अल-अक्सा मस्जिद को लेकर बार-बार भिड़ क्यों जाते हैं इजरायल-फिलिस्तीन, 5 प्वाइंट्स में समझें पूरा विवाद

Al-Aqsa mosque news: अल-अक्सा मस्जिद यरूशलम के पुराने शहर के बीचो-बीच एक पहाड़ी पर स्थित है। यहूदी इस स्थान को 'हर हा-बईत' अथवा 'टेंपल माउंट' कहते हैं। जबकि मुसलमान इस जगह को 'अल-हराम अल-शरीफ' बुलाते हैं। मुसलमान इस जगह को मक्का और मदीना के बाद इस्लाम की तीसरा सबसे बड़ा पवित्र स्थल मानते हैं। मस्जिद के पूरे परिसर को अल-अक्सा नाम दिया गया है।

Al-Aqsa mosque

अल-अक्सा मस्जिद को लेकर फिर संघर्ष हो गया है।

Al-Aqsa mosque : यरूशलम में स्थित अल-अक्सा मस्जिद को लेकर इजरायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष एक बार फिर शुरू हो गया। गत बुधवार को इजरायली पुलिस की मस्जिद पर रेड और वहां हुए बवाल के बाद फिलिस्तीन की तरफ से इजरायल पर रॉकेट दागे गए जिसके बाद इजरायल ने गाजा पट्टी एवं अन्य इलाकों में हमास के ठिकानों को निशाना बनाकर हवाई हमले किए। रिपोर्टों की मानें तो इजरायल के हवाई हमले लेबनान में भी हुए हैं। बुधवार की मस्जिद वाली घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि दुश्मनों को इसकी भारी कीमत चुकानी होगी जबकि हमास ने अपने बयान में विवाद एवं झड़प के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है। बहरहाल, इस संघर्ष के केंद्र बिंदु में अल-अक्सा मस्जिद है। यहां यह समझेंगे कि यह मस्जिद इजरायल और फिलिस्तीन के लिए इतनी महत्वपूर्ण है-

    कहां स्थित है अल-अक्सा मस्जिद?
अल-अक्सा मस्जिद यरूशलम के पुराने शहर के बीचो-बीच एक पहाड़ी पर स्थित है। यहूदी इस स्थान को 'हर हा-बईत' अथवा 'टेंपल माउंट' कहते हैं। जबकि मुसलमान इस जगह को 'अल-हराम अल-शरीफ' बुलाते हैं। मुसलमान इस जगह को मक्का और मदीना के बाद इस्लाम की तीसरा सबसे बड़ा पवित्र स्थल मानते हैं। मस्जिद के पूरे परिसर को अल-अक्सा नाम दिया गया है। इस परिसर में ही मुस्लिमों के दो पवित्र स्थान 'डोम ऑफ द रॉक' और अल अक्सा मस्जिद स्थित हैं। इस मस्जिद को किबली मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है जिसका निर्माण 8वीं सदी में हुआ।
  • मुस्लिमों-यहूदियों के लिए क्यों इतना अहम है परिसर
  • अल-अक्सा मस्जिद के परिसर से वेस्टर्न वॉल लगती है। यहूदी इस वेस्टर्न वॉल के पास प्रार्थना करते हैं। इनके लिए मस्जिद परिसर स्थित 'टेंपल माउंट' काफी पवित्र स्थल है। यहूदी मानते हैं कि 3000 साल पहले किंग सोलोमन ने इस पहले मंदिर का निर्माण कराया। जबकि दूसरे मंदिर का निर्मिाण रोमन साम्राज्य ने 70 AD में कराया। मिडिल इस्ट युद्ध के समय 1967 में इजरायल ने मस्जिद परिसर पर अपना नियंत्रण कर लिया। इस स्थान को अंतरराष्ट्रीय रूप से मान्यता दिलाने के लिए उसने पूर्वी यरूशलम के बाकी हिस्से एवं वेस्ट बैंक से इसे अलग कर दिया। दिलचस्प बात यह है कि परिसर पर नियंत्रण इजरायल का है लेकिन मस्जिद परिसर का प्रबंधन जॉर्डन के वक्फ बोर्ड द्वारा किया जाता है।
  • मुस्लिमों का आरोप-इजरायल लगाता है परिसर में प्रतिबंध
  • इजरायल और फिलिस्तीन के बीच विवाद की एक प्रमुख वजह यह अल-अक्सा मस्जिद परिसर भी है। इसे लेकर समय-समय पर दोनों के बीच हिंसक संघर्ष होता आया है। मस्जिद परिसर में गैर-मुस्लिम आ तो सकते हैं लेकिन वे पूजा नहीं कर सकते। पूजा करने का अधिकार केवल मुस्लिमों को है। मुस्लिमों का आरोप है कि यहूदी परिसर में ज्यादा संख्या में आते हैं और पहले से तय नियमों का उल्लंघन करते हुए अपनी पूजा करते हैं जबकि मुस्लिमों के प्रवेश पर इजरायल तरह-तरह के प्रतिबंध लगाता है और उन्हें परिसर में जाने से रोकता है। मुस्लिम इसका विरोध करते हैं। यह विरोध कभी-कभी काफी हिंसक हो जाता है। साल 2021 में यहां हुए संघर्ष ने बड़ा रूप ले लिया जिसके बाद इजरायल एवं गाजा के बीच 10 दिनों तक लड़ाई चली।
  • इस बार क्या हुआ
  • इजरायल की पुलिस का कहना है कि नियमों को तोड़ते हुए बड़ी संख्या में मास्क पहने हुए मुस्लिम युवक परिसर में दाखिल हो गए। वे अपने साथ लाठी, पत्थर एवं आग लगाने वाली वस्तुएं अपने साथ लाए थे। युवकों ने वहां तैनात इजरायली पुलिसकर्मियों को उकसाया और परिसर का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। पुलिस का कहना है कि उनके बार-बार की अपील के बाद भी मुस्लिम युवकों ने परिसर का दरवाजा नहीं खोला जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों को परिसर में जबरन दाखिल होने के लिए बाध्य होना पड़ा।
  • पहले लकड़ी और फिर पत्थर से बनी यह मस्जिद
  • आज जो अल-अक्सा मस्जिद दिखाई देती है, वह कई तरह के बदलावों से गुजरी है। इसमें समय-समय पर मरम्मत एवं जरूरत के हिसाम से निर्माण का कार्य हुआ है। शुरुआत में इसका निर्माण लकड़ी से हुआ था। इसके कुछ सालों बाद उमय्यद खिलाफत के पांचवें उत्तराधिकारी अब्द अल-मलिक ने इस मस्जिद का निर्माण पत्थरों से कराया।

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    आलोक कुमार राव author

    करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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