दिल्ली में कब, क्यों और कैसे लागू होता है ऑड-ईवन, जानिए क्या है नियम

दिल्ली में हर साल ठंड के मौसम में हवा जहरीली होने लगती है। हवा में प्रदूषित हो जाती है और सांस लेना भी मुश्किल होने लगता है। जिसके बाद ऑड ईवन लागू किया जाता है, जिसमें नंबरों के हिसाब से गाड़ियों को सड़क पर चलने की अनुमति होती है।

odd even implemented in delhi

दिल्ली में किस नियम के तहत लागू होता है ऑड ईवन

मुख्य बातें
  • दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने पर लागू होता है ऑड ईवन
  • दिल्ली में हर साल ठंड के समय में हवा होती है जहरीली
  • ग्रैप योजना के जरिए दिल्ली में लागू होते हैं प्रतिबंध
भारत में दिल्ली ही ऐसा शहर है, जहां ऑड-ईवन लागू हुआ है। दिल्ली में प्रदूषण का स्तर जैसे ही बढ़ने लगता है, ऑड-ईवन की बात होने लगती है। ऑड-ईवन कितना सफल है, यह के बहस का मुद्दा रहा है, हालांकि इसके कुछ अच्छे परिणाम जरूर देखने को मिले हैं, जैसे सड़कों पर गाड़ियां कम हो जाती है, प्रदूषण से भी राहत मिलती है। हालांकि इससे जनता को होने वाली परेशानियों ने इसपर जरूर कुछ सवाल खड़े किए हैं। आईए समझते हैं कि ऑड ईवन कब, क्यों और किन नियमों के तहत दिल्ली में लागू होता है।

दिल्ली सरकार की तैयारियां शुरू

IANS के अनुसार दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या है। खासकर जाड़े के मौसम में यह समस्या और विकराल हो जाती है। दिल्ली सरकार ने इस साल इससे निपटने के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है। राज्य के वन एवं पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इसी सिलसिले में गुरुवार को विशेषज्ञों के साथ एक बैठक भी की। निजी वाहनों के लिए ऑड-ईवन की व्यवस्था लागू करने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने के कहा कि परिस्थितियों के आधार पर इस पर फैसला होगा।

ग्रैप से कंट्रोल होता है वायु प्रदूषण

दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं आसपास के इलाकों के लिए गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा जारी वायु गुणवत्ता प्रबंधन योजना के तहत लागू किये जाते हैं। इसके लिए ग्रैप के नाम से योजना के दिशा-निर्देश हैं जिनमें पहले से तय है कि प्रदूषण का स्तर बढ़ने के साथ किस तरह के प्रतिबंध लगेंगे और क्या उपाय किये जाएंगे। पिछले साल अपडेट किये गए दिशा-निर्देशों के मुताबिक, ग्रैप के चार चरण हैं।

ग्रैप का पहला चरण

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 201 से 300 के बीच रहने पर ग्रैप का पहला चरण लागू किया जाता है। एक्यूआई 301 से 400 के बीच होने पर दूसरा चरण और 401 से 450 के बीच होने पर तीसरा चरण लागू किया जाता। प्रदूषण बहुत ज्यादा बढ़ने के साथ एक्यूआई यदि 450 को पार कर जाता है तो ग्रैप का चौथा चरण लागू होता है जिसके तहत प्रतिबंध सबसे ज्यादा और सबसे कड़े होते हैं।

ग्रैप के पहले चरण में क्या होता है

पहले चरण में कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन से निकलने वाली धूल और मलबे के प्रबंधन को लेकर निर्देश लागू होते हैं। खुली जगहों पर कचरा आदि जलाने और फेंकने से रोकने और नियमित तौर पर कूड़ा उठान के निर्देश हैं। सड़कों पर धूल को उड़ने से रोकने के लिए कुछ दिनों के अंतराल पर पानी का छिड़काव किया जाता है। डीजल जेनरेटर सेट का नियमित इस्तेमाल बंद कर दिया जाता है। पीयूसी के नियमों को सख्ती से लागू किया जाता है और वाहनों से निकलने वाले धुएं को लेकर सख्ती बरती जाती है।

ग्रैप का दूसरा चरण

दूसरे चरण में अस्पतालों, रेल और मेट्रो सेवाओं जैसी जगहों को छोड़कर कहीं और डीजल जनरेटर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध रहता है। सड़कों की साफ-सफाई के साथ पानी का छिड़काव रोजाना किया जाता है। फैक्ट्रियों में सिर्फ उचित ईंधन का ही उपयोग सुनिश्चित किया जाता है। लोगों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने के लिए पार्किंग फीस बढ़ा दी जाती है। निर्माण स्थलों पर निरीक्षण बढ़ा दिया जाता है। मीडिया में विज्ञापन के जरिये लोगों को जागरूक किया जाता है।

ग्रैप का तीसरा चरण

तीसरे चरण में हर दिन सड़कों की साफ-सफाई कराई जाती है। नियमित तौर पर पानी का छिड़काव कराया जाता है। कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन से निकलने वाले धूल और मलबे का सही तरह का निष्पादन कराया जाता है। दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर में पेट्रोल से चलने वाले बीएस-3 इंजन वाले और डीजल से चलने वाले बीएस-4 चार पहिया वाहनों के इस्तेमाल पर रोक लगाने का प्रावधान है।

ग्रैप का चौथा चरण

चौथे चरण में ट्रक, लोडर आदि भारी वाहनों को दिल्ली में प्रवेश करने पर रोक लगा दी जाती है। सिर्फ आवश्यक सामग्री वाली आपूर्ति करने वाले वाहनों को प्रवेश दिया जाता है। सभी प्रकार के निर्माण और तोड़फोड़ कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। राज्य सरकार स्कूली छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाओं और सरकारी और निजी कार्यालयों के लिए घर से काम करने पर भी निर्णय लेती हैं। ऑड-ईवन का निर्णय भी चौथे चरण में लिया जा सकता है, हालांकि यह जरूरी नहीं, लेकिन ऐसा करने के लिए राज्य सरकार को अधिकार दिये गये हैं।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | एक्सप्लेनर्स (explainer News) और बजट 2024 (Union Budget 2024) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

लेटेस्ट न्यूज

शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited