क्यों खामोश हैं बिहार के दो बाहुबली? चिराग की चाल से 'OUT' हुए सूरजभान तो ललन सिंह से 'दुश्मनी' भूले छोटे सरकार

Lok Sabha Election 2024: मोकामा से आने वाले सूरजभान सिंह इस बार के लोकसभा चुनाव से आउट दिख रहे हैं। सूरजभान सिंह इस समय पशुपति पारस की पार्टी रालोजपा के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं। रालोजपा एनडीए का हिस्सा है, लेकिन एनडीए में इस बार उसे एक भी सीट नहीं मिली है।

surajbhan singh

अभी तक सूरजभान के परिवार से कोई भी चुनावी मैदान में नहीं

Lok Sabha Election 2024: बिहार में कोई भी चुनाव हो कुछ बाहुबलियों का बोलबाला रहता ही है। इन्हीं बाहुबलियों की लिस्ट में दो नाम प्रमुखता से हमेशा दिखते रहे हैं। मोकामा-बाढ़ से संबंध रखने वाले सूरजभान सिंह (Surajbhan Singh) और अनंत सिंह (Anant Singh) उर्फ छोटे सरकार। दोनों एक ही क्षेत्र से आते हैं और दोनों के बीच की दुश्मनी भी मशहूर रही है। अनंत सिंह, सूरजभान को उनके घर में ही मात देते रहे हैं। लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में दोनों ही बाहुबली खामोश हैं, दोनों ही मात खाए दिख रहे हैं। चुनावी मैदान में अबतक कोई नहीं उतरा है। एक का पत्ता बीजेपी ने काट दिया तो दूसरे का जदयू ने। सबसे ज्यादा घाटा सूरजभान सिंह को होता दिख रहा है।

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बाहुबली सूरजभान सिंह चुनाव से 'OUT'

मोकामा से आने वाले सूरजभान सिंह इस बार के लोकसभा चुनाव से आउट दिख रहे हैं। सूरजभान सिंह इस समय पशुपति पारस की पार्टी रालोजपा के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं। रालोजपा एनडीए का हिस्सा है, लेकिन एनडीए में इस बार उसे एक भी सीट नहीं मिली है। पिछले चुनाव में सूरजभान सिंह के भाई चंदन सिंह को नवादा से टिकट मिला था, वो सांसद बने थे, उससे पहले सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी मुंगेर से सांसद थीं। सूरजभान खुद विधायक से लेकर सांसद तक रह चुके हैं। फिलहाल उन्हें बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड में दोषी ठहराया जा चुका है, इसलिए वो खुद चुनाव नहीं लड़ सकते। मतलब इस चुनाव में सूरजभान को कोई भी परिवार चुनावी मैदान में नहीं है, इसके बाद भी सूरजभान खामोश हैं। जबकि पहले कई ऐसे मौकों पर सूरजभान सिंह निर्दलीय मैदान में दिख चुके हैं।

कहां चूके सूरजभान

सूरजभान सिंह एक समय में लोजपा के बड़े नेता थे, रामविलास पासवान के काफी करीब थे और पार्टी के कर्ताधर्ताओं में से एक, लेकिन जब रामविलास पासवान की मौत हुई और पशुपति पारस ने पार्टी तोड़ी, भतीजे चिराग पासवान को छोड़ दिया तो सूरजभान सिंह भी पशुपति पारस के साथ रहे। कहा गया कि सूरजभान भी इस खेल के पीछे थे, पशुपति पारस केंद्र में मंत्री बने और सूरजभान की राजनीति चमकती रही। लेकिन जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आया, चिराग मजबूत होते गए। कहा जाता है कि चिराग ने बीजेपी के सामने शर्त रखी थी, या तो चाचा या तो वो। बीजेपी ने भविष्य को देखते हुए चिराग को अपने साथ मिला लिया। फिर चिराग ने ऐसा खेल खेला कि सूरजभान की पार्टी को एक भी सीट एनडीए में नहीं मिली। सूरजभान सीधे तौर पर चिराग पासवान के खिलाफ थे, इसलिए उनके परिवार को टिकट नहीं मिला, जबकि पारस गुट की ही एक सांसद वीणा देवी को चिराग ने वैशाली से टिकट दे दिया।

अनंत सिंह भी खामोश

बिहार में छोटे सरकार के नाम से जाने जाने वाले बाहुबली नेता अनंत सिंह भी इस बार के लोकसभा चुनाव से दूर हैं। कुछ दिनों पहले अनंत सिंह ने जब नीतीश कुमार के साथ-साथ पाला बदला और राजद छोड़ जदयू के साथ आ गए तो ऐसी चर्चा उठी कि अनंत सिंह अपनी पत्नी नीलम देवी को, जो अभी मोकामा से विधायक हैं, मुंगेर लोकसभा सीट से उतार सकते हैं। लेकिन जब टिकटों की घोषणा हुई तो बाजी उनके प्रतिद्वंदी ललन सिंह मार गए और नीलम देवी को टिकट नहीं मिला। अनंत सिंह खुद चुनाव नहीं लड़ सकते हैं क्योंकि उन्हें एक मामले में सजा हो चुकी है।

ललन सिंह को टक्कर दे चुकी है नीलम देवी

पिछले चुनाव में ललन सिंह के खिलाफ नीलम देवी कांग्रेस से चुनाव लड़ी थी। दोनों के बीच बड़ी अदावत देखने को मिली थी, हालांकि नीलम देवी हार गई थी। इस बार कहा जा रहा था कि अनंत सिंह, पहले ही ललन सिंह पटखनी दे देंगे और मुंगेर से एनडीए के उम्मीदवार नीलम देवी होगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। टिकट नहीं मिलने के बाद और ललन सिंह के बाजी जीतने के बाद भी अनंत सिंह खामोश हैं।

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शिशुपाल कुमार author

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