सीधी पेशाब कांड के आरोपी पर लगा NSA, जानिए क्या है रासुका, क्यों घबराते हैं अपराधी?

सीधी पेशाब कांड में आरोपी पर राष्ट्रीय सुरक्षा एक्ट यानि रासुका लगा है। क्या है रासुका और इसमें क्या-क्या प्रावधान हैं, आपको बता रहे हैं।

NSA

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What is NSA: मध्य प्रदेश के सीधी जिले से एक आदिवासी युवक के ऊपर पेशाब करने का वीडियो सामने आने के बाद सियासी घमासान मच गया है। आरोप है कि अदिवासी युवक पर पेशाब करने वाला युवक बीजेपी का कार्यकर्ता है, और जिस आदिवासी शख्स पर पेशाब किया गया उसका नाम दशमत रावत है। ये मामला तूल पकड़ गया है। सीधी जिले के वायरल वीडियो पर सीएम शिवराज ने संज्ञान लिया है। मामले की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रशासन को सख्त निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि अपराधी को किसी कीमत पर नहीं छोड़ा जाए, कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। सीएम ने अपराधी पर एनएसए के तहत कार्रवाई करने निर्देश दिए। आखिर क्या है राष्ट्रीय सुरक्षा एक्ट यानि रासुका (National Security Act) और इसमें क्या-क्या प्रावधान हैं, आपको बता रहे हैं।

क्या है NSA?

नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) यानि रासुका एक ऐसा कानून है जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि अगर किसी व्यक्ति से कोई खास खतरा सामने आता है तो उस व्यक्ति को हिरासत में लिया जा सकता है। अगर सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति देश के लिए खतरा है, तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है। इसमें आसानी से जमानत नहीं मिलती, इसलिए अपराधी इस कानून से घबराते हैं।

कौन दे सकता है आदेश?

अगर कोई व्यक्ति पुलिस हिरासत में है, तो भी डीएम उस पर एनएसए लगाने का आदेश दे सकता है। अगर कोई व्यक्ति जमानत पर चल है, उसके खिलाफ भी एनएसए लगाया जा सकता है। अगर किसी भी व्यक्ति को केस से बरी भी कर दिया गया है, उस पर भी रासुका लगाया जा सकता है।

जमानत का क्या प्रावधान?

इसमें लोगों को जमानत नहीं मिलती। फाइनली एक रासुका बोर्ड होता है, जिसके द्वारा रासुका लगाना सुनिश्चित किया जाता है। वह नहीं लगाएगा तो रासुका लगाने के बाद भी व्यक्ति छूट जाता है। पहले तीन महीने के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है।

किन हालात में गिरफ्तारी

  • अगर सरकार को लगता कि कोई व्यक्ति उसे देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले कार्यों को करने से रोक रहा है तो वह उसे गिरफ्तार करने की शक्ति दे सकती है।
  • अगर सरकार को ये लगे कि कोई व्यक्ति कानून-व्यवस्था चलाने में उसके सामने बाधा खड़ा कर रहा है, तो वह उसे गिरफ्तार करने का आदेश दे सकती है।
  • अगर सरकार को लगे कि कोई व्यक्ति आवश्यक सेवा की आपूर्ति में बाधा बन रहा है तो वह उसे गिरफ्तार करवा सकती है।
  • इस कानून के तहत जमाखोरों की भी गिरफ्तारी की जा सकती है।
  • इस कानून का इस्तेमाल जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकती है।

बिना जमानत हिरासत

रासुका के अनुसार पुलिस कोई भी संदिग्ध व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है। उसे तीन महीने तक बिना जमानत के ही हिरासत में रख सकते हैं। हिरासत में रखने के लिए आरोप तय करने की भी जरूरत नहीं होती है। यहां तक कि हिरासत की समय अवधि को 12 महीने तक बढ़ाया जा सकता है।
अगर, गिरफ्तारी के पर्याप्त कारण साबित हो जाते हैं तो आरोपी को गिरफ्तारी की अवधि से एक साल तक हिरासत में रखा जा सकता है। समय अवधि पूरा होने से पहले न तो सजा समाप्त की जा सकती है और ना ही उसमें फेरबदल हो सकता है।
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अमित गौतम author

पत्रकारिता में चार साल का तजुर्बा। राजनीतिक खबरों की नब्ज पहचानता हूं। कुछ नया करने की हर वक्त कोशिश करता हूं।और देखें

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