आखिर क्या होता है ज्ञानवापी का मतलब? अर्थ से समझिए मंदिर-मस्जिद विवाद के मायने
What is Gyanvapi Meaning: क्या आप जानते हैं कि ज्ञानवापी का अर्थ क्या होता है? बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के विवाद का समाधान कब होगा, ये कोई नहीं जानता। लेकिन ये जगजाहिर है कि इतिहास के पन्नों पर इस बात का साफ-साफ जिक्र किया गया है कि कैसे पहले मुहम्मद गौरी और फिर औरंगजेब ने मंदिर तुड़वाया था।
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद से जुड़े अहम तथ्य।
Gyanvapi Mandir or Masjid: ज्ञानवापी मस्जिद है या फिर मंदिर? इस सवाल का जवाब जानने के लिए कई ऐतिहासिक दस्तावेज मौजूद हैं। बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद का निस्तारण कब होगा, ये कोई नहीं जानता। मामला अदालत में है और दोनों ही पक्ष अपने-अपने दावे करते हैं। लेकिन साक्ष्य यही कहते हैं कि पहले मुहम्मद गौरी के सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक और फिर औरंगजेब ने विश्वेश्वर मंदिर (अब के काशी विश्वनाथ मंदिर) को तुड़वाकर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण करवाया था। औरंगजेब ने तो शाही फरमान तक जारी कर दिया था, लेकिन क्या आपने सोचा है कि ज्ञानवापी का मतलब क्या होता है?
क्या है ज्ञानवापी का अर्थ?
ज्ञानवापी एक संस्कृत शब्द है, जो दो शब्दों से मिलकर बना है। ज्ञान और वापी, जिसका अर्थ होता है ज्ञान का तालाब या कुआं। हिंदू धर्म में काशी विश्वेश्वर मंदिर (अब काशी विश्वनाथ मंदिर) बहुत महत्व रखता है, यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है जहां भगवान शिव प्रकाश के स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शंकर ने यहां एक जल-उत्पादक स्थान बनाया था, जिसके चलते इसका नाम ज्ञानवापी (ज्ञान का कुआं) पड़ा था।
काशी विश्वेश्वर मंदिर की पुरानी तस्वीर।
कैसे मस्जिद बना ज्ञानवापी?
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद से ऐसे कई तथ्य तमाम पुस्तकों और इतिहास में दर्ज हैं। मुगल इतिहासकारों के अनुसार ही बादशाह औरंगजेब को 15 रब- उल-आखिर यानी 2 सितंबर, 1669 को ये खबर दी गई थी कि न सिर्फ मंदिर गिराया गया है, बल्कि उसकी जगह मस्जिद का निर्माण भी कराया गया है। औरंगजेब के समय में इस मस्जिद को 'अंजुमन इंतजामिया जामा मस्जिद' नाम दिया गया था, हालांकि ज्ञानवापी कूप के कारण बाद में इसका नाम भी ज्ञानवापी मस्जिद हो गया। ये सवाल है कि ज्ञानवापी शब्द तो संस्कृत है, इसके नाम से ही समझना आसान हो जाता है कि ज्ञानवापी का निर्माण कैसे किया गया था, वो मंदिर है या मस्जिद, इसका फैसला अब अदालत को करना है।
ये संयोग था या मुगलों का प्रयोग?
बनारस में ऐतिहासिक काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का आसपास होना केवल एक संयोग है या मुगलों का भारत में मंदिरों का अस्तित्व नष्ट करने वाला प्रयोग? ये सवाल इसलिए उठता है, क्योंकि उस वक्त भारत में कई मंदिरों को गिराकर मस्जिद बनवाए गए। अयोध्या का राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद किसी से छिपा नहीं है। विश्वेश्वर मंदिर तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण कराए जाने के कई साक्ष्य मौजूद हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर की पुरानी तस्वीर।
मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने के साक्ष्य
1). प्राचीन नक्शा
2). औरंगजेब के दरबारी का दस्तावेज
3). दस्तावेज में मंदिर गिराने का जिक्र
4). 1936 कोर्ट में सुनवाई
5). मस्जिद से सटी दीवारें
6). मंदिरों की दीवार
7). ज्ञानवापी परिसर की कई तस्वीरें
8). ज्ञानकूप, नंदी के उत्तर दिशा मंदिर के सबूत
विश्वेश्वर मंदिर का नक्शा।
कैसे बार-बार मुगलों ने तोड़ा विश्वेश्वर मंदिर?
इनमें से ज्यादातर साक्ष्यों का जिक्र ब्रिटिश मुद्राशास्त्री और पुरातत्वविद् जेम्स प्रिंसेप ने वर्ष 1931 में प्रकाशित हुई अपनी पुस्तक 'बनारस इलस्ट्रेटेड' में किया है। उन्होंने पुराने विश्वेश्वर मंदिर की वास्तुकला पर चर्चा की है और बताया है कि कैसे मूल पूजा स्थल को वर्तमान ज्ञानवापी मस्जिद में बदल दिया गया। विश्वेश्वर या ब्रह्मांड के भगवान भगवान शिव का दूसरा नाम है। उन्होंने कई ऐसे साक्ष्य पेश किए, जो ये बयां करते हैं कि मुहम्मद गौरी के सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक ने आदि विश्वेश्वर मंदिर को वर्ष 1194 में नष्ट कर दिया था, लेकिन फिर से इसका निर्माण करवाया गया। इसके बाद वर्ष 1669 में औरंगजेब ने ही काशी विश्वेश्वर मंदिर को फिर से ध्वस्त किया और उसी नींव और सामग्री का उपयोग करके ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण करवाया।
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आखिर कब सुलझेगा ज्ञानवापी और काशी विश्वनाथ?
500 वर्षों के इंतजार के बाद अयोध्या में श्री राम मंदिर के निर्माण हो गया। बाबरी मस्जिद और राम जन्म भूमि का विवाद इतिहास की बात बन चुका है, लेकिन हमारे देश में अब भी कई ऐसे मंदिर और मस्जिद हैं जिनका विवाद अभी समाप्त नहीं हुआ है। हैरानी की बात ये है कि इनमें से ज्यादातर विवादित धार्मिक स्थल.. उत्तर भारत में स्थित हैं। जबकि दक्षिण भारत में आपको ऐसे बहुत कम प्राचीन मंदिर दिखाई देंगे, जिन्हें तोड़कर वहां मस्जिद बना दी गई हो। ऐसा इसलिए है, क्योंकि 800 वर्षों के दौरान जिन मुसलमान आक्रमणकारियों ने भारत पर अनगिनत हमले किए वो दक्षिण भारत पर अपना प्रभाव उस तरह से नहीं जमा पाए, जिस तरह से उन्होंने उत्तर भारत में अतिक्रमण किया। इसका नतीजा ये हुआ कि उत्तर भारत के कई प्राचीन मंदिरों की जगह या उनके आस पास मस्जिद बना दी गई और अब भारत में कई धार्मिक स्थल ऐसे हैं, जहां मंदिर के साथ मस्जिद है या मस्जिद के साथ मंदिर है। हर कोई ये सोचता है कि क्या ये मात्र एक संयोग है या फिर बाहर से आए आक्रामणकारियों ने अपनी सभ्यता को भारत के बहुसंख्यक लोगों पर थोपने के लिए ये प्रयोग किया था।
औरंगजेब का शाही फरमान।
उदाहरण के लिए 500 वर्ष पहले हिंदुओं की आस्था के केंद्र अयोध्या में राम मंदिर की जगह बाबरी मस्जिद बना दी गई, लेकिन तेलंगाना में भगवान राम और उनकी पत्नी सीता को समर्पित सैंकड़ों वर्ष पुराने श्री सीता राम चंद्र स्वामी मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। इसी तरह कुछ लोगों का दावा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव के जिस ज्योतिर्लिंग के दर्शन आप करते हैं उसका मूल स्वरूप वहां नहीं बल्कि उस जगह पर मौजूद है, जहां साढ़े तीन सौ साल पहले मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर एक मस्जिद बना दी गई थी।
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