जिस टीएन शेषन का नाम सुनते ही घबरा जाते थे बड़े-बड़े नेता, उन्होंने CEC के पद के लिए राजीव गांधी और शंकराचार्य से ली थी सलाह
Who is TN Seshan: टीएन शेषन ने 12 दिसंबर, 1990 को भारत के नौवें सीईसी के रूप में कार्यभार संभाला और 11 दिसंबर, 1996 तक इस पद पर बने रहे।
राजीव गांधी और वेंकटरमन से टीएन शेषन ने ली थी सलाह
Who is TN Seshan: टीएन शेषन, भारत के पूर्व मुख्य आयुक्त, जिनके नाम सुनकर देश के बड़े-बड़े नेता घबरा जाते थे, खौफ में रहते थे, उन्हें जब चंद्रशेखर सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त का पद ऑफर किया गया थो तो वो दुविधा में फंस गए थे। कंफ्यूज थे कि पद को स्वीकार करें या न करें? इस दुविधा से निकलने के लिए तब टीएन शेषन से पूर्व पीएम राजीव गांधी से संपर्क साधा था, उनसे सलाह थी। इसके बाद शंकराचार्य से भी सलाह ली थी। तब उन्होंने इस पद को ग्रहण किया था।
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किताब में दावा
यह घटनाक्रम टीएन शेषन की आत्मकथा 'थ्रू द ब्रोकन ग्लास' में दर्ज है। शेषन का 2019 में निधन हो गया था। किताब में कहा गया है-"... तत्कालीन सीईसी, पेरी शास्त्री, का खराब स्वास्थ्य के कारण निधन हो गया था। सरकार ने कुछ ऐसा किया जो बहुत ही नासमझी भरा था। तब रमा देवी जो उस समय कानून विभाग में सचिव थीं, को कार्यवाहक सीईसी के रूप में नियुक्ति की गई। देवी के पदभार संभालने के चौथे दिन, शेषन को कैबिनेट सचिव विनोद पांडे का फोन आया। पांडे ने कहा कि सरकार योजना आयोग के तत्कालीन सदस्य शेषन को सीईसी नियुक्त करने की योजना बना रही है।"
आश्चर्यचकित रह गए थे शेषन
किताब में कहा गया है कि शेषन यह जानकर आश्चर्यचकित रह गए कि कोई उन्हें सीईसी बनाने के बारे में सोचेगा। इसलिए, उन्होंने तत्काल प्रतिक्रिया के रूप में 'नहीं' कहने का सोचा था, क्योंकि उनका कभी चुनावों से कोई लेना-देना नहीं रहा था। इसके बाद तब के कानून मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी ने उनसे कहा कि उन्हें शेषन का जवाब चाहिए, ताकि वो शेषन के सीईसी बनाने के लिए कागजात संबंधी प्रक्रिया कर सकें। शेषन ने कुछ समय के लिए निर्णय पर विचार किया। वह यह सोचने की कोशिश कर रहे थे कि वह किसकी सलाह ले सकते हैं।
रात दो बजे किया राजीव गांधी को फोन
उस दिन रात के दो बज रहे थे। शेषन को राजीव गांधी का नंबर पता था और उन्होंने उन्हें फोन किया। जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, तब शेषन कैबिनेट सचिव थे। राजीव गांधी ने उन्हें अपने आवास पर आने के लिए कहा और शेषन रात करीब ढाई बजे वहां पहुंचे। पुस्तक के अनुसार गांधी ने शेषन से कहा- "क्या? क्या वह आपको सीईसी का पद देने जा रहे हैं? वह बाद में पछताएंगे। यह नौकरी न तो आपके लिए अच्छी है और न ही आपको सीईसी के रूप में नियुक्त करना चंद्रशेखर के लिए अच्छा होगा। इस पद को तभी लें जब कोई अन्य पद उपलब्ध न हो।"
राष्ट्रपति से भी ली सलाह
बाद में, शेषन ने राष्ट्रपति आर वेंकटरमन से मिलने का समय मांगा और राष्ट्रपति भवन जाकर उन्हें खबर दी। वेंकटरमन की सलाह थी- "सीईसी का पद आपके लिए ठीक नहीं होगा। आपको कोई दूसरी नौकरी नहीं मिल सकती। अगर कोई विकल्प नहीं है, तो यह पद ले लीजिए।"
शंकराचार्य से किया संपर्क
शेषन ने फिर अपने भाई और अपने ससुर से बात की लेकिन उनकी सलाह ने उन्हें और भी भ्रमित कर दिया। अंत में, शेषन ने कांची के शंकराचार्य से संपर्क करने का फैसला किया और इसलिए उन्होंने कांची मठ को फोन किया और वहां अपने एक मित्र के जरिए सवाल आगे तक पहुंचाया। शेषन ने लिखा- "वह (मित्र), शंकराचार्य से पूछने के लिए तैयार हो गया। उसने 20 मिनट बाद फोन किया... बड़ा आश्चर्य हुआ। इससे पहले कि मैं शंकराचार्य से पूछ पाता, उन्होंने खुद कहा कि यह एक सम्मानजनक काम है, इसे स्वीकार करने के लिए कहो, इसके बाद उन्होंने स्वीकृति दे दी।"
फिर बने मुख्य चुनाव आयुक्त
इसके बाद उन्होंने तुरंत स्वामी को फोन किया और कहा कि वह सीईसी बनने के लिए तैयार हैं। शेषन ने 12 दिसंबर, 1990 को भारत के नौवें सीईसी के रूप में कार्यभार संभाला और 11 दिसंबर, 1996 तक इस पद पर बने रहे।
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