कौन है बांग्लादेश की जमीन तक पहुंचने वाली अराकान आर्मी, चौतरफा घिरने लगे हैं मो. यूनुस

Myanmar Arakan Army : म्यांमार की करीब 1600 किलोमीटर सीमा भारत के चार राज्यों अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम से लगती है। फरवरी 2021 में यहां सेना ने तख्तापलट कर दिया। सत्ता अपने हाथ में लेने के बाद से ही इस देश में सेना की तानाशाही और हुकूमत चल रही है। इसके खिलाफ उठाने वाले विद्रोहियों और लोकतंत्र समर्थकों को यहां की सेना दबाती आई है।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया हैं मो. यूनुस।

Arakan Army : हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुई हिंसा की आंच अब बांग्लादेश को महसूस होने लगी है। खासकर, उसके म्यांमार बॉर्डर पर तनाव बढ़ गया है। रिपोर्टों की मानें तो म्यांमार का एक विद्रोही गुट जिसे अराकान आर्मी कहा जाता है, उसने एक तरीके से उस पर चढ़ाई कर दी है। भारत तो बांग्लादेश का पेंच धीरे-धीरे तो कस ही रहा था अब अराकान आर्मी ने उसके भूभाग के निचले हिस्से को सुलगाना शुरू कर दिया है। यह सब कुछ एक सप्ताह के भीतर हुआ है। रिपोर्टों की मानें तो अराकान आर्मी बांग्लादेश की सीमा तक आ गई है और उसने कुछ इलाकों पर कब्जा कर लिया है। दरअसल, अराकान आर्मी के बांग्लादेश की तरफ चढ़ दौड़ने की पीछे एक वजह है। यह वजह खुद अराकान आर्मी ने अपने एक बयान में बताई है। अराकान आर्मी के इस बयान की चर्चा मीडिया में भी हो रही है।

अलकायदा और जमात ए इस्लामी के साथ मिलीभगत

अराकान आर्मी ने अपने बयान में कहा है कि बांग्लादेश के साथ लगने वाली सीमा पर जिहादी और चरमपंथी गुट बौद्धों और हिंदुओं पर अत्याचार और उन पर जुल्म ढा रहे हैं। बांग्लादेश में जो रोहिंग्या रिफ्यूजी कैंप हैं, उनमें रोहिंग्या सॉलिडरिटी ऑर्मी, अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी, अराकान रोहिंग्या आर्मी जैसे 11 मिलिटैंट ग्रुप हैं जो हत्या, रेप, अपहरण और अन्य तरह के अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। यही नहीं अराकान आर्मी का आरोप है कि इन जिहादी गुटों का अलकायदा और जमात ए इस्लामी के साथ मिलीभगत है। ग्लोबल अराकान नेटवर्क की रिपोर्ट के मुताबिक ये जिहादी मौंगडॉ में मुस्लिम आबादी का इस्तेमाल ह्यूमन शील्ड के रूप में कर रहे हैं। इन्होंने वहां के मुस्लिमों से गैर-मुस्लिम आबादी यानी बौद्ध और हिंदुओं से लड़ने के लिए कहा है।

बांग्लादेशी सेना और अराकाम आर्मी के बीच झड़प की खबर

अराकान आर्मी ने बांग्लादेश की सरकार पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उसका कहना है कि बांग्लादेश की सरकार को सीमा पर बौद्धों और हिंदुओं के खिलाफ होने वाले अत्याचार के बारे में अच्छी तरह से पता है लेकिन उसने इनकी सुरक्षा की परवाह नहीं की और इन जिहादी गुटों को अपने रिफ्यूजी कैंप में बढ़ने दिया। बांग्लादेश की सुरक्षा एजेंसियां क्या कर रही हैं, इसके बारे में भी हमें पता है। ढाका को लगता है कि वह 10 लाख से ज्यादा रोहिंग्या शरणरार्थियों को वापस म्यांमार भेज देगा। बयान के मुताबिक बांग्लादेश के कुछ जिहादी खुद लड़ रहे हैं और कुछ ऐसे हैं जिन्होंने कथित रूप से जुंटा से हाथ मिला लिया है। ऐसे में म्यांमार और बांग्लादेश दोनों जगहों की राजनीतिक अस्थिरता से हालात काफी खराब हो गए हैं। सीमा ज्यादा खतरनाक हो गई है और स्थानीय लोगों में डर का माहौल है। रिपोर्टों में स्थानीय सूत्रों के हवाले से यह भी कहा गया है कि सीमा पर बांग्लादेशी सेना और अराकाम आर्मी के बीच झड़पें भी हुई हैं। रिपोर्टें यह भी हैं कि आराकान आर्मी ने बांग्लादेश के टेकनाफ में कुछ इलाके को अपने कब्जे में ले लिया है। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। यह इलाका केवल सामरिक रूप से ही नहीं बल्कि रोहिंग्या रिफ्यूजी कैंप और सैंट मार्टिन आइलैंड के नजदीक होने के नाते काफी संवेदनशील भी है। हालांकि, सीमा के हालात पर बांग्लादेश की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।

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