कौन है अफजाल अंसारी, किस मामले में सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत? जानें सारा विवाद
Who is Afzal Ansari: पांच बार विधायक और दो बार सांसद, अफजाल अंसारी की यही पहचान है। मगर उनकी इससे ज्यादा चर्चा उसके भाई मुख्तार अंसारी की करतूतों की वजह से रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 2007 के गैंगस्टर अधिनियम के एक मामले में पूर्व सांसद अफजाल की दोषसिद्धि को सशर्त निलंबित कर दी।
मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी को जानिए।
Afzal Ansari News: अफजाल अंसारी... ये वही नाम है जिसका भाई मुख्तार अंसारी है। एक ऐसा दौर था जब जरायम की दुनिया में मुख्तार के काले कारनामों की दहशत से हर कोई खौफ के साए में जीने को मजबूर था। मगर अब वक्त बदल चुका है, वो अपराधी जेल की सलाखों में बंद है। हालांकि इस बीच पांच बार के विधायक और दो बार के सांसद अफजाल अंसारी के लिए राहत भरी खबर आई। 2007 के गैंगस्टर अधिनियम के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के पूर्व सांसद अफजाल अंसारी की दोषसिद्धि बृहस्पतिवार को सशर्त निलंबित कर दी। ये वही केस है जिसमें अफजाल को चार साल की सजा हुई थी, जिसके चलते उनकी लोकसभा सदस्यता छिन गई थी। अब मुख्तार के भाई फिर से संसद में नजर आएंगे।
कौन है अफजाल अंसारी?
पांच बार विधायक और दो बार सांसद, अफजाल अंसारी की अपनी यही एक सबसे बड़ी पहचान है। अंसारी का परिवार बेहद संपन्न रहा है। उनके दादा मुख्तार अहमद अंसारी वर्ष 1926 से 1927 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) और अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के अध्यक्ष रहे। ये वही नाम है जो नई दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया के संस्थापकों में से एक थे। अफजाल और मुख्तार के पिता का नाम सुभानुल्लाह अंसारी, जो गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद नगर पालिका परिषद के निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए थे। भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति मो. हामिद अंसारी अफजाल अंसारी के चचेरे भाई हैं।
पद का नाम | कार्यकाल | पार्टी |
मोहम्मदाबाद से विधायक | 1985-1989 | भाकपा |
मोहम्मदाबाद से विधायक | 1989-1991 | भाकपा |
मोहम्मदाबाद से विधायक | 1991-1993 | भाकपा |
मोहम्मदाबाद से विधायक | 1993-1996 | भाकपा |
मोहम्मदाबाद से विधायक | 1996-2002 | सपा |
गाज़ीपुर से सांसद | 2004-2009 | सपा |
गाज़ीपुर से सांसद | 2019-2023 (अयोग्य) | बसपा |
गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी की शादी 26 अक्टूबर 1991 को फरहत अंसारी से हुई थी। अफजाल और फरहत की तीन बेटियां हैं। वहीं अफजाल के बड़े भाई का नाम सिबगतुल्लाह अंसारी है, जो समाजवादी पार्टी के नेता और मोहम्मदाबाद के पूर्व विधायक हैं। अफजाल के परिवार का सबसे खूंखार सदस्य उनका छोटा भाई मुख्तार अंसारी है। जो माफिया डॉन है और इसने हत्या, अपहरण जैसे संगीन अपराधों को अंजाम दिया है।
मनोज सिन्हा को हर दो बार हराया
साल 2004 की बात है, जब अफजाल अंसारी ने समाजवादी पार्टी से नाता जोड़ लिया था। लोकसभा चुनाव में उसकी टक्कर तत्कालीन गाजीपुर से भाजपा के सांसद मनोज सिन्हा से हुई। इस चुनाव में अफजाल ने सिन्हा को 226,777 वोटों से करारी शिकस्त दी। इसके बाद वो अगले चुनाव में बहुजन समाज पार्टी से जुड़ गया और एक बार फिर गाजीपुर से ही लोकसभा चुनाव लड़ा, मगर इस बार उसे सपा के राधे मोहन सिंह ने हरा दिया। उसने बसपा छोड़कर अपनी राजनीतिक पार्टी कौमी एकता दल बनाई। मगर 2017 में उसने अपनी पार्टी का बसपा में विलय कर लिया। 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर मनोज सिन्हा और अफजाल अंसारी आमने सामने थे। इस वक्त सिन्हा केंद्र की मोदी सरकार में दो-दो मंत्रालय में मंत्री पद संभाल रहे थे। मगर सपा-बसपा की जोड़ी ने फिर से सिन्हा को हार झेलने पर मजबूर कर दिया।
अफजाल अंसारी की सजा पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने 2007 के गैंगस्टर अधिनियम के एक मामले में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के पूर्व सांसद अफजाल अंसारी की दोषसिद्धि बृहस्पतिवार को सशर्त निलंबित कर दी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने बहुमत से दिए फैसले में कहा कि उत्तर प्रदेश के गाजीपुर निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व सांसद अंसारी लोकसभा में मतदान में हिस्सा नहीं ले सकते और न ही सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं लेकिन सदन की कार्यवाही में भाग ले सकते हैं। साथ ही पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय को दोषसिद्धि तथा सजा के खिलाफ की गई अफजाल अंसारी की आपराधिक अपील का 30 जून 2024 तक निस्तारण करने का निर्देश दिया।
गैंगस्टर अधिनियम मामले में हुई थी सजा
न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि उनकी राय बहुमत से दिए फैसले से अलग रही है और वह अंसारी की अपील खारिज करते हैं। शीर्ष न्यायालय ने 31 अक्टूबर को मामले में दोषसिद्धि के निलंबन का अनुरोध करने वाली अंसारी की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 24 जुलाई को दोषसिद्धि को निलंबित करने से इनकार कर दिया था लेकिन मामले में अंसारी को जमानत दे दी थी। अंसारी ने विशेष एमपी/एमएलए अदालत के फैसले के खिलाफ अपील की, जिसने उसे चार साल की कैद और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। गाजीपुर की विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने 29 अप्रैल को अंसारी और उसके भाई एवं पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को 2007 के गैंगस्टर अधिनियम मामले में दोषी ठहराया था। अफजाल अंसारी को चार साल कैद जबकि मुख्तार अंसारी को 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी।
दोनों भाइयों पर 29 नवंबर, 2005 को गाजीपुर के तत्कालीन भाजपा विधायक कृष्णनंद राय की हत्या और 1997 में वाराणसी के व्यापारी नंद किशोर रूंगटा के अपहरण व हत्या के सिलसिले में उप्र गैंगस्टर अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। अफजाल अंसारी को अपहरण-हत्या मामले में दोषी ठहराने और सजा सुनाए जाने के बाद एक मई को लोकसभा सदस्य के रूप में अयोग्य ठहराया गया था।
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