14 साल के 'वनवास' के बाद सत्ता में लौटी लेबर पार्टी, जानें कौन हैं जीत के नायक किएर स्टॉर्मर जो बनेंगे PM

Who is Keir Starmer : किएर स्टार्मर को अप्रैल 2020 में लेबर पार्टी का नया नेता चुना गया था स्टर्मर 61 साल के हैं। इससे पहले ब्रिटेन में विपक्षी लेबर पार्टी का नेतृत्व जर्मी कोर्बिन कर रहे थे। पेशे से वकील स्टार्मर पहली बार 2015 में सांसद बने थे। वकील के रूप में स्टार्मर कई गंभीर मामलों को देख चुके हैं।

Keir Starmer

ब्रिटेन के नए पीएम किएर स्टार्मर।

मुख्य बातें
  • ब्रिटेन में 650 सीटों के लिए चुनाव हुए, लेबर पार्टी की प्रचंड जीच
  • लेबर पार्टी 410 सीटों पर चुनाव जीती, कंजरवेटिव को 118 सीटें मिली
  • ऋषि सुनक ने चुनाव नतीजों को स्वीकार करते हुए अपनी मार मान ली है

Who is Keir Starmer : ब्रिटेन की सत्ता में लेबर पार्टी की वापसी हो रही है। अपनी अगुवाई और नेतृत्व से पार्टी को सत्ता में लाने वाले किएर स्टार्मर देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी को भारी पराजय का सामना करना पड़ा है। ऋषि सुनक ने हार मान ली है। खास बात यह है कि 14 साल ब्रिटेन की सत्ता में लेबर पार्टी की वापसी हो रही है। इस चुनाव में मतदाताओं ने किएर की घोषणाओं और वादों पर भरोसा जताया है। 2020 में जिमी कोर्बिन की जगह लेने वाले किएर ने बीते चार सालों में पार्टी का नेतृत्व करते हुए उसे सत्ता के शिखर तक ले गए हैं।

लेबर पार्टी को आम लोगों के बीच ले गए किएर

61 साल के किएर को लेबर पार्टी का जब नेता चुना गया था तो पार्टी में उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा। उनके बारे में कहा गया कि उनमें वह करिश्मा नहीं है। जाहिर है कि उनकी तुलना युवा ऋषि सुनक से की जा रही थी लेकिन अपने बारे में इन धारणाओं को उन्होंने गलत साबित किया। लेबर पार्टी को राजनीति की मुख्य धारा में लाते हुए उसे आम लोगों से जोड़ा। बीते चार सालों में किएर ने कंजरवेटिव पार्टी के शासन के दौरान आर्थिक मोर्चे पर उभरे संकट, अधिक टैक्स को मुद्दा बनाया। इसे लेकर वे लगातार अभियान चलाते रहे। इससे उनका जनाधार बढ़ा और जमीनी राजनीति मजबूत हुई।

छोटे कस्बे में बीता बचपन, मां के करीब रहे

किएर एक साधारण परिवार से आते हैं। उनका बचपन लंदन से बाहर सरे के एक छोटे कस्बे में गुजरा। उनकी मां ब्रिटेन के मुफ्त स्वास्थ्य सेवा नेशनल हेल्थ सर्विस में काम करती थीं। जबकि इनके पिता कारीगर थे। अपने चुनाव अभियान के दौरान किएर इस बात का बार-बार जिक्र करते थे। इसे लेकर उन पर कई मीम भी बन गए। कहा जाता है कि किएर को आगे बढ़ाने में उनकी मां का बहुत योगदान है। वह आर्थारइटिस जैसी बीमारी से पीड़ित थीं। जीवन भर वह इससे जद्दोजहद करती रहीं। साल 2015 में किएर जब पहली बार संसद के लिए चुने गए तो इसके कुछ सप्ताह बाद उनकी मौत हो गई। इसके तीन साल बाद उनके सिर से पिता का साया भी उठ गया। किएर का अपने पिता के साथ रिश्ता सामान्य नहीं था लेकिन इस बात को उन्होंने कभी जाहिर होने नहीं दिया।

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राजनीतिक रुझान किएर में शुरू से रहा

किएर विश्वविद्यालय जाने वाले अपने परिवार के पहले सदस्य हैं। यूनिवर्सिटी के शुरुआती दिनों से ही इनका रुझान राजनीति की तरफ हो गया। यहां पहुंचने पर इन्होंने लेफ्ट विचारधारा से प्रेरित सोशलिस्ट अल्टरनेटिव नाम से एक पत्रिका शुरू की। यहां राजनीतिक अभियानों में शरीक होते हुए इन्होंने कानून की डिग्री ली और वकील बन गए। साल 2008 में वह सरकार अभियोजक के प्रमुख बनाए गए। वकील के रूप में इनकी सेवाओं को सम्मानित करने के लिए इन्हें 2014 में नाइटहुड का अवॉर्ड मिला।

कानून की पढ़ाई की, अपराध के गंभीर मामलों की पैरवी की

बैरिस्टर के रूप में किएर ने देश के कई हाई प्रोफाइल एवं गंभीर मामलों को देखा और पैरवी की। किएर की राजनीति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पार्टी को इन्होंने विचारधारा तक कैद नहीं रखा बल्कि पार्टी के नेताओं को जनता से जुड़ने और उनके बीच जाने के लिए प्रेरित किया। यहां तक आय कर, यूनिवर्सिटी ट्यूशन फी और सरकारी सेवाओं में ब्रिटेन के नागरिकों की प्राथमिकता जैसे मुद्दों पर उन्हें अपनी ही पार्टी के नेताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ा। कुछ समय पहले लेबर पार्टी की ओर से जारी किए गए एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा था, 'यह मेरे लिए गर्व और सम्मान की बात की बात है कि मुझे चुना गया और मैं उम्मीद करता हूं कि समय आने पर लेबर पार्टी एक बार फिर देश की सेवा कर सकेगी- सरकार बनाकर।'

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अब घरेलू और वैश्विक चुनौतियों से होगा सामना

अब तक के अपने सार्वजनिक जीवन में स्टार्मर कई अहम पदों पर रह चुके हैं। 2016 से 2020 तक यूरोपीय संघ (ईयू) से बाहर निकलने के लिए शैडो राज्य सचिव भी थे। पीएम बन जाने के बाद किएर के सामने घरेलू चुनौतियां और वैश्विक मुद्दे पहले से मौजूद हैं जिनसे निपटने में उनके नेतृत्व क्षमता की परीक्षा होगी। वैश्विक मोर्चे पर यूक्रेन का समर्थन जारी रखना ब्रिटेन के लिए प्रमुख मुद्दा है। इजरायल-गाजा विवाद पर भी उनका रुख परंपरागत रहता है या उसमें कुछ बदलाव होगा, यह भी देखने वाली बात होगी। अमेरिका में इसी साल राष्ट्रपति पद के चुनाव होने हैं। किएर बाइडेन की प्रशंसा कर चुके हैं। अमेरिका में राष्ट्रपति बदलने पर क्या यूएस-ब्रिटेन संबंधों में किसी तरह का बदलाव आएगा, इस पर भी उनके रुख पर नजर होगी।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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