IC 814 के हाईजैकर्स ने कैसे की थी रुपिन कत्याल की हत्या, पत्नी पर क्या बीती? 1999 हॉरर की यादें हुईं फिर ताजा
कंधार में सप्ताह भर की घेराबंदी के आखिर में एक भारतीय ने अपनी जान गंवाई जिनका नाम था रुपिन कात्याल। नेटफ्लिक्स की नई सीरीज IC 814: द कंधार हाईजैक, में विमान हाईजैक की इसी घटना को दिखाया गया है जिसके बाद उस दौर की भयानक यादें भी ताजा हो गई हैं।
कंधार विमान अपहरण कांड
Rupin Katyal: जब दुनिया ने खुले हाथों से साल 2000 का स्वागत करने जा रही थी, भारत को आतंकियों ने गहरा जख्म दिया। 24 दिसंबर 1999 को पाकिस्तान के आतंकियों ने नेपाल से भारत आ रहे विमान IC 814 को आतंकियों ने हाईजैक कर लिया। आतंकियों ने लगभग 154 यात्रियों और चालक दल को आठ दिनों तक बंधक बनाकर रखा। इस दौरान यात्रियों को धमकाया, सताया, पीटा और एक यात्री की बेरहमी से जान भी ले ली। इन आतंकियों ने तीन हाई-प्रोफाइल आतंकवादियों की रिहाई के लिए भारत पर दबाव बनाया और आखिर में कामयाब भी रहे। कंधार में सप्ताह भर की घेराबंदी के आखिर में एक भारतीय ने अपनी जान गंवाई जिनका नाम था रुपिन कात्याल। नेटफ्लिक्स की नई सीरीज IC 814: द कंधार हाईजैक, में विमान हाईजैक की इसी घटना को दिखाया गया है जिसके बाद उस दौर की भयानक यादें भी ताजा हो गई हैं।
हनीमून से लौट रहे थे रुपिन
रुपिन कात्याल उन यात्रियों में से एक थे जो काठमांडू से IC 814 में सवार हुए थे। वह अपनी पत्नी रचना के साथ हनीमून से लौट रहे थे। वह घर वापसी के ख्यालों खोए थे, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उनका सफर कभी खत्म नहीं होने वाला है। बताया गया कि रुपिन अपहरण के पहले दिन ही मारे गए थे। पत्नी रचना ने अपहरण के एक साल बाद एक साक्षात्कार में कहा था कि रूपिन पर कई बार चाकू से हमला किया गया था। अफसोस की बात है कि उन्हें अपहरण के दौरान रुपिन की मौत के बारे में बताया ही नहीं गया था और वह यह मानकर चल रही थीं कि जब बंधकों को मुक्त किया जाएगा तो रुपिन भी वापस लौटेंगे।
रुपिन कात्याल की हत्या कैसे हुई?
इस सीरीज में में दिखाया गया है कि रूपिन उन 10 यात्रियों में से एक थे जिन्हें अपहरण के बाद विमान के बिजनेस क्लास एरिया में ले जाया गया था। इसी दौरान उनकी चाकू मारकर हत्या कर दी गई और उनके शरीर को दुबई में विमान से उतार दिया गया। अपहर्ताओं ने यहां कुछ देर के लिए IC 814 को उतारा था। उस समय प्रकाशित रिपोर्ट से यह पता चला था कि रुपिन के शरीर पर चाकू के कई घाव थे। गले की नस कटी हुई थी और कुल छह चाकू के घाव थे। चेहरे और नाक पर खरोंचें थीं। यानी आतंकियों ने विमान के अंदर रूपिन की बेरहमी से हत्या कर दी थी।
रचना को मौत के बारे में नहीं बताया गया
रुपिन अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। जब दुबई में विमान से उनका शव उतारा गया तो रचना को उनकी मौत के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उन्हें लगा था कि वह दुबई के किसी अस्पताल में है। रचना के परिवार और ससुराल वालों ने उन्हें रुपिन की मौत की खबर से दूर रखने की हरसंभव कोशिश की थी। उनके ससुर ने उन्हें बताया कि रुपिन अस्पताल में है और उन्हें घर ले गए। रुपिन के अंतिम संस्कार के बारे में भी रचना को नहीं बताया गया था। बहुत समय बाद में रचना को रुपिन की मौत के बारे में बताया गया। रचना के दुख और लगातार सवालों को ससुर टाल नहीं पाए और आखिरकार एक दिन रुपिन की एक बड़ी तस्वीर की ओर इशारा करते हुए टूटे हुए स्वर में बोले- यह रहा तुम्हारा रुपिन। हमारे पास बताने के लिए बस यही है।
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अमित कुमार मंडल author
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