इस साल दिखेंगे तीन और Supermoon नजारे, जानिए क्या होता है सुपरमून, क्यों दिखता है चंद्रमा सबसे बड़ा

पहला सुपरमून 3 जुलाई को दिख चुका है, अगस्त में दो बार सुपरमून का नजारा दिखेगा। इस दौरान 'ब्लू मून' भी नजर आएगा...

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Supermoon: खगोल विज्ञान के शौकीनों को सोमवार की शाम गजब का आनंद मिला जब उन्हें सुपरमून के दीदार हुए। सुपरमून एक अनोखी घटना है जो तब सामने आती है जब पूर्णिमा का चंद्रमा अपनी अंडाकार कक्षा में पृथ्वी के सबसे करीब पहुंचता है। इसके कारण चंद्रमा बड़ा और चमकीला दिखाई देता है। ज्यादातर हर साल 12 फुल मून नजर आते हैं लेकिन इस बार धरतीवासियों को 13 बार पूर्ण चंद्रमा देखने को मिल रहा है। पहला सुपरमून 3 जुलाई को दिख चुका है, अगस्त में दो बार सुपरमून का नजारा दिखेगा। इस दौरान 'ब्लू मून' भी नजर आएगा जब चंद्रमा इस साल पृथ्वी के सबसे निकट होगा। 2023 का चौथा और आखिरी सुपरमून 29 सितंबर को दिखाई देगा। 2023 में कुल मिलाकर सुपरमून देखने के चार मौके आएंगे।

क्या होता है सुपरमून?

सुपरमून वह समय होता है जब पूर्णिमा चंद्रमा के अंडाकार पथ में उस बिंदु के साथ मेल खाती है जहां यह हमारे ग्रह के सबसे नजदीक पहुंचता है। नजदीक होने के कारण यह रात के आकाश में बड़ा और चमकीला दिखाई देता है। इसकी हैरान कर देने वाली सुंदरता सभी को मंत्रमुग्ध कर देती है। पृथ्वी से निकटता खगोलविदों को चंद्रमा का करीब से अध्ययन करने का मौका देती है क्योंकि कई देश चंद्रमा की दुनिया में नए मिशन शुरू करते हैं। करीब आने के दौरान चंद्रमा पृथ्वी से केवल 357,418 किमी दूर रह जाती है।

आसान शब्दों में कहें तो जब आसमान में चंद्रमा आम दिनों की तुलना में थोड़ा बड़ा दिखाई देता है तो इसे सुपरमून कहते हैं। सुपरमून शब्द 1979 में ज्योतिषी रिचर्ड नोल द्वारा गढ़ा गया था। इसे एक विशेष घटना के रूप में परिभाषित किया गया था इस दौरान पूर्णिमा पृथ्वी के निकटतम बिंदु के 90 प्रतिशत के भीतर होती है।

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