क्या है वक्फ संशोधन बिल, क्यों छिड़ा घमासान, क्या है सरकार की रणनीति और क्या-क्या प्रावधान?
एक बड़ा सवाल खड़ा है क्या नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के पैमाने पर ही इसके विरोध की भी योजना बनाई जा रही है? संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने करीब छह महीने बाद विपक्षी दलों की असहमति के बीच 300 पन्नों सहित 944 पन्नों की रिपोर्ट पेश की है।

वक्फ बिल पर क्यों मचा घमासान
What is Waqf Amendment Bill: संसद में बुधवार 2 अप्रैल को वक्फ संशोधन बिल पेश किया जाएगा। मंगलवार को बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में इस बिल को सदन में पेश करने का फैसला किया गया। बताया जा रहा है कि बिल पर 8 घंटे kr चर्चा होगी। बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में विपक्षी दलों के सदस्यों ने भी हिस्सा लिया। इस दौरान विपक्षी दलों के सदस्यों ने आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष से जुड़े मुद्दों को लेकर गंभीर नहीं है। वक्फ बिल को लेकर लगातार विवाद बना हुआ है और इस मामले पर सरकार-विपक्ष आमने-सामने हैं। इस पर संयुक्त संसदीय समिति गठित की गई लेकिन सहमति नहीं बन पाई। आइए जानते हैं वक्फ और वक्फ बिल के बारे में सबकुछ।
वक्फ बिल पर सियासी घमासान
वक्फ बिल को लेकर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है। कांग्रेस, सपा, टीएमसी, लेफ्ट, एआईएमआईएम जैसे तमाम विपक्षी दल इसके विरोध में हैं। वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। उसका कहना है कि नया कानून मुस्लिमों के खिलाफ है। कई विपक्षी शासित राज्यों ने बिल के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए हैं, जबकि संसद में विपक्षी दल इसके खिलाफ एकजुट हैं। AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता तो यहां तक कह रहे हैं कि अगर जनता दल (यूनाइटेड), तेलुगु देशम पार्टी, चिराग पासवान और जयंत चौधरी जैसे एनडीए के सहयोगी इसका समर्थन करते हैं, तो मुसलमान उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे।
इन सब बातों ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है क्या नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के पैमाने पर ही इसके विरोध की भी योजना बनाई जा रही है? संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने करीब छह महीने बाद विपक्षी दलों की असहमति के बीच 300 पन्नों सहित 944 पन्नों की रिपोर्ट पेश की है। वक्फ संशोधन विधेयक यकीनन भाजपा के नए कार्यकाल में अब तक का सबसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील कानून है।
वक्फ क्या है?
वक्फ धार्मिक, धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए चल या अचल संपत्ति का स्थायी दान है। वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ अधिनियम, 1995 द्वारा शासित होता है, और इसकी देखरेख राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद द्वारा की जाती है। देश में 37.39 लाख एकड़ क्षेत्र में फैली 8.72 लाख पंजीकृत वक्फ संपत्तियां हैं। हालांकि, सिर्फ 1,088 संपत्तियों ने वक्फ दस्तावेज पंजीकृत किए हैं, और 9279 अन्य के पास स्वामित्व अधिकार बताने वाले दस्तावेज हैं।
सरकार की क्या योजना, क्या-क्या प्रावधान?
अब वक्फ दस्तावेज अनिवार्य कर दिए गए हैं। सभी संपत्ति विवरण छह महीने के भीतर एक पोर्टल पर अपलोड किए जाने चाहिए। वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 से पहले या बाद में वक्फ के रूप में घोषित की गई कोई भी सरकारी संपत्ति वक्फ संपत्ति नहीं मानी जाएगी। कलेक्टर के पद से ऊपर का अधिकारी कानून के अनुसार जांच करेगा कि वक्फ संपत्ति सरकारी संपत्ति है या नहीं। यह सब स्वामित्व पर स्पष्टता प्रदान करेगा और अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचाएगा।
वक्फ बोर्ड पर लगेगी लगाम
यह सुनिश्चित करने के लिए कि वक्फ बनाने का इरादा सही है, सिर्फ कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम का पालन करने वाले व्यक्ति ही वक्फ को संपत्ति दान कर पाएंगे। व्यक्ति को कानूनी रूप से संपत्ति का मालिक होना चाहिए और इसे हस्तांतरित या दान करने में सक्षम होना चाहिए। धारा 40, जिसके तहत वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित करने की अनुमति थी, अब अस्तित्व में नहीं रहेगी, ताकि वक्फ बोर्ड की शक्तियों को तर्कसंगत बनाया जा सके।
ट्रिब्यूनल के फैसले अब अंतिम नहीं होंगे
साथ ही, ट्रिब्यूनल के फैसले अब अंतिम नहीं होंगे, 90 दिनों के भीतर हाई कोर्ट में अपील दायर की जा सकेगी। जिला कलेक्टर पंजीकरण आवेदनों की वास्तविकता की पुष्टि करेंगे। केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में कम से कम दो मुस्लिम महिलाएं होंगी, और राज्य/केंद्र शासित प्रदेश वक्फ बोर्ड में बोहरा और अघाखानी समुदायों से एक-एक सदस्य होंगे। पिछड़े वर्गों से संबंधित मुस्लिम भी बोर्ड का हिस्सा होंगे, जिसमें दो गैर-मुस्लिम सदस्य होंगे। राज्य सरकारें बोहरा और अघाखानी समुदायों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड भी स्थापित कर सकती हैं। इसका मकसद वक्फ संपत्ति प्रबंधन में समावेशिता और विविधता को बढ़ावा देना है।
पंजीकृत मस्जिदों और कब्रिस्तानों को मिलेगा संरक्षण
एक बेहद महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि मस्जिदों और कब्रिस्तानों जैसी लंबे समय से चली आ रही वक्फ संपत्तियों को संरक्षण दिया जा रहा है। अतीत में कुछ संपत्तियां औपचारिक दस्तावेज के बिना भी धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए उनके लंबे उपयोग के आधार पर वक्फ बन गईं। हालांकि यह प्रावधान अब नहीं रहेगा क्योंकि वक्फ डीड अनिवार्य हो गए हैं, लेकिन इस अधिनियम के लागू होने से पहले या उसके बाद वक्फ बोर्ड के पास पंजीकृत मस्जिदों और कब्रिस्तानों जैसी वक्फ संपत्तियों को संरक्षण दिया जाएगा, जब तक कि वे विवादित न हों या सरकारी संपत्ति के रूप में वर्गीकृत न हों।
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