प्यार के जाल में फंसाकर कराया धर्मांतरण तो जेल में बीतेगी सारी जिंदगी, जानें यूपी में आया ऐसा कौन सा कानून; 5 खास बातें
Unlawful Conversion: क्या आप जानते हैं कि आखिर 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम, 2024' क्या है। जिसके तहत यूपी में अवैध रूप से धर्मांतरण करने वाले दोषियों को अधिकतम आजावीन कारावास का प्रावधान किया गया है। आपको इस कानून से जुड़ी 5 अहम बातें बताते हैं।
धर्मांतरण का रैकेट चलाने वालों की जिंदगी जेल में बीतेगी।
UP Politics: यूपी की योगी सरकार ने लव जिहाद का जाल बुनने वाले मासूम बेटियों के गुनहगारों और प्यार के झांसे में फंसाकर, बहला-फुसलाकर या जबरन किसी का धर्मांतरण कराने वाले अपराधियों के खिलाफ सख्त प्रावधान तैयार किया है। क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम, 2024 क्या है? इस अधिनियम में संशोधन के जरिए धर्मांतरण का रैकेट चलाने वालों को उम्रकैद की सजा दिए जाने का प्रावधान किया गया है। उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम, 2024 पारित हो गया। आपको इस लेख में इससे जुड़ी 5 अहम बातें बताते हैं।
1). आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान
संशोधित अधिनियम में छल कपट या जबर्दस्ती कराये गये धर्मांतरण के मामलों में कानून को पहले से सख्त बनाते हुए अधिकतम आजीवन कारावास या पांच लाख रुपये के जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है। संशोधित विधेयक में किसी महिला को धोखे से जाल में फंसाकर धर्मांतरण कर अवैध तरीके से विवाह करने और उत्पीड़न के दोषियों को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। पहले इसमें अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान था।
2). सबसे गंभीर श्रेणी में रखा जाएगा ये अपराध
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने सदन में पहले दिन सोमवार को उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम, 2024 को सदन में पुरःस्थापित किया था। इसमें प्रस्ताव किया गया है कि कोई व्यक्ति धर्मांतरण कराने के इरादे से किसी को अगर धमकी देता है, हमला करता है, विवाह करता या करने का वादा करता है या इसके लिए साजिश रचता है, महिला, नाबालिग या किसी की तस्करी करता है तो उसके अपराध को सबसे गंभीर श्रेणी में रखा जाएगा।
3). अब कोई भी व्यक्ति दर्ज करा सकेगा प्राथमिकी
संशोधित अधिनियम में ऐसे मामलों में 20 वर्ष कारावास या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है। जब यह विधेयक के रूप में पहली बार पारित करने के बाद कानून बना तब इसके तहत अधिकतम 10 साल की सजा और 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया था।
संशोधित प्रावधान के तहत यह व्यवस्था दी गयी है कि धर्मांतरण मामलों में अब कोई भी व्यक्ति प्राथमिकी दर्ज करा सकेगा।
4). गैर-जमानती बना दिए गए हैं सभी अपराध
इससे पहले मामले की सूचना या शिकायत देने के लिए पीड़ित व्यक्ति, उसके माता-पिता, भाई-बहन का होना जरूरी था, लेकिन अब दायरा बढ़ा दिया गया है। अब कोई भी इसकी सूचना लिखित तौर पर पुलिस को दे सकता है। संशोधित मसौदे में यह प्रस्ताव किया गया है कि ऐसे मामलों की सुनवाई सत्र अदालत से नीचे नहीं होगी और लोक अभियोजक को मौका दिए बिना जमानत याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा। प्रस्तावित मसौदे के तहत इसमें सभी अपराध गैर-जमानती बना दिए गए हैं।
5). लव जिहाद पर अंकुश लगाने के लिए हुई थी पहल
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कथित 'लव जिहाद' पर अंकुश लगाने के इरादे से यह पहल की थी। नवंबर 2020 में इसके लिए अध्यादेश जारी किया गया और बाद में उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों से विधेयक पारित होने के बाद उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021 को कानूनी रूप में मान्यता मिली। मंगलवार को विधानसभा में इस संशोधित विधेयक पर चर्चा की गई और फिर इसे पारित कर दिया गया।
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