शिवराज के बाद अब एमपी में 'मोहन-राज', BJP के इस फैसले की क्या है असल वजह? जानें गुणा-गणित

Masterstoke In Madhya Pradesh: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मध्य प्रदेश में यादव मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने मास्टरस्ट्रोक चल दिया है। इसका असर उत्तर प्रदेश और बिहार की सियासत में भी देखा जा सकता है। शिवराज सिंह चौहान को कुर्सी से हटाकर भाजपा ने आखिर इतना बड़ा फैसला क्यों लिया। आपको सारा समीकरण समझाते हैं।

मोहन यादव सीएम बनाने का क्यों हुआ फैसला?

Why Mohan Yadav Become CM Of MP: मध्य प्रदेश में मोहन यादव की बतौर मुख्यमंत्री की ताजपोशी की जाएगी। भारतीय जनता पार्टी ने एक प्रमुख ओबीसी नेता को एमपी की कमान सौंपने का फैसला लिया है। जिन्हें हिंदुत्व का मुखर समर्थक माना जाता है। मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने हिंदू महाकाव्य ‘रामचरितमानस’ को 2021 में कॉलेजों में वैकल्पिक विषय बनाने की घोषणा की थी। आपको समझाते हैं कि आखिर ऐसी क्या वजह रही जो शिवराज को हटाकर उनके कंधों पर सूबे का भार सौंपने का फैसला हुआ।

एमपी में 48 प्रतिशत से अधिक ओबीसी आबादी

मोहन यादव ओबीसी समाज के नेता है, लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा का ये फैसला मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है। इस तथ्य को देखते हुए कि मध्य प्रदेश में ओबीसी की आबादी 48 प्रतिशत से अधिक है। भाजपा नेतृत्व 2003 के बाद से राज्य में शीर्ष पद के लिए ओबीसी नेताओं के साथ गया है। इससे पहले भाजपा ने लोधी समाज से आने वाली ओबीसी चेहरा उमा भारती को मुख्यमंत्री बनाया था। पार्टी ने एक और ओबीसी, बाबूलाल गौर और फिर 2004 में शिवराज सिंह चौहान पर अपना दांव लगाया। सबसे लंबे समय तक एमपी की सत्ता पर काबिज रहने के बाद शिवराज की जगह अब यादव को मुख्यमंत्री बनाने पर मंजूरी बनी।

क्या है भाजपा की रणनीति? समझिए समीकरण

बीते कुछ दिनों से देश में जातीय जनगणना की मांग उठ रही है। बिहार की नीतीश सरकार ने इस ओर कदम उठाया और राज्य में जातिगत जनगणना कराया। जिसके बाद से ही लगातार विपक्षी पार्टियों के नेता भाजपा पर देश में जातीय जनगणना कराने की मांग कर रहे थे। ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने एमपी जैसे बड़े प्रदेश में यादव चेहरे को मुख्यमंत्री बनाकर सकारात्मक संदेश देने का प्रयास किया है।

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