क्या होता है लोकसभा स्पीकर का कामकाज? जानें इस पद की शक्तियां और 7 खास बातें

Lok Sabha Speaker: लोकसभा अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर इस बार दिलचस्पी बढ़ गई है। अगला स्पीकर कौन होगा, इस सवाल का जवाब 26 जून को मिल जाएगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर लोकसभा अध्यक्ष का कामकाज क्या होता है और इस पद पर बैठे व्यक्ति के पास क्या-क्या शक्तियां होती हैं?

Lok Sabha Speaker Responsibility and Power

कौन बनेगा अगला लोकसभा स्पीकर?

Parliament News: क्या आप जानते हैं कि लोकसभा स्पीकर का कामकाज क्या होता है और इस पद पर बैठे व्यक्ति के पास क्या-क्या शक्तियां होती हैं? 26 जून को लोकसभा अपने नये अध्यक्ष का चुनाव करेगी। सदन के सदस्य उम्मीदवारों के समर्थन में प्रस्ताव के लिए एक दिन पहले दोपहर 12 बजे तक नोटिस दे सकते हैं। हालांकि सत्ताधारी गठबंधन NDA और विपक्षी दलों के गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूजिव अलायंस (INDIA) की ओर से उम्मीदवार के नाम पर अब तक मुहर नहीं लगी है। आपको इस लेख के जरिए समझाते हैं कि आखिर लोकसभा अध्यक्ष का क्या कार्य होता है, उनके काम क्या-क्या शक्तियां होती हैं। आपको 5 बिंदुओं में उनके कामकाज के बारे में बताते हैं।

7 बिंदुओं में समझिए स्पीकर का कामकाज

  1. लोकसभा अध्यक्ष लोकसभा के सत्रों की अध्यक्षता करता है।
  2. स्पीकर के पद पर बैठा व्यक्ति सदन के कामकाज का संचालन करता है।
  3. लोकसभा स्पीकर ये फैसला करता है कि कोई विधेयक, धन विधेयक (Money Bill) है या नहीं।
  4. अध्यक्ष ही यह तय करता है कि सदन की बैठक में क्या एजेंडा लिया जाना है।
  5. लोकसभा स्पीकर सदन का अनुशासन और मर्यादा बनाए रखता है।
  6. अनुशासन और मर्यादा में बाधा पहुंचाने वाले सांसदों को स्पीकर दंडित भी कर सकता है।
  7. लोकसभा स्पीकर अलग-अलग प्रस्ताव और संकल्पों को लाने की अनुमति देता है।
लोकसभा स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में ही यह आता है कि वो विभिन्न प्रकार के प्रस्ताव और संकल्पों, स्थगन प्रस्ताव, जैसे अविश्वास प्रस्ताव, सेंसर मोशन, इत्यादि को लाने की इजाजत देता है। लोकसभा स्पीकर ही इन प्रस्ताव पर अटेंशन नोटिस देता है।

लोकसभा स्पीकर को कौन दिलाता है शपथ?

संसद के निचले सदन यानी लोकसभा का अध्यक्ष अन्य लोकसभा सदस्यों की ही तरह एक सदस्य के रूप में शपथ लेता है। उसका शपथ भी कार्यकारी अध्यक्ष द्वारा ही कराया जाता है। यदि कार्यकाल की बात की जाए तो किसी लोकसभा अध्यक्ष के लोकसभा के भंग होने तक होता है। कुछ परिस्थितियों में वह इससे पहले भी पदमुक्त हो सकता है। लोकसभा अध्यक्ष को लोकसभा के प्रभावी बहुमत द्वारा हटाया जा सकता है। हालांकि नियम ये कहते हैं कि इसकी सूचना 14 दिन पहले लोकसभा अध्यक्ष को देनी जरूरी है।

राजनितिक दल से इस्तीफा देने की अपेक्षा

वेस्टमिंस्टर प्रणाली पर आधारित किसी भी अन्य शासन-व्यवस्था के वैधायिकीय सभापति के सामान ही लोकसभा के सभापति की भूमिका होती है। लोकसभा चुनावों के बाद उसका निर्वाचन होता है। लोकसभा की प्रथम बैठक में ही इस पद के लिए चुनाव होते हैं। लोकसभा स्पीकर से ये अपेक्षा की जाती है कि वो अपने राजनितिक दल से इस्तीफा दे दे, ताकि कार्यवाही में निष्पक्षता बनी रहे।

कौन कब रहा लोकसभा स्पीकर?

क्रमांकनामकार्यकाल
1गणेश वासुदेव मावलंकर15 मई 1952 - 27 फरवरी 1956
2अनंत शयनम् अयंगार8 मार्च 1956 - 16 अप्रैल 1962
3सरदार हुकम सिंह17 अप्रैल 1962 - 16 मार्च 1967
4नीलम संजीव रेड्डी17 मार्च 1967 - 19 जुलाई 1969
5जी. एस. ढिल्‍लों8 अगस्त 1969 - 1 दिसंबर 1975
6बलि राम भगत15 जनवरी 1976 - 25 मार्च 1977
7नीलम संजीव रेड्डी26 मार्च 1977 - 13 जुलाई 1977
8के एस हेगड़े21 जुलाई 1977 - 21 जनवरी 1980
9बलराम जाखड़22 जनवरी 1980 - 18 दिसंबर 1989
10रवि राय19 दिसंबर 1989 - 9 जुलाई 1991
11शिवराज पाटिल10 जुलाई 1991 - 22 मई 1996
12पी. ए. संगमा25 मई 1996 - 23 मार्च 1998
13जी एम सी बालयोगी24 मार्च 1998 - 3 मार्च 2002
14मनोहर जोशी10 मई 2002 - 2 जून 2004
15सोमनाथ चटर्जी4 जून 2004 - 30 मई 2009
16मीरा कुमार4 जून 2009 – 4 जून 2014
17सुमित्रा महाजन6 जून 2014 – 17 जून 2019
18ओम बिरला19 जून 2019 - पदस्थ

कब होगी 18वीं लोकसभा की पहली बैठक?

अठारहवीं लोकसभा की पहली बैठक 24 जून को होगी और सत्र तीन जुलाई को समाप्त होगा। लोकसभा की ओर से जारी एक बुलेटिन में कहा गया है कि अध्यक्ष के चुनाव के लिए तय तिथि से एक दिन पहले दोपहर 12 बजे से पहले कोई भी सदस्य अध्यक्ष पद के लिए किसी अन्य सदस्य के समर्थन में प्रस्ताव के लिए महासचिव को लिखित रूप से नोटिस दे सकता है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दोनों सदनों को करेंगी संबोधित

मौजूदा मामले में अध्यक्ष के चुनाव के लिए प्रस्ताव के वास्ते नोटिस मंगलवार, 25 जून दोपहर 12 बजे से पहले दिए जा सकते हैं। सत्र के पहले दो दिन नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथ ग्रहण के लिए समर्पित होंगे, वहीं अध्यक्ष के चुनाव के लिए 26 जून की तिथि तय की गई है, जबकि 27 जून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगी। प्रस्ताव के लिए नोटिस का समर्थन किसी तीसरे सदस्य द्वारा किया जाना चाहिए। साथ ही, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार द्वारा यह बयान भी दिया जाना चाहिए कि वह निर्वाचित होने पर अध्यक्ष के रूप में काम करने के लिए तैयार है।
लोकसभा सचिवालय ने नियमों का हवाला देते हुए बताया कि कोई सदस्य अपना नाम प्रस्तावित नहीं कर सकता है या अपने नाम वाले किसी प्रस्ताव का समर्थन नहीं कर सकता है। यदि कोई प्रस्ताव पारित (अपनाया) होता है, तो कार्यवाही की अध्यक्षता करने वाला व्यक्ति (प्रोटेम स्पीकर) यह घोषणा करेगा कि पारित किए गए प्रस्ताव में प्रस्तावित सदस्य को सदन का अध्यक्ष चुना गया है।
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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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