Jharkhand Assembly Election: झारखंड की चुनावी राजनीति और जेल, कोई बना 'स्टार' तो किसी को मिली 'हार'

Jharkhand Assembly Election: झारखंड के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो जनांदोलनों में जेल जाने वाले नेताओं को जनता ने कई बार चुनावी जीत दिलाई है। शिबू सोरेन, विनोद बिहारी महतो, निर्मल महतो सरीखे दर्जनों ऐसे नेता रहे, जिन्होंने जनांदोलनों के दौरान जेल यात्रा की और चुनावी राजनीति में रहते हुए इन्हें जनता का खूब समर्थन हासिल हुआ।

हेमंत सोरेन अपने पिता शिबू सोरेन के साथ (फोटो- @HemantSorenJMM)

Jharkhand Assembly Election: झारखंड की चुनावी राजनीति और जेल के बीच खास रिश्ता रहा है। ‘काली कोठरी’ ने जहां कई नेताओं के राजनीतिक करियर को चमक दी, कई ऐसे नेता हैं, जिन्होंने जेल यात्रा के बाद सियासत में अवसान भी देखा है। इस विधानसभा चुनाव में भी कई क्षेत्रों के चुनावी खेल में ‘जेल’ का फैक्टर अहम साबित होगा। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इस चुनाव में अपना नारा दिया है- "जेल का जवाब जीत से।"

हेमंत सोरेन की जेल यात्रा

पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष और सीएम हेमंत सोरेन के जेल से जमानत पर बाहर निकले करीब चार महीने गुजर चुके हैं, लेकिन वह और उनकी पार्टी इस चुनाव में "जेल चैप्टर" को जिंदा रखने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही। हेमंत सोरेन हर चुनावी सभा में कह रहे हैं कि उन्होंने केंद्र सरकार से झारखंड के हक का 1 लाख 36 हजार करोड़ मांगा, तो उन्हें जेल में डाल दिया गया। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी सीएम हेमंत सोरेन, उनकी सरकार में मंत्री रहे आलमगीर आलम और सरकार के कई अफसरों की जेल यात्रा को भ्रष्टाचार के मुद्दे के तौर पर उछाल रही है।

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