भारत-रूस की नदियों पर रखा गया है BrahMos Missile का नाम, इन वजहों से मानी जाती है सबसे घातक मिसाइल
ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल को ब्रह्मोस एयरोस्पेस लिमिटेड ने विकसित किया है। यह कंपनी भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओएम का संयुक्त उपक्रम है।

ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल
BrahMos missile: भारतीय नौसेना ने अपने फ्रंटलाइन गाइडेड मिसाइल विध्वंसक आईएनएस मोरमुगाओ (INS Mormugao) से रविवार को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया। इसके जरिए समुद्र में भारतीय नौसेना की मारक क्षमता का प्रदर्शन किया गया। ब्रह्मोस की सफलता की कहानी नई नहीं है। अपने निर्माण के शुरुआती दौर से ही ब्रह्मोस उम्मीदों पर खरी उतरी है और इसके जरिए भारत ने दुश्मन देशों को अपनी ताकत का संकेत भी दिया है। आज दुनिया की सबसे ताकतवर और घातक मिसाइलों में ब्रह्मोस का भी नाम शामिल है।
ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल को ब्रह्मोस एयरोस्पेस लिमिटेड ने विकसित किया है। यह कंपनी भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओएम का संयुक्त उपक्रम है। मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदियों के नाम पर रखा गया है। रूस की राजधानी मास्को मोस्क्वा नदी के किनारे स्थित है। मिसाइल को पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों या जमीन से लॉन्च किया जा सकता है। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल में दो चरणों वाला प्रोपेलेंट बूस्टर इंजन है। पहला चरण सॉलिड बूस्टर इंजन है, और दूसरा चरण लिक्विड रैमजेट इंजन है।
आइए जानते हैं इसकी खासियतें- ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा निर्मित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल दागो और भूल जाओ (Fire and Forget) के सिद्धांत पर काम करती है। जिसका अर्थ है कि यह अपने लक्ष्य को भेदने के लिए कोई अतिरिक्त गाइडेंस नहीं लेती है।
- एक ठोस प्रोपेलेंट बूस्टर इंजन से पहले चरण में हथियार को सुपरसोनिक गति से उड़ान भरने में मदद मिलती है, फिर एक तरल रैमजेट मिसाइल को दूसरे चरण में मैक 3 गति के करीब ले जाता है।
- इसके पारंपरिक वारहेड का वजन 300 किलोग्राम तक होता है।
- ब्रह्मोस में उड़ान भरने के लिए बेहद कम समय लगता है, जिससे लक्ष्य को जल्दी साधा जा सकता है।
- इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह रडार की पकड़ में न आ सके।
- इसे जमीन, समुद्र और हवा में से दागा जा सकता है और इसी वजह से यह बेहद घातक मिसाइल मानी जाती है।
- सेना ने 2007 में ब्रह्मोस को बेड़े में शामिल किया था।
- यह सुपरसोनिक गति के साथ 290 किमी तक की उड़ान भरती है, जो लक्ष्य भेदने, इसे तुरंत पहचानने और दुनिया में किसी भी हथियार प्रणाली से सुरक्षित मानी जाती है।
- ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल फायर एंड टारगेट मोड पर काम करती है और लक्ष्य के रास्ते में उड़ान के कई तरीके अपनाती हैं।
पहले मिसाइल की उड़ान सीमा 290 किमी रखी गई थी क्योंकि भारत मिसाइल टेक कंट्रोल रिजीम (MTCH) का हिस्सा नहीं था। 2016 में देश इसमें शामिल हो गया और बाद में इसकी उड़ान सीमा को 300 किमी से अधिक करने की अनुमति मिल गई। आज ब्रह्मोस की ताकत का लोहा पूरी दुनिया मानती है। इसकी खासियतों की वजह से दुश्मन देश भी इसे लेकर सतर्क रहते हैं।
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