आखिर क्या होता है 'ब्लैक बॉक्स'? राहुल गांधी ने जिससे EVM की तुलना कर दी; जानें इससे जुड़ी ABCD
What is The Black Box: पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का मानना है कि ब्लैक बॉक्स और ईवीएम एक ही तरह काम करते हैं। उन्होंने आखिर क्या कहने की कोशिश की वो आप ब्लैक बॉक्स की परिभाषा से ही समझ जाएंगे। ऐसे में आपको इस रिपोर्ट में आसान भाषा में ब्लैक बॉक्स शब्द का मतलब समझाते हैं।
Rahul Gandhi Compared Black Box to EVM: राहुल गांधी ने ईवीएम की तुलना ब्लैक बॉक्स से की है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ये ब्लैक बॉक्स क्या चीज है? उन्होंने चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर भी सवाल खड़ा कर दिया, लेकिन ब्लैक बॉक्स का जिक्र करके इशारों-इशारों में गहराई से प्रहार किया है। विज्ञान जगत में इस शब्द का ऐसा अर्थ है जो कई तरह के सवाल खड़े करते हैं। आपको हम अपने इस लेख के जरिए समझाते हैं कि कैसे राहुल ने कहीं पे निगाहें और कहीं पे निशाना वाले अंदाज में ऐसा प्रहार किया कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।
ईवीएम है या 'ब्लैक बॉक्स', उठ रहे गंभीर सवाल
आपको सबसे पहले समझना चाहिए कि आखिर ये ब्लैक बॉक्स है क्या चीज...। कप्यूटर, विज्ञान और इजीनियरिंग की दुनिया में ब्लैक बॉक्स एक ऐसा उपकरण होता है जो किसी वस्तु या सिस्टम की तरह काम करता है। वो अपने आंतरिक कामकाज के बारे में कोई भी इन्फॉरमेशन शेयर किए बिना ही जरूरी जानकारी को उत्पन्न करता है। इसके निष्कर्षों के लिए स्पष्टीकरण काला या फिर अस्पष्ट रहता है। स्वाभाविक रूप से ब्लैक बॉक्स मॉडल खतरनाक नहीं है, लेकिन यह कुछ ऐसे सवाल खड़े करता है, जो प्रशासनिक और नैतिक आधार पर निर्भर होते हैं।
ब्लैक बॉक्स क्या है, इसके मॉडल कैसे होते हैं, इसका तोड़ क्या होता है- जो इसके ठीक विपरीत काम करता है। ऐसे तमाम तकनीकी सवालों के जवाब से आपको रूबरू करवाएंगे, लेकिन पहले आपको ये समझाते हैं कि आखिरकार राहुल गांधी ने इशारों-इशारों में आखिर कह क्या दिया। आपको राहुल के शब्दों के अनुसार समझाते हैं कि आखिर उन्होंने क्या कहने की कोशिश की है।
राहुल ने किस संदर्भ में किया इस शब्द का इस्तेमाल?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कहना है कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) एक ‘ब्लैक बॉक्स’ है, जिसकी जांच करने की किसी को इजाजत नहीं है। वो यहीं नहीं रुके उन्होंने चुनावी प्रक्रिया को भी सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया और कहा कि भारत की चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर ‘गंभीर चिंताएं’ जताई जा रही हैं। राहुल ने आगे लिखा कि जब संस्थाओं में जवाबदेही ही नहीं होती है, तो लोकतंत्र एक दिखावा बन जाता है और धोखाधड़ी की आशंका बढ़ जाती है। राहुल गांधी का मानना है कि ब्लैक बॉक्स और ईवीएम एक ही तरह काम करते हैं। राहुल ने क्या कहने की कोशिश की वो आप ब्लैक बॉक्स की परिभाषा से ही समझ गए होंगे। लेकिन आपको आसान शब्दों में इससे जुड़ी कुछ अहम और खास बातें समझाते हैं।
आसान शब्दों में समझिए क्या है ब्लैक बॉक्स मॉडल
ब्लैक बॉक्स मॉडल सबसे पहले इनपुट प्राप्त करता है। इसके बाद ब्लैक बॉक्स मॉडन आउटपुट उत्पन्न करता है। इन सभी प्रक्रियाओं के बीच इसकी कार्यप्रणाली पूरी तरह अज्ञात रहती है। फैसले लेने के लिए बॉक्स मॉडल का उपयोग वित्तीय बाजारों में तेजी से बढ़ रहा है। एडवांस टेक्नोलॉजी, खासकर मशीन लर्निंग क्षमताओं में किसी इंसान के दिमाग के लिए ये समझना असंभव बना देती है कि ब्लैक बॉक्स मॉडल अपने परिणाम या निष्कर्ष किस तरह निकालते हैं। जिस तरह ब्लैक बॉक्स होता है, उसी तरह बिल्कुल उसके विपरीत व्हाइट बॉक्स भी होता है। इसके जो नतीजे होते हैं, वो बिल्कुल ट्रांसपेरेंट या पारदर्शी होते हैं, जिसका विश्लेषण उसका यूजर द्वारा किया जा सकता है।
मनोविज्ञान में ब्लैक बॉक्स मॉडल के उपयोग को समझिए
विज्ञान, इंजीनियरिंग के अलावा मनोविज्ञान में ब्लैक बॉक्स मॉडल के उपयोग के बारे में व्यवहारवाद के स्कूल के जनक बुर्ह फ्रेडरिक स्किनर से जाना जा सकता है। जिन्हें आम बोल चाल की भाषा में बी.एफ. स्किनर भी कहा जाता है। स्किनर ने तर्क दिया कि मनोवैज्ञानिकों को मस्तिष्क की प्रतिक्रियाओं का अध्ययन करना चाहिए, न कि उसकी प्रक्रियाओं का। आपको बता दें, स्किनर एक अमरिकी मनोवैज्ञानी, व्यवहारवादी, लेखक, आविष्कारक और सामाजिक दर्शनिक थे। वो हार्वर्ड विश्वविद्यालय में मनोविज्ञन के एडगर पियर्स प्रोफेसर थे। स्किनर स्वतंत्र इच्छा को भ्रम मानते थे।
व्यवहार मनोवैज्ञानिक मानव मस्तिष्क को एक ब्लैक बॉक्स के रूप में देखते हैं। मानव मस्तिष्क उत्तेजनाओं पर प्रतिक्रिया करता है। व्यवहार को बदलने के लिए, उत्तेजनाओं को बदलना होगा, न कि उस मस्तिष्क को जो उत्तेजनाओं पर प्रतिक्रिया करता है।
आसानी से दुरुपयोग किया जा सकता है ब्लैक बॉक्स मॉडल
स्पष्ट तौर पर समझा जाए तो ये कहा जा सकता है कि ब्लैक बॉक्स मॉडल शब्द का आसानी से दुरुपयोग (Misuse) किया जा सकता है। तो क्या कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इशारों-इशारों में ये कह दिया है कि ईवीएम का आसानी से दुरुपयोग किया जा सकता है। ब्लैक बॉक्स के बारे में जानकर ये समझना आसान हो गया होगा कि आखिर राहुल गांधी के इस बयान के मायने क्या हैं। उन्होंने कहीं न कहीं ऐसा सवाल खड़ा किया है, जो पूरे सिस्टम को सवालों के घेरे में लाता है।
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद अब तक क्यों चुप थे राहुल?
चुनावी प्रक्रिया पर आज भी राहुल गांधी को शक है, लेकिन सवाल ये है कि जब 4 जून को चुनावी नतीजे आए तो प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ मौजूद राहुल ने जब देश को संबोधित किया, तो उस वक्त ये बात क्यों नहीं कही कि ईवीएम में खराबी है, इसका आसानी से दुरुपयोग किया जा सकता है। ये कार्यप्रणाली पूरी तरह अज्ञात रहती है, तो ईवीएम सवालों के घेरे में हैं। ईवीएम एक ब्लैक बॉक्स की तरह है, आखिर राहुल गांधी ने उस वक्त ऐसा क्यों नहीं कहा था? उन्हें इसका फैसला करने में इतना वक्त क्यों लग गया? क्या वो 52 सीटों से 99 सीटों पर जीत हासिल करने की खुशी मनाने में लीन हो गए थे?
कितना जरूरी है ईवीएम का निष्पक्ष रूप से जांच होना?
सवाल उठने लाजमी है और सवाल उठेंगे भी उठेंगे। यदि विपक्ष का नेता ईवीएम पर सवाल उठा रहा है तो ये समझने की जरूरत है कि आखिर उसे शंका किस बात की है। और अगर तकनीकी रूप से ईवीएम में कोई गड़बड़ी नहीं हो सकती है, जांच हुई हो और इसमें ये बात नहीं सामने आई हो, कोई बड़ा खुलासा नहीं हुआ, तब तो वाकई राहुल गांधी का सवाल बेबुनियाद हैं। लेकिन इस बात में भी कोई शक नहीं है कि जांच पारदर्शिता के साथ होनी चाहिए।
'सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे' की नीति
इशारों में की गई बातें ही ऐसा करती हैं कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। राहुल ने उस कहावत को बखूबी इस्तेमाल किया है। ब्लैक बॉक्स लिखते वक्त उन्होंने "black box" लिख दिया, इसके उपर इनवर्टेड कॉमा लगा दिया, जिससे उन्होंने अपनी बात भी कह दी और जहां निशाना लगाना था, वहां निशाना लगा गए। राजनीति में ऐसे ही होता है। आपको समझाते हैं कि आखिर ये सारा विवाद क्या है, जिसमें राहुल ने ब्लैक बॉक्स शब्द का इस्तेमाल कर लिया।
मुंबई उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट के नतीजे से घमासान
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को ईवीएम पर सवाल उठाया। उसे एक "ब्लैक बॉक्स" बताया, जिसकी जांच करने की मांग की। कांग्रेस के सहयोगी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी एक बार फिर से ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते हुए आगामी सभी चुनाव मतपत्रों के जरिये कराने की मांग कर दी। राहुल ने सोशल मीडिया पर किए अपनी पोस्ट में एक खबर भी शेयर कि जिसमें दावा किया गया कि मुंबई की उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट से 48 वोट से जीत दर्ज करने वाले शिवसेना के उम्मीदवार के एक रिश्तेदार के पास एक ऐसा फोन है जिससे ईवीएम में छेड़छाड़ संभव थी।
राहुल गांधी ने एलन मस्क की पोस्ट भी की शेयर
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने ‘एक्स’ पर एलन मस्क की उस पोस्ट को भी साझा किया जिसमें मस्क ने ईवीएम को हटाने की बात कही थी। मस्क ने अपनी पोस्ट में कहा था, 'हमें ईवीएम को खत्म कर देना चाहिए। मुनष्यों या कृत्रिम मेधा (एआई) द्वारा हैक किए जाने का जोखिम, हालांकि छोटा है, फिर भी बहुत अधिक है।'
राजीव चंद्रशेखर ने मस्क को दिया ये जवाब
पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने हालांकि ईवीएम के संबंध में मस्क की आलोचना के जवाब में कहा कि अरबपति व्यवसायी का दृष्टिकोण अमेरिका और अन्य स्थानों पर भी लागू हो सकता है, जहां वे "इंटरनेट से जुड़ी मतदान मशीन" बनाने के लिए नियमित ‘कंप्यूट प्लेटफॉर्म’ का इस्तेमाल करते हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में आगे लिखा कि 'लेकिन भारतीय ईवीएम खासतौर पर तैयार की गई हैं, ये सुरक्षित हैं और किसी भी नेटवर्क या मीडिया से नहीं जुड़ी हैं - कोई कनेक्टिविटी नहीं, कोई ब्लूटूथ, वाईफाई, इंटरनेट नहीं। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को ठीक उसी तरह से तैयार किया और बनाया जा सकता है जैसा भारत ने किया है। हमें ट्यूटोरियल देने में खुशी होगी, एलन।'
समाजवादी पार्टी के मुखिया ने भी उठा दिया सवाल
अखिलेश यादव ने अपनी एक पोस्ट में लिखा कि ‘टेक्नॉलजी’ समस्याओं को दूर करने के लिए होती है, अगर वही मुश्किलों की वजह बन जाए, तो उसका इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए। सपा सुप्रीमों ने इसी पोस्ट में भाजपा पर निशाना साधते हुए आगे लिखा कि 'आज जब विश्व के कई चुनावों में ईवीएम को लेकर गड़बड़ी की आशंका जाहिर की जा रही है और दुनिया के जाने-माने प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ (टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स) ईवीएम में हेराफेरी के खतरे की ओर खुलेआम लिख रहे हैं, तो फिर ईवीएम के इस्तेमाल की जिद के पीछे की वजह क्या है, ये बात भाजपाई साफ करें।'
सपा प्रमुख ने मस्क की पोस्ट को टैग किया और अपनी पार्टी की मांग दोहराई कि भविष्य में सभी चुनाव मतपत्रों के माध्यम से कराए जाएं। विपक्षी दल पिछले कुछ समय से ईवीएम पर चिंता जताते रहे हैं और उसने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर ‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपैट) पर्चियों का शत प्रतिशत मिलान करने की अपील की की थी लेकिन अदालत ने इसे स्वीकार नहीं किया। राहुल गांधी का इशारा तो वही समझ पाएगा तो ब्लैक बॉक्स के बारे में समझेगा।
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आयुष सिन्हा author
मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें
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