जब जब्त हो गई थी अटल बिहारी वाजपेयी की जमानत, इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने दी थी पटखनी
Siyasi Kissa: उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन सीटों से चुनाव लड़ा था, तीनों ही उत्तर प्रदेश की सीटें थीं। यूपी की बलरामपुर सीट से उन्होंने जीत हासिल कर ली थी, लेकिन वो जिस दूसरी और तीसरी सीट से उन्हें हार झेलनी पड़ी थी। इनमें से एक सीट पर उनकी जमानत जब्त हो गई और परिणाम में चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा था।
अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ा सियासी किस्सा।
Atal Bihar Vajpeyee: साल 1957 की बात है, देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायपेयी को इसी साल लोकसभा चुनाव में न सिर्फ हार का सामना करना पड़ा था, बल्कि उनकी जमानत जब्त हो गई थी और उन्हें चुनावी परिणाम में चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा था। भारतीय जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकों में रहे अटल बिहारी को उस वक्त बलरामपुर से जीत हासिल हुई थी, लेकिन वो सीट जिस पर भाजपा ने छह बार जीत हासिल की है, वहां से उनकी जमानत जब्त हो गई थी। श्रीकृष्ण जन्मभूमि के नाम से मशहूर मथुरा में उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा था।
निर्दलीय उम्मीदवार ने अटल बिहारी और कांग्रेस को दी थी पटखनी
मथुरा लोकसभा सीट पर हुए इस लोकसभा चुनाव में न सिर्फ अटल बिहारी वाजपेयी को हार का मुंह देखना पड़ा था, बल्कि कांग्रेस के दिगंबर सिंह को भी पराजय झेलनी पड़ी थी। अटल बिहारी ने 1957 में भारतीय जनसंघ के चुनाव चिन्ह पर लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई थी। जबकि कांग्रेस ने दिगंबर को अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा था, इन दोनों को पछाड़ते हुए निर्दलीय उम्मीदवार राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने जीत हासिल की थी। 1952 के चुनाव में कांग्रेस के कृष्ण चंद्र को इस सीट से जीत हासिल हुई थी, उस चुनाव में राजा महेंद्र को हार झेलनी पड़ी थी और वो चुनावी नतीजों में दूसरे पायदान पर थे।
अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद राजा महेंद्र के लिए मांगा था वोट?
अटल बिहारी वाजपेयी के सहयोगी रहे बांकेबिहारी माहेश्वरी ने खुद ये बताया था कि जब मथुरा में मतदान के लिए एक-दो दिन बचे थे, तो खुद अटल ने मथुरा की जनता से ये अपील की थी कि वे उन्हें वो न देकर राजा महेंद्र प्रताप सिंह को विजयी बनाएं। ये किस्सा बड़ा दिलचस्प है, अटल बिहारी वाजपेयी काफी मुखर नेता माने जाते रहे हैं, राजनीतिक जीवन में उन्होंने अपने सिद्धांतों से कभी भी समझौता नहीं किया। माहेश्वरी ने इस अपील की वजह ये बताई कि उस चुनाव में अटल बिहारी किसी भी कीमत पर कांग्रेस को हराना चाहते थे, उनकी नजरिए से राजा महेंद्र प्रताप का सांसद बनना बेहद महत्व रखता था, उन्होंने मथुरा और देश की जनता और समाज के लिए त्याग और समर्पण किया था।
अटल बिहारी ने तीन सीटों पर लड़ा था चुनाव, दो पर हारे
मीडिया रिपोर्ट्स में ये कहा गया है कि बांकेबिहारी माहेश्वरी ने ये बताया था अटल बिहारी उस चुनाव में राजा महेंद्र प्रताप को जिताना चाहते थे और उन्होंने ऐसा करके भी दिखा दिया। हालांकि 5 साल बाद हुए चुनाव में इस सीट का समीकरण बदल गया और मथुरा सीट का परिणाम पूरी तरह पलट गया, राजा महेंद्र प्रताप को 1962 में दिगंबर सिंह ने पटखनी दे दी। खैर, अटल ने मथुरा के अलावा बलरामपुर और लखनऊ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। बलरामपुर से तो उन्होंने प्रचंड जीत हासिल की थी, लेकिन लखनऊ से भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। आपको लोकसभा चुनाव 1957 के उन तीनों सीटों के चुनावी परिणाम से रूबरू करवाते हैं, जहां से अटल बिहारी वाजपेयी ने चुनाव लड़ा था।
लोकसभा चुनाव 1957: लखनऊ सीट का चुनावी परिणाम
स्थान | उम्मीदवार | कुल वोट | वोट फीसदी | पार्टी |
1 | पुलिन बिहारी बनर्जी | 69,519 | 40.8% | कांग्रेस |
2 | अटल बिहारी वाजपेयी | 57,034 | 33.4% | भारतीय जनसंघ |
3 | फज़ल अब्बास काज़मी | 28,542 | 16.7% | सीपीआई |
4 | चंद्रिका सिंह करुणेश | 12,784 | 7.5% | निर्दलीय |
स्थान | उम्मीदवार | कुल वोट | वोट फीसदी | पार्टी |
1 | राजा महेंद्र प्रताप | 95,202 | 40.7% | निर्दलीय |
2 | दिगंबर सिंह | 69,209 | 29.6% | कांग्रेस |
3 | पूरन | 29,177 | 12.5% | निर्दलीय |
4 | अटल बिहारी वाजपेयी | 23,620 | 10.1% | भारतीय जनसंघ |
लोकसभा चुनाव 1957: बलरामपुर सीट का चुनावी परिणाम
स्थान | उम्मीदवार | कुल वोट | वोट फीसदी | पार्टी |
1 | अटल बिहारी वाजपेयी | 1,18,380 | 52.2% | भारतीय जनसंघ |
2 | हैदर हुसैन | 1,08,568 | 47.8% | कांग्रेस |
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