हाथरस भगदड़ में 121 लोगों की मौत का कसूरवार कौन? सुप्रीम कोर्ट में मामला; 10 पॉइंट में समझिए सबकुछ
Hathras Case:हाथरस भगदड़ में 121 लोगों की मौत ने हर किसी को झंकझोर कर रख दिया है। सुप्रीम कोर्ट में घटना की जांच के लिए विशेषज्ञ समिति की नियुक्त को लेकर याचिका दायर की गई है। वहीं कांड के बाद विश्व हरि बाबा के मैनपुरी आश्रम की सुरक्षा कड़ी की गई है। आपको 10 पॉइंट में घटना से जुड़ी हर बात समझाते हैं।
यूपी के हाथरस में किसने बरती लापरवाही?
Who is Responsible For 121 people Death in Hathras: उत्तर प्रदेश के हाथरस में मारे गए 121 लोगों का कसूरवार कौन है? इस सवाल का जवाब हर कोई जानना चाहता है। रूह कंपा देने वाली घटना के बाद तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं, देश के तमाम दिग्गज शोक व्यक्त कर रहे हैं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ खुद एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं, अदालत के चौखट पर मामले पहुंचने लगे हैं, लेकिन इन सबके बावजूद असल सवाल ये है कि इतने बेगुनाहों की मौत का असल जिम्मेदार कौन?
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में की गई ये मांग
हाथरस में मची भगदड़ की घटना की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित करने का अनुरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय में बुधवार को एक याचिका दायर की गई है। हालांकि इसी बीच सीएम योगी आदित्यनाथ ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में न्यायिक जांच के भी आदेश दे दिए हैं। हाथरस में मंगलवार को एक सत्संग के दौरान मची भगदड़ की इस घटना में 121 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य लोग घायल हो गए।
यूपी के हाथरस में किसने बरती लापरवाही?
इस याचिका को अधिवक्ता विशाल तिवारी ने दायर किया है, जिसमें इस घटना पर स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने और लापरवाही बरतने के लिए अधिकारियों और अन्य लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने का उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया है। याचिका में सभी राज्य सरकारों को भी यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वे भगदड़ की इस प्रकार की घटनाओं से निपटने के लिए प्रखंड/तहसील से लेकर जिला स्तर तक राज्य में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं की स्थिति की जानकारी दें।
'सुरक्षा के मद्देनजर जारी करें दिशानिर्देश'
याचिका में न्यायालय से राज्यों को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वे किसी भी धार्मिक या ऐसे अन्य आयोजन के दौरान भगदड़ या अन्य घटनाओं को रोकने के लिए जनता की सुरक्षा के मद्देनजर दिशानिर्देश जारी करें, जहां बड़ी संख्या में लोग एकत्र होते हैं। हाथरस जिले के फुलरई गांव में प्रवचनकर्ता बाबा नारायण हरि उर्फ साकार विश्व हरि ‘भोले बाबा’ के कार्यक्रम में मंगलवार को करीब ढाई लाख अनुयायी एकत्र हुए थे। इस दौरान मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई जिनमें अधिकतर महिलाएं हैं। अधिकतर अनुयायियों की मौत दम घुटने के कारण हुई।
याचिका में लापरवाही को लेकर क्या कहा?
न्यायालय में दायर याचिका में भगदड़ की घटना की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया है। याचिका में समिति को ऐसी घटनाओं से बचने के लिए दिशा-निर्देश और सुरक्षा उपाय संबंधी सुझाव देने का निर्देश दिए जाने का आग्रह किया गया है। याचिका में कहा गया है, 'प्रथम दृष्टया, ऐसी घटना सरकारी प्राधिकारियों द्वारा जनता के प्रति जिम्मेदारी में चूक, लापरवाही और कर्तव्यहीनता की गंभीर स्थिति को दर्शाती है।' याचिका में आरोप लगाया गया है कि भारत में अतीत में भी ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जिनमें कुप्रबंधन, कर्तव्य के निर्वहन में चूक और लापरवाही के कारण बड़ी संख्या में लोगों की जान गई जबकि उन्हें टाला जा सकता था।
विश्व हरि बाबा के मैनपुरी आश्रम में कड़ी सुरक्षा
हाथरस के सिकन्दराराऊ में विश्व हरि बाबा भोलेनाथ के सत्संग के बाद उनकी चरण धूलि लेने के लिये दौड़ी भीड़ में भगदड़ मचने की घटना के बाद बाबा के मैनपुरी स्थित आश्रम के बाहर कड़े सुरक्षा बंदोबस्त कर दिये गये हैं। भगदड़ कांड के बाद मैनपुरी के बिछवां कस्बे में स्थित भोले बाबा के आश्रम के बाहर कड़ा सुरक्षा घेरा बनाया गया है। आश्रम के बाहर कई थानों की पुलिस मौजूद है और आश्रम के अंदर मीडिया सहित किसी को भी दाखिल होने की इजाजत नहीं दी जा रही है। पुलिस क्षेत्राधिकारी सुनील कुमार सिंह ने बताया कि हाथरस में भगदड़ कांड के बाद से बिछवां स्थित विश्व हरि बाबा भोलेनाथ के आश्रम में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। इस सवाल पर कि क्या बाबा आश्रम में मौजूद हैं, सिंह ने कोई जवाब नहीं दिया। हालांकि खुफिया विभाग के एक अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि बाबा भोलेनाथ आश्रम के अंदर हैं। उनकी सुरक्षा के लिए बड़े पैमाने पर पुलिस बल तैनात किया गया है।
मंगलवार देर रात दर्ज किया गया मुकदमा
हाथरस के फुलरई गांव में विश्वहरि बाबा भोलेनाथ द्वारा आयोजित सत्संग के दौरान मंगलवार को मची भगदड़ में 121 लोगों की हो गई थी। मरने वालों में ज़्यादातर महिलाएं हैं। अधिकतर श्रद्धालुओं की दम घुटने से मौत हुई और लोग एक-दूसरे के ऊपर ढेर होते गए। यह हाल के वर्षों में घटित सबसे त्रासद घटना है। पुलिस ने इस मामले में कार्यक्रम के मुख्य सेवादार तथा उसके सहयोगियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या तथा अन्य आरोपों में मंगलवार देर रात मुकदमा दर्ज किया। हालांकि आरोपियों में बाबा भोलेनाथ का नाम शामिल नहीं है।
किन-किन धाराओं के तहत मामला हुआ दर्ज?
सिकंदराराऊ थाने की पोरा चौकी के प्रभारी उप निरीक्षक बृजेश पांडे की तहरीर पर मंगलवार देर रात मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर और अन्य सेवादारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। यह मुकदमा भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा), 238 (साक्ष्यों को मिटाना) के तहत दर्ज किया गया है।
ढाई लाख से ज्यादा लोगों की भीड़ हो गई इकट्ठा
तहरीर में कहा गया है कि आयोजकों ने संगठन के पिछले कार्यक्रमों में जुटने वाली लाखों की भीड़ की स्थिति को छुपाते हुए इस बार 80 हजार लोगों के इकट्ठा होने की बात प्रशासन को बताई थी। प्रशासन ने उसी के हिसाब से सुरक्षा की व्यवस्था की थी मगर सत्संग में ढाई लाख से ज्यादा लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई जिससे अव्यवस्था पैदा हुई।
'भीड़ के दबाव से धूल समेट रहे लोग कुचले गए'
तहरीर में आरोप लगाया गया है कि कार्यक्रम के मुख्य प्रवचनकर्ता सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के प्रवचन के बाद वह अपनी गाड़ी में सवार होकर कार्यक्रम स्थल से निकल रहे थे तभी श्रद्धालुओं ने उनकी गाड़ी के गुजरने वाले मार्ग से धूल समेटना शुरू कर दिया। तहरीन के अनुसार, कार्यक्रम स्थल से निकल रही लाखों की भीड़ के दबाव के कारण धूल समेट रहे लोग कुचले गए। खेतों में भरे पानी और कीचड़ में डूबती- कुचलती भीड़ को आयोजन समिति और सेवादारों ने जबरन रोक दिया जिसकी वजह से लाखों व्यक्तियों की भीड़ का दबाव बढ़ता चला गया और महिलाएं बच्चे तथा पुरुष उसमें दबते-कुचलते चले गए। इस तरह आयोजकों और सेवादारों की हरकत से बड़ी संख्या में निर्दोष लोग मारे गए और गंभीर रूप से घायल हुए।
आयोजनकर्ताओं और सेवादारों ने नहीं किया सहयोग
मुकदमे में कहा गया है कि मौके पर मौजूद पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने हर संभव प्रयास करते हुए घायल और बेहोश हुए लोगों को अस्पताल पहुंचाया लेकिन आयोजनकर्ताओं और सेवादारों ने कोई सहयोग नहीं किया। तहरीर के अनुसार, कार्यक्रम स्थल पर यातायात नियंत्रण संबंधी अनुमति की शर्तों का पालन नहीं किया। इतना ही नहीं बल्कि आयोजनकर्ताओं ने भीड़ में कुचले और घायल हुए लोगों के मौके पर छूटे सामान, कपड़े और जूते चप्पल को उठाकर पास के ही खेत में फेंक कर सुबूत मिटाने का प्रयास किया।
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