008 के कोसी बाढ़ में हुई। 19 अगस्त 2008 को कोसी बैराज में दरार आने के बाद एनडीआरएफ को तत्काल बिहार रवाना किया गया। इस आपदा में एनडीआरएफ ने अपनी क्षमता और काबिलियत का शानदार प्रदर्शन किया। इसने युद्ध स्तर पर राहत एवं बचाव कार्य चलाए। इसने बाढ़ में फंसे 153 लोगों को एयरलिफ्ट किया। बाढ़ के शुरुआती चरण में ही एनडीआरएफ ने एक लाख से ज्यादा बाढ़ प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। इस बाढ़ की विभीषका से लोगों को बचाने में एनडीआरएफ द्वारा किए गए कार्यों की सराहना बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने भी की।

अपने गठन के बाद से ही एनडीआरएफ अपनी सेवाओं से लोगों का दिल जीतता आया है। कहीं भी आपदा और दुर्घटना होने पर एनडीआरएफ सबसे पहले पहुंचता है। जिंदगियां बचाने में इसके कर्मी रात-दिन लगे रहते हैं। एनडीआरएफ के कर्मी अपनी जान पर खेलकर कई बार लोगों को जिंदगियां बचाते रहे हैं।

एनडीआरएफ के बड़े बचाव एवं राहत कार्य

  • जुलाई 2007-भावनगर बाढ़
  • अगस्त 2018-केरल बाढ़
  • जून 2009-चक्रवात आइला
  • जुलाई 2009 -गुजरात बाढ़
  • मई 2010-चक्रवात लाइला
  • जनवरी 2010 -बेल्लारी का इमारत हादसा
  • 2011 जापान- मियागी राहत एवं बचाव कार्य
  • अप्रैल 2012 -जालंधर इमारत हादसा
  • 2013- चक्रवात फालिन
  • सितंबर 2014-जम्मू-कश्मीर बाढ़
  • अक्टूबर 2014-चक्रवात हुदहुद
  • अप्रैल 2015- नेपाल भूकंप
  • 2015-बिलासपुर सुरंग हादसा
  • दिसंबर 2015-तमिलनाडु, पुडुचेरी बाढ़

मोटे तौर पर एनडीआरएफ देश-विदेश में 100 से ऊपर आपरेशंस को अंजाम दे चुकी है। ये बाढ़, भूकंप,तूफान, भूस्खलन, प्राकृतिक आपदा, भवन ढहने जैसी आपदाओं में दिए गए।

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CBRN का भी कर कते हैं सामना

अभी एनडीआरएफ में 12 बटालियन हैं। इसमें बीएसएफ और सीआरपीएफ दोनों से तीन-तीन और सीआईएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी की दो-दो बटालियन शामिल हैं। हर एक टीम में 18 स्पेशलिस्ट के साथ 45 कर्मी होते हैं। टीम में इंजीनियर, टेक्निशियन, इलेक्ट्रिशियन, श्वान दल और मेडिकल-पैरामेडिक्स के लोगों को रखा जाता है। प्रत्येक बटालियन की कुल क्षमता 1,149 लोगों की होती है। प्राकृतिक और मानव जनित दोनों आपदाओं से निपटने के लिए इन सभी 12 बटालियन के कर्मी अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं। इसके अलावा केमिकल, बॉयोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर (CBRN) का सामना करने के लिए भी इन्हें प्रशिक्षित किया गया है। एनडीआरएफ की ये 12 बटालियन देश के अलग-अलग हिस्सों में हैं। इसका मकसद किसी आपदा के समय कम समय में इन्हें घटनास्थल पर पहुंचाना है। इस बल का मुख्यालय दिल्ली में है।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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