सियासी समीकरण साधने के लिए BJP ने दिल्ली में खींची 'लंबी रेखा', सभी वर्गों को भगवा पार्टी ने ऐसे साधा
Delhi New CM Rekha Gupta: दिल्ली के लिए भाजपा जिस तरह का सीएम चाह रही थी उस खांचे में रेखा गुप्ता पूरी तरह से फिट बैठी हैं। इससे राजनीति में महिलाओं की सशक्त दावेदारी के भाजपा के वादे और दावे को मजबूती मिली है। दिल्ली की 40 विधानसभा सीटों पर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने ज्यादा मतदान किया। इनमें से 72.5 फीसदी सीटों पर भाजपा ने बाजी मारी है।

दिल्ली की चौथी महिला सीएम रेखा गुप्ता।
Delhi New CM Rekha Gupta: मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरे को चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी अक्सर चौंकाती आई है। दिल्ली में सीएम चेहरा कौन होगा, इस पर भी तरह-तरह के कयास लग रहे थे। फिर भी माना जा रहा था कि भाजपा किसी नए नाम की घोषणा कर अटकलों को गलत साबित कर सकती है लेकिन इस बार उसने चौंकाया नहीं। इस बार उसने मीडिया में चलने वाले नामों में से ही सीएम पद के लिए रेखा गुप्ता का चयन किया। शालीमार बाग सीट विधायक चुनीं गईं रेखा गुप्ता की छवि साफ-सुथरी है और वह विवाद से दूर रही हैं। भाजपा ने रेखा गुप्ता को सीएम बनाकर कई राजनीतिक संदेश दिए हैं और अपने सियासी समीकरणों को साधा है।
BJP शासित राज्यों की पहली महिला CM
दिल्ली के लिए भाजपा जिस तरह का सीएम चाह रही थी उस खांचे में रेखा गुप्ता पूरी तरह से फिट बैठी हैं। इससे राजनीति में महिलाओं की सशक्त दावेदारी के भाजपा के वादे और दावे को मजबूती मिली है। दिल्ली की 40 विधानसभा सीटों पर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने ज्यादा मतदान किया। इनमें से 72.5 फीसदी सीटों पर भाजपा ने बाजी मारी है। महिलाओं के सबसे ज्यादा मतदान वाली सीटों में से 29 सीटों पर भाजपा विजयी रही। जाहिर है कि दिल्ली चुनाव में महिलाओं ने बढ़चढ़कर भाजपा को वोट दिया। पार्टी इस समर्थन को आगे भी बनाए रखना चाहती है। दरअसल, 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश में भाजपा और उसके सहयोगियों की सरकार है लेकिन कहीं भी महिला मुख्यमंत्री नहीं थी। हां, उप मुख्यमंत्री के रूप में राजस्थान में जरूर दीया कुमारी के रूप में उसके पास चेहरा है। विधायिका में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था करने वाली भाजपा ने रेखा के जरिए देश भर की महिलाओं को एक संदेश दिया है।
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दिल्ली के वैश्य समुदाय की अच्छी तादाद
रेखा वैश्व समुदाय से आती हैं और स्थानीय हैं। दिल्ली में वैश्य समुदाय की आबादी काफी ज्यादा है। यह समाज भाजपा का कट्टर समर्थक रहा है। चूंकि केजरीवाल भी इसी समुदाय से आते हैं, ऐसे में इस समाज में भाजपा की पकड़ थोड़ी कमजोर पड़ी थी लेकिन रेखा के जरिए उसने फिर से इस समाज को पूरी तरह अपने साथ जोड़ने की कोशिश की है क्योंकि दिल्ली की जीत और हार में वैश्य समाज की बहुत बड़ी भूमिका रहती है। छात्रसंघ चुनाव से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वालीं रेखा विधायक बनने से पहले भाजपा संगठन के कई पदों पर रह चुकीं हैं। उनकी बेदाग छवि भी उनके चुनाव में एक प्रमुख कारण रही है।
महिला सीएम से मिलेगा आतिशी को जवाब
दिल्ली विधानसभा में इस बार विपक्ष की मजबूत है। आम आदमी पार्टी के 22 विधायक सदन में होंगे। मुद्दों पर तकरार, गहमागहमी, आरोप-प्रत्यारोप और हंगामा भी होना तय है। इस बात की संभावना बहुत ज्यादा है कि AAP आतिशी को नेता प्रतिपक्ष बनाएगी। आतिशी मुद्दों पर सरकार को घेरेंगी और उस पर तीखा हमला बोलेंगी। ऐसे में उन्हें जवाब भी यदि एक महिला से मिलेगा तो इससे भाजपा को राजनीतिक नुकसान का खतरा बहुत कम होगा। यही नहीं रेखा का संघ परिवार से तीस साल पुराना नाता है। वह 1996-97 से ही दिल्ली छात्र संघ में काफी सक्रिय रही हैं। छात्र संघ से सियासी सफर शुरू करके निगम में सक्रिय दखल रखने वाली रेखा गुप्ता को दिल्ली की नब्ज पता है। सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी के बाद वह दिल्ली की चौथी सीएम हैं जो राजधानी की मौजूदा सियासत में फिट बैठती हैं।
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जाट, सिख, पंजाबी, दलित और पूर्वांचली सभी को साधा
इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव होना है। चूंकि, बिहार में वैश्य बिरादरी काफी ज्यादा है और भाजपा के पास अब सुशील मौदी जैसा इस समाज का कोई कद्दावर नेता अब नहीं है। ऐसे में रेखा गुप्ता यहां के लिए कारगर साबित हो सकती है। भाजपा इनके जरिए इस वर्ग को साधने का प्रयास करेगी। रेखा गुप्ता की अगुवाई वाली दिल्ली की बीजेपी सरकार में प्रवेश वर्मा, मनजिंदर सिंह सिरसा, आशीष सूद, पंकज सिंह, कपिल मिश्रा और रविंदर इंद्रराज सिंह कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल हुए हैं। इनके जरिए जाट, सिख, पंजाबी, दलित और पूर्वांचली समाज को साधा गया है। कुल मिलाकर चाहे सीएम का चेहरा हो या दिल्ली का मंत्रिमंडल भगवा पार्टी ने वोट बैंक के लिहाज से अपना मास्टरस्ट्रोक खेला है।
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