Waqf Amendment Bill: क्या है वक्फ संशोधन विधेयक? क्यों है सरकार और विपक्ष में तकरार, जानिए बिल की हर एक बात
Waqf Amendment Bill 2025 : वक्फ बोर्ड के पास कुल मिलाकर 9.4 लाख एकड़ जमीन और 8.7 लाख संपत्तियां हैं। इन संपत्तियों की कुल कीमत 1.2 लाख करोड़ तक आंकी जाती है। मुस्लिमों का एक बड़ा तबका ऐसा है जो इस विधेयक को शंका की नजर से देख रहा है। इनका दावा है कि सरकार इसके जरिए संपत्तियों से वक्फ बोर्ड का दखल खत्म करना और मस्जिदों, मदरसों एवं अन्य संपत्तियों को उनसे छीनना चाहती है।

वक्फ संशोधन विधेयक 2025।
Waqf Amendment Bill 2025 : केंद्र सरकार बुधवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधयेक 2025 पेश कर रही है। सरकार का कहना है कि यह संशोधन विधेयक लाने के पीछे उसका मकसद वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन एवं संचालन में सुधार करना है। जबकि मुस्लिम नेताओं, मौलवियों एवं विपक्षी दल इस संशोधन विधेयक को 'असंवैधानिक' बताकर विरोध कर रहे हैं। मुस्लिमों का एक बड़ा तबका ऐसा है जो इस विधेयक को शंका की नजर से देख रहा है। इनका दावा है कि सरकार इसके जरिए संपत्तियों से वक्फ बोर्ड का दखल खत्म करना और मस्जिदों, मदरसों एवं अन्य संपत्तियों को उनसे छीनना चाहती है। इन दावों और आरोपों को सरकार ने सिरे से खारिज किया है। केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने बार-बार कहा है कि वक्फ की संपत्तियां अपने नियंत्रण में लेने का सरकार का कोई इरादा नहीं है और इस विधेयक पर विपक्ष मुस्लिम समुदाय को गुमराह कर रहा है। कुल मिलाकर वक्फ संशोधन विधेयक विवाद का विषय बना हुआ है।
क्या है वक्फ?
वक्फ एक इस्लामिक परंपरा है। इसका उद्देश्य मुस्लिमों की भलाई के लिए दान-पुण्य करना है। इस्लाम के नाम पर जब कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति धार्मिक, सामाजिक या पुण्य कार्यों के लिए दान करता है तो यह संपत्ति स्थायी रूप से वक्फ बोर्ड के अधीन हो जाती है और उसका इस्तेमाल समुदाय के भले के लिए किया जाता है। यह संपत्ति कृषि भूमि, भवन, दरगाह, मस्जिद, स्कूल, अस्पताल, कब्रिस्तान, इदगाह जैसे कई रूपों में हो सकती है। ऐसा प्रावधान है कि वक्फ की संपत्तियों से होने वाली आय का इस्तेमाल मुस्लिम गरीब बच्चों की पढ़ाई और गरीब मुस्लिम बेटियों की शादी जैसे कार्यों में खर्च होना चाहिए लेकिन हाल के वर्षों में वक्फ के कामकाज में कई तरह की अनियमितताएं और शिकायतें मिली हैं। वक्फ बोर्ड के पास कुल मिलाकर 9.4 लाख एकड़ जमीन और 8.7 लाख संपत्तियां हैं। इन संपत्तियों की कुल कीमत 1.2 लाख करोड़ तक आंकी जाती है।
सरकार वक्फ कानून में क्यों संशोधन कर रही है?
वक्फ के कामकाज का बेहतर तरीके से प्रबंधन, संचालन और उसमें पारदर्शिता लाने के लिए वक्फ एक्ट 1995 में संशोधन कर रही है। सरकार का मानना है कि समय बदलने के साथ वक्फ की चुनौतियां भी बढ़ गई हैं। प्रस्तावित संशोधन का उद्देश्य वक्फ के प्रशासन को चुस्त-दुरुस्त बनाना और देश भर में फैली वक्फ संपत्तियों का प्रभावी तरीके से प्रबंधन एवं संचालन करना है। दरअसल, वक्फ संपत्तियों से जुड़े सरकार के सामने कई जटिल मुद्दे आए हैं। कहा जाता है कि 'वक्फ की एक बार की संपत्ति, हमेशा वक्फ की संपत्ति'। यह धारणा भी कई तरह की कानूनी चुनौतियां पेश कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक इस विधेयक के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं-
गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना
यह विधेयक केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों की संरचना में बदलाव कर गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रस्ताव रखता है। इसका उद्देश्य इन संस्थाओं में प्रतिनिधित्व का विस्तार करना है। इसमें दो मुस्लिम महिलाएं और दो गैर-मुस्लिम समुदाय के लोगों को शामिल करने का प्रस्ताव है।
वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण
वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण की जिम्मेदारी सर्वेक्षण आयुक्त से हटाकर जिला कलेक्टर या उनके द्वारा नामित किसी अधिकारी को सौंपी गई है। यह परिवर्तन सर्वेक्षण प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाने के लिए किया गया है।
सरकारी संपत्ति और वक्फ
विधेयक स्पष्ट करता है कि यदि कोई सरकारी संपत्ति वक्फ के रूप में चिन्हित की जाती है, तो वह अब वक्फ संपत्ति नहीं मानी जाएगी। स्वामित्व को लेकर किसी भी संदेह की स्थिति में जिला कलेक्टर निर्णय लेंगे और राजस्व रिकॉर्ड को अपडेट करेंगे।
वक्फ न्यायाधिकरणों की संरचना
विधेयक वक्फ न्यायाधिकरणों की संरचना में बदलाव करता है और मुस्लिम कानून के विशेषज्ञ की अनिवार्यता को हटा देता है। नए ढांचे में एक वर्तमान या पूर्व जिला न्यायालय के न्यायाधीश को अध्यक्ष बनाया जाएगा, और एक अन्य सदस्य राज्य सरकार के संयुक्त सचिव स्तर का वर्तमान या पूर्व अधिकारी होगा।
अपील प्रक्रिया
यह विधेयक वक्फ न्यायाधिकरणों के आदेशों के खिलाफ हाईकोर्ट में 90 दिनों के भीतर अपील करने की अनुमति देता है, जबकि पहले न्यायाधिकरण का निर्णय अंतिम माना जाता था। न्यायाधिकरण के फैसले को शिकायतकर्ता दीवानी अदालत और उच्च न्यायालयों में चुनौती नहीं दे पाता था।
डिजिटलीकरण और पारदर्शिता
विधेयक वक्फ रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण और तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देकर पारदर्शिता और प्रभावशीलता में सुधार लाने के उपाय पेश करता है। संशोधन विधेयक का लक्ष्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को आधुनिक बनाने, बेहतर निगरानी सुनिश्चित करने और वक्फ संस्थानों में समावेशिता को बढ़ावा देना है।
वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध क्यों?
गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति
विधेयक में वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रस्ताव है। विरोधियों का कहना है कि यह वक्फ प्रबंधन की स्वायत्तता को कमजोर करेगा और धार्मिक मामलों में बाहरी हस्तक्षेप बढ़ाएगा।
सरकारी संपत्तियों को वक्फ से हटाने का प्रावधान
विधेयक के अनुसार, यदि कोई संपत्ति सरकारी घोषित होती है, तो उसे वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा। विरोध करने वाले इसे वक्फ की संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश मानते हैं।
सर्वेक्षण की जिम्मेदारी जिला प्रशासन को देना
पहले वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण एक स्वतंत्र सर्वेक्षण आयुक्त द्वारा किया जाता था, लेकिन नए संशोधन के तहत यह कार्य जिला कलेक्टर को सौंपा गया है। विरोधियों को आशंका है कि इससे राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ेगा और निष्पक्षता प्रभावित होगी।
मुस्लिम कानून के विशेषज्ञ की अनिवार्यता समाप्त
संशोधन में वक्फ ट्रिब्यूनल में मुस्लिम कानून के विशेषज्ञ को अनिवार्य न रखने का प्रस्ताव है। इससे वक्फ से जुड़े मामलों में सही न्यायिक समझ की कमी होने की आशंका जताई जा रही है।
न्यायाधिकरण के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की अनुमति
पहले वक्फ ट्रिब्यूनल के निर्णय को अंतिम माना जाता था, लेकिन संशोधन के बाद हाईकोर्ट में अपील करने की अनुमति दी गई है। इससे वक्फ से जुड़े मामलों में कानूनी प्रक्रिया लंबी और जटिल हो सकती है।
वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण
हालांकि डिजिटलीकरण पारदर्शिता बढ़ाने के लिए किया जा रहा है, लेकिन विरोधियों को डर है कि इससे वक्फ संपत्तियों का डेटा सरकारी नियंत्रण में आ सकता है, जिससे संपत्तियों के हस्तांतरण या अधिग्रहण का खतरा बढ़ जाएगा।
वक्फ संपत्तियों पर प्रशासनिक दखल बढ़ने का डर
विधेयक में किए गए संशोधनों से वक्फ संपत्तियों की देखरेख और प्रशासन में सरकार की भूमिका बढ़ सकती है, जिससे वक्फ बोर्ड की स्वतंत्रता पर असर पड़ सकता है।
अल्पसंख्यक अधिकारों का उल्लंघन
कई मुस्लिम संगठनों और नेताओं का मानना है कि यह विधेयक वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को कमजोर कर अल्पसंख्यकों के धार्मिक और संपत्ति संबंधी अधिकारों का उल्लंघन करता है।
राजनीतिकरण और सत्ता का दुरुपयोग
विरोधियों का मानना है कि संशोधनों के जरिए सरकार को वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सीधा दखल देने का अवसर मिलेगा, जिससे राजनीतिक लाभ लेने की संभावना बढ़ सकती है।
पारंपरिक व्यवस्था को बदलने की कोशिश
विधेयक में किए गए बदलावों को वक्फ प्रबंधन की पारंपरिक व्यवस्था को बदलने और उसे सरकारी नियंत्रण में लाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। इससे वक्फ संस्थानों के ऐतिहासिक और धार्मिक स्वरूप को नुकसान पहुंचने की आशंका जताई जा रही है।
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