कौन हैं महरंग बलूच जिससे घबराई पाकिस्तानी सरकार?

महरंग को टाइम मैगजीन ने 100 अगले उभरते नेताओं में से एक के रूप में जगह दी है। उनकी और लगभग 150 कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है।

Mehrang Baloch

महरंग बलूच

Who is Mehrang Baloch: पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत बलूचिस्तान, संघर्ष और युद्ध का केंद्र बन गया है। यहां अलगाववादी आवाजें मजबूत हो रही हैं और बीएलए जैसे विद्रोही गुट सरकार को सीधी चुनौती दे रहे हैं। हाल ही में जाफर एक्सप्रेस की हाइजैकिंग इस संगठन की बढ़ती ताकत का प्रमाण है। इस हमले ने एक बार फिर बलूच लोगों और पाकिस्तान सरकार के बीच गहरे तनाव को उजागर कर दिया। इस सबके बीच पुलिस ने हाल ही में मानवाधिकारों की एक प्रमुख पैरोकार और बलूच उम्मीदों की प्रतीक महरंग बलूच को हिरासत में लिया, जिसने तनाव को और बढ़ा दिया। आखिर कौन हैं महरंग बलूच और पाकिस्तानी सरकार उनसे क्यों डरती है, जानने की कोशिश करते हैं।

कौन हैं महरंग बलूच

पाकिस्तान के लिए बलूच आंदोलन एक प्रमुख चिंता का विषय है। उसे इस बात का डर है कि इससे अलगाववादी भावनाएं बढ़ेंगी और क्षेत्र में उसके अधिकार को चुनौती मिलेगी। महरंग को टाइम मैगजीन ने 100 अगले उभरते नेताओं में से एक के रूप में जगह दी है। उनकी और लगभग 150 कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है। महरंग ने जबरन गायब किए गए लोगों के रिश्तेदारों की अवैध गिरफ्तारी और अवैध पुलिस रिमांड के खिलाफ धरना प्रदर्शन का नेतृत्व किया था। महरंग और अन्य पर आतंकवाद समेत कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

बलूच यकजेहती समिति की नेता और मेडिकल डॉक्टर महरंग बलूच, बलूचिस्तान में जबरन गायब किए जाने और हत्याओं को लेकर मुखर रही हैं। उनकी बहन इकरा बलूच ने उनकी गिरफ्तारी की निंदा करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि हुड्डा जेल में उनका सफर 18 साल पहले की याद दिलाती है जब उन्होंने अपने पिता को सलाखों के पीछे देखा था। उन्होंने लिखा, उस समय महरंग हमारे साथ थीं। आज, वह नहीं हैं। महरंग जबरन गायब किए जाने के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शनों में एक प्रमुख व्यक्ति रही हैं।

पिता अब्दुल गफ्फार लैंगोव की हुई थी हत्या

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उनके पिता अब्दुल गफ्फार लैंगोव, जो एक राष्ट्रवादी नेता थे, उन्हें 2009 में जबरन गायब कर दिया गया था और उनका शव तीन साल बाद लासबेला जिले में मिला था। इसके बाद से ही उन्होंने जबरन गायब किए जाने और ऐसी हत्याओं के खिलाफ लड़ने का फैसला किया। महरंग ने अपनी लड़ाई जारी रखी है हालांकि उन्हें मौत की धमकियां, यात्रा प्रतिबंध, हिरासत जैसे चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। दिसंबर 2023 में उन्होंने जबरन गायब किए जाने के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए इस्लामाबाद में एक बड़े मार्च का आयोजन करने में मदद की, जिसका पुलिस ने कड़ा विरोध किया।

बलूच प्रतिरोध के लिए लगातार बढ़ रहा समर्थन

बलूच प्रतिरोध के लिए समर्थन बढ़ रहा है, चाहे वह हिंसक हो या अहिंसक, खासकर युवाओं के बीच। बलूचिस्तान में जारी मानवाधिकार हनन के कारण कई लोग कट्टरपंथी हो गए हैं। प्रांत में आतंकवाद विरोधी अभियान के कारण पिछले दो दशकों में हजारों लोग जबरन गायब हो गए और उनकी हत्या कर दी गई। पाकिस्तान के भूमि क्षेत्र का लगभग 44% हिस्सा बलूचिस्तान का है। यह अफगानिस्तान और ईरान के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा भी साझा करता है। इस प्रांत में केवल 5% कृषि योग्य जमीन है। यह अत्यंत शुष्क रेगिस्तानी जलवायु के लिए जाना जाता है लेकिन इसे प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर माना जाता है। इसके बावजूद विकास की दौड़ में सबसे पीछे रह गया है।

खनिज संपदा से भरपूर बलूचिस्तान

इस प्रांत में तांबा, सोना, कोयला और प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार हैं, जो पाकिस्तान की खनिज संपदा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया और मध्य एशिया को जोड़ने वाली अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण, बलूचिस्तान एक भू-राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहमियत रखता है। बलूचिस्तान की भू-रणनीतिक अहमियत के कारण चीन की मत्वकांक्षी परियोजना चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) का एक बड़ा हिस्सा इसी प्रांत में है। सीपीईसी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की 'बेल्ट एंड रोड' पहल का हिस्सा है और ग्वादर शहर का बंदरगाह इस प्रोजेक्ट के लिए बेहद अहम मान जाता है।

बलूचिस्तान के लोग दशकों से आरोप लगाते रहे हैं कि प्रांतीय और केंद्र सरकारें यहां के प्राकृतिक संसाधनों को दोहन कर भारी मुनाफा कमाती रही हैं लेकिन इलाके में विकास को पूरी तरह उपेक्षा की जाती रही है। प्रांत में बलूच राष्ट्रवादियों ने आजादी के लिए 1948-50, 1958-60, 1962-63 और 1973-1977 में विद्रोह किए हैं। (IANS Input)

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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