MP Chunav: क्या है भाजपा का असल प्लान? 3, 4, 5 फॉर्मूला और जातीय समीकरण तैयार; जानिए पूरा गुणा-गणित
Madhya Pradesh Assembly Election 2023: भाजपा ने अब तक 230 विधानसभा सीटों में से 78 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लगा दी है। दूसरी लिस्ट में 3 केंद्रीय मंत्री, 4 सांसद और 5 ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी को टिकट मिला। इसमें जातीय समीकरण साधने का प्रयास किया गया है। आपको इस रिपोर्ट में पूरा प्लान समझाते हैं।
BJP ने मध्य प्रदेश चुनाव के लिए सियासी फॉर्मूला सेट कर लिया है।
MP Election News: भाजपा ने आगामी मध्य प्रदेश चुनाव के लिए सियासी फॉर्मूला सेट कर लिया है। भाजपा कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब तक चुनाव की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है और भारतीय जनता पार्टी ने अपने 78 उम्मीदवारों को मैदान पर उतार दिया है। सबसे खास बात तो ये है कि अब तक जिन 78 विधानसभा सीटों पर कैंडिडेट की घोषणा की गई है, उनमें 75 सीटों पर विपक्षी पार्टी का कब्जा है। भाजपा ने उन्हीं सीटों पर अपने मजबूर नेताओं को उतारा, जहां पार्टी कमजोर नजर आ रही थी। दूसरी लिस्ट में कई दिलचस्प समीकरण सेट करने की कोशिश की गई है। जातीय फॉर्मूला का खास ख्याल रखा गया है, 3 केंद्रीय मंत्री समेत 7 सांसदों को मैदान में उतारा गया है और ज्योतिरादित्य सिंधिया के 5 समर्थकों को टिकट दिया गया है। मतलब साफ है कि भाजपा ने पूरा बैलेंस बनाने की कोशिश की है।
मध्य प्रदेश में कितना अहम है जातीय समीकरण?
जिन 39 नेताओं को भाजपा ने दूसरी लिस्ट में उम्मीदवार बनाया है, उसमें जातीय समीकरण का खास ख्याल रखा गया है। इस लिस्ट में 6 महिला, 10 अनुसूचित जनजाति (एसटी) और 4 अनुसूचित जाति (एससी) समेत अन्य को टिकट मिला है। वहीं अगर पहले लिस्ट का जिक्र करें तो इनमें 13 अनुसूचित जनजाति (एसटी), 8 दलित, 13 पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और 5 सामान्य वर्ग के उम्मीदवार शामिल हैं। इस समीकरण से ये समझा जा सकता है कि भाजपा ने दलित, ओबीसी और आदिवासी वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने पर पूरा जो दिया है। मध्य प्रदेश की सियासत में कहा जाता है कि ये तीन जातियां किसी का भी खेल बनाने और बिगाड़ने का दम रखती हैं। भाजपा इस बात के बेहतर समझती है और जिन नेताओं को उसने मैदान में उतारा है, उनके पास वोटर्स को लुभाने का अच्छा खासा समय है।
हारे हुए नेताओं को दोबारा मौका देने के पीछे की वजह
अब तक भाजपा ने दो लिस्ट जारी की और 78 नेताओं को उम्मीदवार बनाया, इसमें से 75 ऐसी विधानसभा सीटें हैं जिसपर भाजपा को पिछले विधानसभा चुनाव 2018 में मुंह की खानी पड़ी थी। दूसरी लिस्ट की महज 3 सीटों पर ही भाजपा ने जीत हासिल की थी। दूसरी लिस्ट में 7 पूर्व विधायकों पर भाजपा ने भरोसा जताया है। पहली लिस्ट में 14 उम्मीदवार ऐसे थे, जिन्हें पिछले चुनाव में हार झेलनी पड़ी थी। अब सवाल ये उठ रहे हैं कि जिन नेताओं को पिछले विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था, उस पर आखिर भाजपा ने दोबारा क्यों भरोसा जताया है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि भाजपा और कांग्रेस के बीच इस बार कांटे की टक्कर देखी जाएगी। मगर भाजपा के पास इस बार ये मौका जरूर होगा कि जिन सीटों पर पिछले 5 सालों से उनके विधायक नहीं है, वहां मौजूदा विधायक की खामियों को गिनाया जाए और चुनाव में इसका लाभ लिया जा सके।
चुनावी मैदान में दिग्गजों को उतारने का क्या है कारण?
3 केंद्रीय मंत्रियों समेत 7 सांसदों को दूसरी लिस्ट में उम्मीदवार बनाया गया है। नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम शामिल है। जबकि चार सासंदों में राकेश सिंह, रीति पाठक, गणेश सिंह और उदय प्रताप सिंह को विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मिला है। इतना ही नहीं दूसरी लिस्ट में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी शामिल है। अब समझने की जरूरत आखिर भाजपा ने दिग्गजों पर दाव क्यों खेला है। समझा जा सकता है कि कमलनाथ बार-बार ये दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस इस बार प्रचंड वापसी कर रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मजबूती देखने को मिली थी और चुनावी नतीजों के बाद कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया था। अगर भाजपा उन सीटों पर जीत हासिल करना चाहती है, जिस पर पहले से ही कांग्रेस का कब्जा है, तो निश्चित तौर पर दिग्गज नेताओं को मैदान में उतारने का प्लान सफल हो सकता है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया को किया जा रहा मजबूत
दूसरी लिस्ट को देखकर ये समझा जा सकता है कि भाजपा इस बार के चुनाव में शिवराज सिंह चौहान के करीबियों के बजाय पीएम मोदी के भरोसेमंद नेताओं पर भरोसा जता रही है। इससे पहले भाजपा ने यही फॉर्मूला उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में भी अपनाया था। वहीं अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया का जिक्र करें तो पहले लिस्ट में उनके समर्थकों को टिकट नहीं मिलने के बाद काफी सवाल खड़े हो रहे थे अब दूसरे लिस्ट में उनके 5 समर्थकों को टिकट मिला है। इनमें इमरती देवी, श्रीकांत चतुर्वेदी, हिरेंद्र सिंह बंटीमोहन सिंह राठौड़ और रघुराज कंसाना शामिल हैं। इसमें रघुराज कंसाना और इमरती देवी को उपचुनाव में हाल मिली थी।
विधानसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर क्या बोले सिंधिया?
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्यप्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों में उनकी उम्मीदवारी की संभावना पर मंगलवार को कहा कि वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ता मात्र हैं। सिंधिया ने इंदौर में संवाददाताओं के सवाल पर यह संक्षिप्त प्रतिक्रिया ऐसे वक्त दी, जब सत्तारूढ़ भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में उनके तीन सहयोगियों-नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते को सूबे में नवंबर के दौरान संभावित विधानसभा चुनावों का उम्मीदवार घोषित कर दिया है। विधानसभा चुनावों में इन वरिष्ठ नेताओं की उम्मीदवारी के बारे में पूछे जाने पर सिंधिया ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी है और हरेक कार्यकर्ता पार्टी की दी गई प्रत्येक जिम्मेदारी को अपना धर्म मानकर निभाता है।
कांग्रेस का दावा है कि भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेताओं को चुनावी मैदान में इसलिए उतारा है क्योंकि वह अपनी हार के अहसास से घबरा गई है। सिंधिया ने पलटवार करते हुए कहा, 'चुनावों में कौन घबराया है, यह राज्य की जनता अगले 60 दिन में तय कर देगी। सपने देखना कांग्रेस की आदत बन गई है। प्रधानमंत्री कांग्रेस का विवरण सार्वजनिक रूप से पहले ही दे चुके हैं कि यह पार्टी वह लोहा है जिस पर जंग लग चुका है।' वर्ष 2020 में कांग्रेस से भाजपा में आए सिंधिया ने कहा कि कांग्रेस के साथ कठिनाई यही है कि कांग्रेस बंद कमरों में चंद लोगों के साथ बैठकर अपना चुनावी विमर्श गढ़ती है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'वास्तविक विमर्श जनता बनाती है। मुझे पूरा विश्वास है कि मध्यप्रदेश की नौ करोड़ जनता के मन में ठीक उसी तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं, जैसे मोदी के मन में जनता है।'
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