अमेठी ने जब संजय गांधी को चुनाव में दिया करारा जवाब, महिलाओं ने चिल्लाकर कहा- आपने हमें विधवा बना दिया; बड़ा दिलचस्प है वो किस्सा

संजय गांधी अपनी मां और उस वक्त की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को बार-बार फोन कर रहे थे और ये बताना चाह रहे थे कि इस बार वो उनकी बगल वाली सीट यानी अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं और वहां से पर्चा भी भर रहे हैं। इस चुनाव में संजय को अमेठी ने करारा जवाब दिया था। आपको वो दिलचस्प किस्सा बताते हैं।

संजय गांधी से जुड़ा दिलचस्प सियासी किस्सा।

Siyasi Kissa: भारत में इमरजेंसी का दौर किसी भयावह सपने के कम नहीं था, उस वक्त आवाज उठाने वालों को देश की जेलों ठूंस दिया जाता था, पकड़-पकड़कर लोगों की नसबंदी करा दी जाती थी। विपक्षी पार्टियों के नेताओं को अंडरग्राउंड होना पड़ता था और जो बाहर होते, आंदोलन करते थे, उन्हें सलाखों के पीछे डाल दिया जाता था। 25 जून, 1975... यही वो तारीख थी, जब देश में आपातकाल (इमरजेंसी) लागू किया गया था। कुर्सी की खातिर देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सरकार में रहते हुए संविधान संशोधनों का सिलसिला जारी रखा। उन्होंने ऐसा संशोधन भी किया था, जिसमें लोकसभा के कार्यकाल को भी पांच वर्ष से बढ़ाकर 6 साल कर दिया गया था।

संजय गांधी, इंदिरा गांधी।

इमरजेंसी का दौर खत्म हुआ, ऐसा कहा जाता है कि अगर उस वक्त इंदिरा को सही फीडबैक मिला होता तो, वर्ष 1977 में भी वो आम चुनाव कराने के लिए तैयार नहीं होतीं, लेकिन उनके निजी सचिव पीएन धर ने उन्हें ऐसी जानकारी साझा की थी कि यदि इस वक्त चुनाव होंगे तो कांग्रेस आसानी से 340 सीटों पर जीत हासिल कर लेगी, ऐसा खुफिया हवाले से पता चला है। लेकिन नतीजे सामने आए तो कांग्रेस की खटिया खड़ी हो गई। हर किसी के पांव तले जमीन खिसक गई, क्योंकि पहली बार ऐसा होने जा रहा था कि देश की सत्ता के कांग्रेस पार्टी बेदखल होने जा रही थी और आजाद भारत में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनने जा रही थी। लेकिन इस चुनाव में कुछ ऐसा हुआ जिससे इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी के सियासी वजूद पर सवालिया निशान खड़ा हो गया।

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