Uttarakhand Uniform Civil Code: सभी धर्मों के लिए तलाक और बहु-विवाह के नए नियम; जानिए उत्तराखंड में अब क्या बदलेगा
uniform civil code divorce Law, Multiple Marriage Law in india: समान नागरिक संहिता में किए गए प्रावधानों के तहत सभी धर्मों के लिए तलाक का एक समान अधिकार होगा। आइए जानते हैं इसमें और क्या-क्या प्रावधान किए गए हैं।
समान नागरिक संहिता
uniform civil code on marriage in Uttarakhand: समान नागरिक संहिता विधेयक को उत्तराखंड विधानसभा में पेश कर दिया गया है। इस विधेयक के कानून में बदल जाने के बाद सभी धर्मों, समुदायों के लिए तलाक देने का तरीका एक समान हो जाएगा। सीधे शब्दों में कहें तो किसी भी धर्म या समुदाय के पति-पत्नि को तलाक लेने के लिए कोर्ट का ही रुख करना होगा। विधानसभा में पेश किए गए विधेयक में सभी के लिए तलाक का समान आधार रखा गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि समान नागरिक संहिता (UCC) एक ऐसा कानून होगा, जो जाति से परे, धर्म से परे, यहां तक कि आप स्त्री हैं या पुरुष, इससे भी परे होगा। यह सभी के लिए एक समान होगा।
आइए जानते हैं उत्तराखंड विधानसभा में पेश किए गए समान नागरिक संहिता विधेयक तलाक के लिए क्या प्रावधान किए गए हैं? सभी धर्मों के लिए तलाक का आधार क्या होगा? तलाक को लेकर बना कानून किन लोगों पर और कैसे लागू होगा? आइए प्वाइंटर्स के माध्यम से समझते हैं
- किसी भी लड़के या लड़की को शादी के तुरंत बाद तलाक की सुविधा नहीं होगी। चाहें वे किसी भी धर्म-जाति के हों।
- तलाक के लिए शादी की एक साल की अवधि पूरी करनी होगी, उसके बाद ही कोर्ट में अर्जी दायर की जा सकेगी।
- कानूनी तौर पर हिंदू या मुसलमान को तलाक के लिए एक प्रकार की प्रक्रिया से गुजरना होगा। कूलिंग पीरियड 6 महीने का होगा।
- न्यायालय द्वारा तलाक का भी पंजीकरण अनिवार्य रूप से किया जाएगा। कानून लागू होने से पहले हुए तलाक का भी पंजीकरण किया जा सकता है।
- पहले से शादीशुदा व्यक्ति को बिना तलाक लिए दूसरी शादी की इजाजत नहीं दी जाएगी।
- अगर कोई व्यक्ति बिना तलाक के शादी करता है तो उसे सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं दिया जाएगा।
- तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। फिलहाल पर्सनल लॉ के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग अलग ग्राउंड हैं।
- तलाक-ए-हसन , तलाक-ए-अहसन, तलाक-ए-बाईन, तलाक-ए-किनाया खत्म होंगे।
कानून के उल्लंघन पर क्या है प्रावधान
- कानून की धारा 4 के उल्लंघन पर छह महीने की जेल और 50 हजार रुपये जुर्माना।
- धारा 29 के उल्लंघन पर तीन साल की कैस व जुर्माना।
- तलाक लिए बिना पुनर्विवाह करने पर तीन साल की कैद व एक लाख रुपये जुर्माना।
- जुर्माना न देने पर छह महीने कैद की अवधि बढ़ाई जाएगी।
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प्रांजुल श्रीवास्तव author
मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें
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