शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग पर क्या करेगा भारत? अब विदेश नीति की अग्निपरीक्षा, तनाव और बढ़ने के आसार

भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि के प्रावधानों के तहत अगर अपराध का स्वरूप राजनीतिक हो तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है। यानी अगर साबित हो जाए कि शेख हसीना के खिलाफ आरोप राजनाति से प्रेरित हैं, तो भारत उनके प्रत्यर्पण से इनकार कर सकता है।

शेख हसीना पर बांग्लादेश का नया पैंतरा

मुख्य बातें
  • पूर्व पीएम शेख हसीना को लेकर बांग्लादेश की नई मांग ने तनाव में और इजाफा किया
  • बांग्लादेश ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को ढाका प्रत्यर्पित करने की मांग की
  • मामला बढ़ने पर भारत के लिए असहज स्थिति बनेगी और विदेश नीति की सख्त परीक्षा होगी

Sheikh Hasina's extradition: भारत-बांग्लादेश के बीच तनाव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अब पूर्व पीएम शेख हसीना को लेकर बांग्लादेश की नई मांग ने इस तनाव में और इजाफा कर दिया है। भारत ने सोमवार को नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम बांग्लादेश सरकार से एक आधिकारिक अनुरोध मिलने की पुष्टि की, लेकिन इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। बांग्लादेश ने अपदस्थ प्रधानमंत्री और अवामी लीग प्रमुख शेख हसीना को ढाका प्रत्यर्पित करने की मांग की है। भारत ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन बांग्लादेश का मौजूदा रुख बताता है कि उसे तनाव कम करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। वह 2013 में शेख हसीना सरकार के साथ हुई भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि को आधार बनाकर अपनी मांग सामने रखी है। मामला बढ़ने पर भारत के लिए असहज स्थिति पैदा हो जाएगी और उसकी विदेश नीति की कड़ी परीक्षा होगी।

विदेश मंत्रालय का प्रतिक्रिया से इनकार

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि फिलहाल नई दिल्ली इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं करेगा। रणधीर जयसवाल ने एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा कि हम पुष्टि करते हैं कि हमें प्रत्यर्पण अनुरोध के संबंध में आज बांग्लादेश उच्चायोग से एक नोट वर्बल मिला है। फिलहाल, हम इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। बता दें कि नोट वर्बेल एक औपचारिक राजनयिक संचार है और अहस्ताक्षरित रहता है।

भारत के सामने क्या रास्ते?

भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि के प्रावधानों के तहत अगर अपराध का स्वरूप राजनीतिक हो तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है। यानी अगर साबित हो जाए कि शेख हसीना के खिलाफ आरोप राजनाति से प्रेरित हैं, तो भारत उनके प्रत्यर्पण से इनकार कर सकता है। संधि में यह भी कहा गया है कि दोषी ठहराए गए व्यक्ति को तब तक प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता जब तक कि उसे चार महीने या उससे अधिक की सजा न सुनाई गई हो। भारत के पास एक और कानूनी विकल्प है, संधि का अनुच्छेद 21(3) भारत को किसी भी समय नोटिस देकर इस संधि को समाप्त करने का अधिकार देता है। नोटिस की तारीख के छह महीने बाद संधि प्रभावी नहीं होगी। लेकिन संधि को एकतरफा समाप्त करने से ढाका के साथ उसके संबंधों में और खटास आ सकती है। इसके आसार कम ही दिखते हैं।

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