क्या है Sky Bus सर्विस जिसकी गडकरी ने की चर्चा, क्या दोबारा शुरू होगा प्रोजेक्ट?

भारत में स्काई बस परियोजना की घोषणा पहली बार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2003 में नए साल के उपहार के तौर पर की थी।

स्काई बस प्रोजेक्ट

Sky Bus: भारत में स्काई बस (Sky Bus) एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि वह देश में स्काई बस व्यवस्था चालू होते देखना चाहते हैं। इस परियोजना के तहत दिल्ली और गुरुग्राम को जोड़ने की उम्मीद है, जिससे लोगों को मेट्रो के सहारे नहीं रहना पड़ेगा और ट्रैफिक जाम से मुक्ति मिलेगी। लेकिन असल में स्काई बस क्या है, और क्या पहली बार देश में इसके लिए कोशिशें की जा रही हैं? आइए इससे जुड़े हर पहलू पर नजर डालते हैं।

कैसे काम करती है स्काई बस?

स्काई बस एक कम लागत वाली, पर्यावरण के अनुकूल शहरी सार्वजनिक परिवहन प्रणाली है जो मेट्रो की ही तरह है। हालांकि, यह केबल या कारों के सहारे ऊंचे ट्रैक पर चलती है। इस तरह बसें दुनियाभर में मौजूद हैं, जैसे जर्मनी में वुपर्टल श्वाइजरबैन या एच-बान परिवहन प्रणाली। स्काई बसें लगभग 100 किमी/घंटा की गति तक पहुंच सकती हैं और बिजली से चलती है। पारंपरिक मेट्रो की तुलना में इसमें कम बुनियादी ढांचे की जरूरत पड़ती है जिसके चलते इसकी परिचालन लागत कम होती है। इसका खास डिजाइन एक कंक्रीट बॉक्स के भीतर व्हीकल के पहियों और पटरियों को सुरक्षित करने के लिए गुरुत्वाकर्षण का इस्तेमाल करता है, जिससे इसके पटरी से उतरने का जोखिम कम रहता है।

भारत में स्काई बस का इतिहास

भारत में स्काई बस परियोजना की घोषणा पहली बार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2003 में नए साल के उपहार के तौर पर की थी। शुरुआती योजना गोवा में स्काई बस शुरू करने की थी, जिसकी अनुमानित लागत 100 करोड़ रुपये थी। पायलट प्रोजेक्ट के पहले चरण का लक्ष्य मापुसा को पणजी से जोड़ना था, जिसमें 10.5 किमी का शुरुआती रूट शामिल था। हालांकि, 2016 में कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन ने उस समय आर्थिक वजहों से स्काई बस परियोजना को रद्द करने का निर्णय लिया।

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