क्या है शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र संधि? जिस पर हस्ताक्षर करने से भारत ने कर दिया साफ इनकार; जानें इससे जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात

What is the UN Convention on Refugees: क्या आप जानते हैं कि आखिर शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र संधि क्या है? जिसे लेकर भारत ने कड़ा रुख अख्तियार कर रखा है। एक दिन पहले ही देश के गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में ये साफ कर दिया है कि भारत शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र संधि पर हस्ताक्षर नहीं करेगा। उन्होंने ये भी कह दिया कि भारत कोई 'धर्मशाला' नहीं है। आपको इस संधि से जुड़ी कुछ अहम बातें इस रिपोर्ट में बताते हैं।

What is the UN Convention on Refugees

शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र संधि पर हस्ताक्षर नहीं करेगा भारत

भारत कोई 'धर्मशाला' नहीं है... ये कहना देश के गृहमंत्री अमित शाह का है। उन्होंने भारत की संसद से ये वैश्विक संदेश दिया है। आखिर उन्होंने ऐसा क्यों कहा, आखिर 'शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र संधि' क्या है? जिसके लिए अमित शाह ने साफ शब्दों में ये कह दिया कि भारत शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र संधि पर हस्ताक्षर नहीं करेगा। आपको इससे जुड़ी हर छोटी बड़ी बात तफसील से समझाते हैं। सबसे पहले आपको बताते हैं कि शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र संधि' क्या है।

शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र संधि क्या है?

शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र संधि, जिसे 1951 के शरणार्थी कन्वेंशन के नाम से जाना जाता है। यह संयुक्त राष्ट्र की एक बहुपक्षीय संधि है जो शरणार्थी की परिभाषा, उनके अधिकारों और हस्ताक्षरकर्ता देशों की जिम्मेदारियों को निर्धारित करती है। शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र संधि एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है, जो शरणार्थियों के अधिकारों और सुरक्षा की रक्षा करता है। यह संधि 1951 में शरणार्थियों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा अपनाई गई थी ।

क्या हैं इस संधि के मुख्य उद्देश्य?

इस संधि का प्रमुख उद्देश्य शरणार्थियों को सुरक्षा और सुरक्षा प्रदान करना है, और यह सुनिश्चित करना है कि वे अपने अधिकारों का लाभ ले सकें। आपको इस संधि में शरणार्थियों की परिभाषा, उनके अधिकार और सुरक्षा से जुड़ी अहम बातें बताते हैं।

शरणार्थियों की परिभाषा

संधि में शरणार्थी की परिभाषा दी गई है, जो किसी व्यक्ति को है जो अपने देश से भाग गया है क्योंकि वह अपने जीवन, स्वतंत्रता या सुरक्षा के लिए खतरा महसूस करता है। ये तर्क भी दिया गया है कि इसमें ऐसे व्यक्ति शामिल हैं, जो जाति, धर्म, राष्ट्रीयता, किसी विशेष सामाजिक समूह से संबंधित होने या राजनीतिक विचारों के कारण उत्पीड़न से बचने के मकसद से अपना देश छोड़ने को मजबूर हैं।

शरणार्थियों के अधिकार

संधि में शरणार्थियों के अधिकारों की रक्षा की जाती है, जिनमें शामिल हैं: जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, सुरक्षा का अधिकार, और शिक्षा, रोजगार और आवास के अवसरों तक पहुंच।

शरणार्थियों की सुरक्षा

संधि में शरणार्थियों की सुरक्षा की रक्षा की जाती है, जिसमें शामिल हैं: प्रत्यावर्तन का निषेध (यानी, शरणार्थी को उसके देश में वापस भेजने का निषेध), और शरणार्थी के खिलाफ हिंसा या उत्पीड़न का निषेध।

शरणार्थियों पर 1967 का प्रोटोकॉल

1951 के शरणार्थी कन्वेंशन को वर्ष 1967 का प्रोटोकॉल विस्तारित करता है । ये प्रोटोकॉल इसे सभी देशों के शरणार्थियों पर लागू करता है। हालांकि भारत इन दोनों का ही पक्षकार नहीं है। 1951 के शरणार्थी कन्वेंशन और 1967 के प्रोटोकॉल पर भारत का स्पष्ट रुख है।

अमित शाह ने शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र संधि क्या कहा?

गृह मंत्री अमित शाह ने एक दिन पहले ही बृहस्पतिवार (27 मार्च, 2025) को शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र की 1951 संधि पर हस्ताक्षर करने की संभावना से इनकार किया, जिसके अनुसार सरकार को शरणार्थियों को लेना चाहिए और उनके अधिकारों को मान्यता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत कोई “धर्मशाला” नहीं है।

अमित शाह ने कहा- भारत कोई धर्मशाला नहीं

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सरकार की प्रवासन नीति को कठोरता और करुणा का मिश्रण करार देते हुए बृहस्पतिवार को लोकसभा में दो टूक कहा कि 'भारत कोई धर्मशाला नहीं है कि कोई भी जब चाहे यहां आकर रह जाए'। उन्होंने सदन में ‘आप्रवास और विदेशियों विषयक विधेयक, 2025’ पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि भारत में व्यापार, शिक्षा और शोध के लिए आने वालों का स्वागत होगा, लेकिन गलत उद्देश्य से और अशांति फैलाने के मंसूबे के साथ भारत में दाखिल होने वालों से कठोरता से निपटा जाएगा।

शाह ने बताया- क्यों नहीं किए अंतरराष्ट्रीय संधि पर हस्ताक्षर?

शाह के जवाब के बाद सदन ने कुछ विपक्षी सांसदों के संशोधनों को खारिज करते हुए ‘आप्रवास और विदेशियों विषयक विधेयक, 2025’ को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। उन्होंने कहा, 'हमारे देश में कौन आता है और कितने समय के लिए आता है, देश की सुरक्षा के लिए हमें यह जानने का अधिकार है।' गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कई बार लोग सवाल उठाते हैं कि शरणार्थी संबंधी अंतरराष्ट्रीय संधि पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किए हैं।

अमित शाह ने कहा कि ऐसा इसलिए कि पांच हजार साल से प्रवासियों के बारे में भारत का ट्रैक रिकॉर्ड बेदाग रहा है और किसी शरणार्थी नीति की हमें जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, 'भारत भू सांस्कृतिक देश है, भू राजनीतिक देश नहीं है...भारत का शरणार्थियों के प्रति एक इतिहास रहा है। पारसी भारत में आए। इजराइल से यहूदी भागे तो भारत में आ रहे हैं।' शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में छह पड़ोसी देशों के प्रताड़ित लोगों को भारत ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के माध्यम से शरण दी है।

'घुसपैठ करने वालों को रोकेंगे'; अमित शाह ने कही ये बात

उन्होंने कहा, 'घुसपैठ करने वालों को रोकेंगे, नागरिकता उन्हें ही मिलेगी जिन्होंने पड़ोसी देशों में विभाजन की विभीषीका झेली है और अत्याचारों का सामना किया है।' उन्होंने कहा कि जो कानून तोड़ेंगे उन पर सरकार की कड़ी नजर होगी। शाह ने कहा कि जहां भारत प्रवासियों का स्वागत करता है, वहीं भारत से गए प्रवासियों ने दुनिया भर में भारत की समृद्ध विरासत को पहुंचाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि विश्व छोटा हो रहा है और पूरी दुनिया के अर्थतंत्र की सूची में भारत एक ‘ब्राइट स्पॉट’ बनकर उभरा है, एक विनिर्माण केंद्र बनकर उभरा है और ऐसे में देश में आने वाले लोगों की संख्या बढ़ेगी।

उनका कहना था कि यदि विदेशों से लोग भारत के अर्थतंत्र को मजबूत करने, व्यापार करने, शिक्षा और शोध के लिए आते हैं तो उनका स्वागत किया जाएगा। गृह मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यदि बांग्लादेशी और रोहिग्या अशांति फैलाने के लिए आते हैं तो फिर कठोरता से निपटा जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रवासन नीति कठोरता और करुणा दोनों के भाव से बनाई गई है।

'दो संकल्प के साथ काम कर रही है मोदी सरकार'

शाह ने कहा, 'मोदी सरकार दो संकल्प के साथ काम कर रही है। पहला संकल्प 2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना और दूसरा 2047 तक विकसित देश बनना है।' उन्होंने विपक्षी सदस्यों की कुछ आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि गहन विचार-विमर्श के बाद विधेयक तैयार किया गया है और इसका सिर्फ राजनीतिक कारणों से विरोध नहीं करना चाहिए। शाह ने कहा कि भारत की ‘सॉफ्ट पॉवर’ ने दुनिया में डंका बजाया है और अब यह और मजबूत होगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया, 'यह देश धर्मशाला नहीं है कि जो चाहे जैसे आए और रह जाए।'

गृह मंत्री के अनुसार, कानूनी तरीके से कोई देश को समृद्ध करने के लिए आता है तो ठीक है, लेकिन उन लोगों को रोका जाएगा जिनके उद्देश्य ठीक नहीं है और इस बारे में तय करने का काम भारत सरकार का है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का हमारा सपना पूरा होने वाला है। शाह ने कहा कि बांग्लादेश से सटी हुई सीमा 2,216 किलोमीटर लंबी है और इसमें से 450 किलोमीटर में बाड़ इसलिए नहीं लग सकी क्योंकि पश्चिम बंगाल सरकार से भूमि नहीं मिली।

पश्चिम बंगाल के लिए अमित शाह ने कर दिया ये बड़ा दावा

उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के बयानों के जवाब में कहा, 'मैंने पश्चिम बंगाल को 450 किलोमीटर बाड़बंदी की खातिर भूमि के लिए पत्र लिखे, लेकिन कुछ नहीं हुआ।' उन्होंने कहा कि घुसपैठियों के प्रति पश्चिम बंगाल सरकार की दया की नीति के कारण 450 किलोमीटर सीमा पर बाड़ नहीं लग सकी। शाह ने कहा कि जितने भी बांग्लादेशी पकड़े गए उनका आधार कार्ड 24 परगना जिले का है। उन्होंने कहा कि राज्य में ऐसे अवैध घुसपैठियों को आधार कार्ड मिल जाता है और फिर ये उसे दिखाकर देशभर में फैल जाते हैं।

उन्होंने जोर देते हुए कहा, 'लेकिन अब यह सब नहीं चल पाएगा। पश्चिम बंगाल में 2026 में चुनाव हैं, वहां कमल खिलेगा और यह सब बंद हो जाएगा।' गृह मंत्री ने कहा, 'दिल्ली के चुनाव के समय मैं मौन रहा कि देश की सुरक्षा से जुड़ा प्रश्न था, लेकिन आज मौका और दस्तूर भी है और संबंधित विषय पर विधेयक आया है तो मैं देश की जनता को सच्चाई से अवगत करा रहा हूं।'

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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