विश्वास मत ने जब-जब हिला दीं तीन-तीन सरकारें, वीपी सिंह से लेकर वाजपेयी तक हुए शिकार
Confidence Motions : विपक्ष की रणनीति और मंशा को समझा जा सकता है। विपक्ष को भी पता है कि अविश्वास प्रस्ताव पर अगर वोटिंग हुई तो इससे एनडीए को कोई खतरा नहीं है। विपक्ष की कोशिश मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बयान दिलाना है। चर्चा का जवाब पीएम दे सकते हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार एक वोट से विश्वास मत हार गई थी।
Confidence Motions : संसद के मानसून सत्र को शुरू हुए 10 दिन से ज्यादा का समय हो गया है लेकिन इस दौरान मणिपुर हिंसा को लेकर दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार स्थगित हुई है। उत्पादकता के लिहाज से संसद का कामकाज बहुत कम हुआ है। हालांकि, विपक्ष के शोर-शराबे के बीच सरकार कुछ विधेयक पारित कराने में जरूर सफल रही है। मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्ष के जो तेवर हैं उससे लगता है कि गतिरोध जल्दी टूटेगा नहीं। 'INDIA' के अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार चर्चा कराने के लिए तैयार है लेकिन यह चर्चा कब होगी इस पर अभी सस्पेंस है। 'INDIA' के इस अविश्वास प्रस्ताव पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
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लोकसभा में पेश होता है अविश्वास प्रस्ताव
लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव कोई भी सदस्य पेश कर सकता है। इसके लिए 50 सांसदों के समर्थन की जरूरत होती है। प्रस्ताव स्वीकार किए जाने के बाद इस पर 10 दिनों के भीतर सरकार को चर्चा कराना होता है। विपक्ष को जब लगता है कि किसी मुद्दे पर सरकार सदन का विश्वास खो चुकी है या उसे लगता है कि सरकार चलाने के लिए जरूरी बहुमत का आंकड़ा उसके पास नहीं है तो वह यह प्रस्ताव लेकर आती है। जाहिर है कि मोदी सरकार को लोकसभा में कोई खतरा नहीं है। उसके पास बहुमत से ज्यादा का आंकड़ा है।
अब तक 27 बार पेश हुआ है अविश्वास प्रस्ताव
ऐसे में विपक्ष की रणनीति और मंशा को समझा जा सकता है। विपक्ष को भी पता है कि अविश्वास प्रस्ताव पर अगर वोटिंग हुई तो इससे एनडीए को कोई खतरा नहीं है। विपक्ष की कोशिश मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बयान दिलाना है। चर्चा का जवाब पीएम दे सकते हैं। सरकरा की ओर चर्चा कराए जाने का संकते दिए जाने के बाद भी विपक्ष की ओर से गतिरोध बरकरार है। आजादी के बाद भारत में अब तक लोकसभा में कुल 27 बार अविश्वास प्रस्ताव पेश हो चुका है। मोरारजी देसाई ने बहस के दौरान अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। बाकी 26 बार अविश्वास प्रस्ताव पर जो वोटिंग हुई उसमें सरकारें बच गईं।
विश्वास मत के बाद 3 सरकारें गिरीं
अब तक तीन ऐसे मौके भी आए हैं जब सत्ताधारी सरकारें अपना बहुमत साबित करने के लिए विश्वास मत पेश किया। सरकार के खिलाफ जब विपक्ष ऐसा माहौल बनाता है कि उसके पास बहुमत का आंकड़ा नहीं है तो सरकार अपना बहुमत साबित करने के लिए लोकसभा में विश्वास मत लेकर आती है। भारत में अब तक विश्वास मत लाए जाने पर तीन सरकारें गिर चुकी हैं। नवंबर 1990 में वीपी सिंह सरकार ने लोकसभा में विश्वास मत पेश किया लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। वीपी सिंह के विश्वास मत के समर्थन में 142 वोट और इसके खिलाफ 346 वोट पड़े। इसके बाद वीपी सिंह सरकार को जाना पड़ा।
एक वोट से विश्वास मत हार गए वाजपेयी
इसके बाद अप्रैल 1997 में एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली सरकार विश्वास मत पेश किया। देवगौड़ा की सरकार भी 158 मतों के मुकाबले 292 मतों से हार गई। फिर अप्रैल 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी ने लोकसभा में अपना विश्वास मत पेश किया। जयललिता की पार्टी ने सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी। अपनी सरकार बचाने के लिए पीएम वाजपेयी ने सांसदों से अपनी अंतरात्मा की आवाज पर वोटिंग करने की अपील की लेकिन उनकी सरकार एक वोट से हार गई।
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