नए क्रिमिनल एक्ट पर क्या है असल विवाद? जिसे विपक्ष ने बनाया मुद्दा, जानें तीनों कानूनों से जुड़ी सारी ABCD
Politics on Criminal Act: आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन पर विपक्षी दलों ने आखिर क्यों मोर्चा खोल दिया है और इसे टालने की मांग कर रहा है। कांग्रेस का कहना है कि संसद की स्थायी समिति इनकी समीक्षा कर सके, इसके लिए इसे टालना चाहिए। आपको तीनों नए कानून के बारे में सबकुछ बताते हैं। और ये सारा विवाद समझाते हैं।
तीनों आपराधिक कानूनों पर राजनीति।
What Is New Criminal Laws: तीनों नए क्रिमिनट एक्स भारतीय न्याय संहिता , भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के लागू होने के मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। 20 दिसंबर, 2024 को लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि तीन आपराधिक कानूनों के स्थानों पर लाए गए विधेयक मानव केंद्रित न्याय प्रणाली सुनिश्चित करेंगे तथा अब लोगों को ‘तारीख पे तारीख’ नहीं मिलेगी। अब लोकसभा चुनाव के बाद विपक्षी दलों के गठबंधन में शामिल पार्टियां इस कानून का विरोध कर रही हैं। आपको असल विवाद समझना चाहिए।
तीनों कानूनों को लेकर क्या है असल विवाद?
जब ये विधेयक पारित किए गए जा रहे थे तब 146 सांसदों को लोकसभा और राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था। विपक्षी सांसदों के निलंबन के मुद्दे ने उस वक्त जमकर तूल पकड़ा था। अब इसी को लेकर विपक्षी पार्टियां तीन आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन को टालने की मांग कर रही हैं। कांग्रेस के अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भी इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
आपराधिक कानूनों पर कांग्रेस की मांग
कांग्रेस ने कहा कि तीन नए आपराधिक कानूनों का क्रियान्वयन टाला जाना चाहिए ताकि इन तीनों कानूनों की गृह मामलों से संबंधित संसद की पुनर्गठित स्थायी समिति द्वारा गहन समीक्षा की जा सके। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने केंद्र सरकार से यह आग्रह उस वक्त किया है जब पिछले दिनों कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा था कि भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर लाए गए भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक जुलाई से लागू किए जाएंगे।
146 सांसदों के निलंबन का मुद्दा उठाया
रमेश ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, '25 दिसंबर 2023 को राष्ट्रपति ने भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 को अपनी सहमति दी थी। इन तीन दूरगामी विधेयकों को बिना उचित बहस और चर्चा के संसद से मनमाने ढंग से पारित कर दिया गया था।' उन्होंने कहा कि जब ये विधेयक पारित किए गए जा रहे थे तब 146 सांसदों को लोकसभा और राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था। रमेश ने दावा किया, 'इससे पहले इन विधेयकों को देश भर के पक्षकारों के साथ विस्तार से बातचीत के बिना और कांग्रेस सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के कई सांसदों (जो समिति के सदस्य थे) के लिखित और बड़े पैमाने पर असहमति से भरे नोट को नजरअंदाज करते हुए गृह मामलों पर स्थायी समिति के माध्यम से जबरन अनुमोदित कर दिया गया था।'
जयराम रमेश ने कहा, 'तीन नए कानून एक जुलाई 2024 से लागू होने हैं। कांग्रेस की यह स्पष्ट राय है कि इन तीन कानूनों के कार्यान्वयन को टाला जाना चाहिए। ऐसा इसलिए ताकि इन तीनों कानूनों की गृह मामलों पर पुनर्गठित स्थायी समिति द्वारा गहन समीक्षा और फ़िर से जांच की जा सके।' रमेश का यह भी कहना है कि समिति उन सभी कानूनी विशेषज्ञों और संगठनों के साथ व्यापक एवं सार्थक ढंग से विचार-विमर्श करे जिन्हें तीन कानूनों को लेकर गंभीर चिंताएं हैं। उसके बाद 18वीं लोकसभा और राज्यसभा में भी सदस्यों की चिंताएं सुनी जाएं।
ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
इसे लेकर सीएम ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। ममता पीएम मोदी को पत्र लिखकर तीन आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन को टालने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि ये तीनों विधेयक लोकसभा में ऐसे समय में पारित हुए, जब 146 सांसद सदन से निलंबित थे। ममता ने कहा कि आपकी पिछली सरकार ने इन तीन महत्वपूर्ण विधेयकों को एकतरफा और बिना किसी बहस के पारित कर दिया था। उस दिन, लोकसभा के लगभग 100 सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था और दोनों सदनों के कुल 146 सांसदों को संसद से बाहर निकाल दिया गया था। लोकतंत्र के उस काले दौर में विधेयकों को तानाशाहीपूर्ण तरीके से पारित किया गया। मामले की अब समीक्षा होनी चाहिए।
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कब लागू होंगे तीनों नए आपराधिक कानून
एक जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (2023), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (2023) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (2023) लागू हो जाएंगे। इन कानूनों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लाया गया है।
नए कानूनों में क्या क्या बदल जाएगा?
- आतंकवाद की व्याख्या अब तक किसी भी कानून में नहीं थी। पहली बार अब मोदी सरकार आतंकवाद की व्याख्या करने जा रही है।
- सरकार राजद्रोह को देशद्रोह में बदलने जा रही है।
- ‘मॉब लिंचिंग’ घृणित अपराध है और इस कानून में इस अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान किया जा रहा है।
- नये कानूनों में महिलाओं और बच्चों को प्रभावित करने वाले कानूनों को प्राथमिकता दी गई है, उसके बाद मानव अधिकारों से जुड़े कानूनों और देश की सुरक्षा से संबंधित कानूनों को प्राथमिकता दी गई है।
- यौन हिंसा के मामलों में बयान महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट ही करेगी। पीड़िता का बयान उसके आवास पर महिला पुलिस अधिकारी के सामने ही दर्ज होगा।
- झूठे वादे या पहचान छुपाकर यौन संबंध बनाना अब अपराध की श्रेणी में आएगा। गैंगरेप के मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास की सजा होगी।
- अब शिकायत मिलने के तीन दिन के भीतर पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करनी होगी और 14 दिन के भीतर प्रारंभिक जांच पूरी करनी होगी।
- जांच रिपोर्ट 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट को सौंपनी होगी, आरोप पत्र दाखिल करने में 180 दिनों से अधिक की देरी नहीं की जा सकती है और अगर जांच अभी भी लंबित है, तो भी अदालत से विशेष अनुमति लेनी होगी।
- न्यायाधीश 45 दिनों से अधिक समय तक फैसला सुरक्षित नहीं रख पाएंगे, ऐसे अपराध के मामलों में एफएसएल टीम का दौरा अनिवार्य होगा, जहां सजा सात साल से अधिक है।
- अब आरोपियों को बरी करने के लिए याचिका दायर करने के लिए सात दिन का समय मिलेगा। न्यायाधीश को उन सात दिनों में सुनवाई करनी होगी और अधिकतम 120 दिनों में मामले की सुनवाई होगी।
- छोटे-मोटे अपराधिक मामलों में समरी ट्रायल में तेजी लाई जाएगी। 3 साल तक की सजा वाले मामलों में समरी ट्रायल अब मजिस्ट्रेट कर सकते हैं।
- 10 साल या उससे अधिक, आजीवन एवं मृत्युदंड के दोषी प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर घोषित किए जा सकेंगे।
- घोषित अपराधियों की भारत से बाहर की सम्पत्ति को जब्त करने का नया प्रावधान होगा।
अमित शाह ने दिसंबर माह में भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए यह भी कहा था कि ‘व्यक्ति की स्वतत्रंता, मानव के अधिकार और सबके साथ समान व्यवहार’ रूपी तीन सिद्धांत के आधार पर ये प्रस्तावित कानून लाए गए हैं। गृह मंत्री के जवाब के बाद सदन ने तीनों विधेयकों को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई थी।
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