कनाडा को 51वां अमेरिकी राज्य, ग्रीनलैंड को खरीदना क्यों चाहते हैं टंप? ऐसे समझें
Donald Trump's Canada and Greenland Card: मेक्सिको के बाद कनाडा अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा कारोबारी देश है। कारोबार के अलावा दोनों देशों के बीच बहुत सारी समानताएं हैं जो एक दूसरे को करीब और संबंधों को मजबूत बनाती हैं। कनाडा को लेकर ट्रंप को सबसे बड़ी दिक्कत टैरिफ और वहां से होने वाली घुसपैठ से है।
20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे डोनाल्ड ट्रंप।
Donald Trump's Canada and Greenland Card:दुनिया भर की मीडिया में इन दिनों ग्रीनलैंड, कनाडा, पनामा नहर मार्ग की खूब चर्चा हो रही है। यह चर्चा ऐसे समय हो रही है जब डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की कमान संभाल लेंगे। खास बात यह है कि ग्रीनलैंड, कनाडा, पनामा को सुर्खियों में लाने वाले भी वही हैं। उन्होंने ग्रीनलैंड को खरीदने, कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने और पनामा नहर को दोबारा अमेरिका के नियंत्रण में लेने की बात कही है। वह लगातार अपनी बात दोहरा रहे हैं। इससे जाहिर होता है कि राष्ट्रपति बनते ही वह इन तीनों मद्दों पर बड़ा फैसला कर सकते हैं। एक तरह से ग्रीनलैंड, कनाडा और पनामा नहर पर ट्रंप ने अपना एजेंडा साफ कर दिया है।
अपने बयान से ट्रंप ने पैदा की दुनिया भर में हलचल
ट्रंप के इरादे सामने आते ही कनाडा, ग्रीनलैंड से लेकर पनामा तक हड़कंप मच गया। ट्रंप की इस योजना का विरोध होना शुरू हो गया है। अमेरिका का 51वां राज्य बनना कनाडा को मंजूर नहीं है। पनामा नहर पर ट्रंप के बयान पर पनामा राष्ट्रपति ने नाराजगी जता दी है जबकि ग्रीनलैंड पर जर्मनी, फ्रांस जैसे यूरोपीय संघ के ताकतवर देश ट्रंप की इस योजना का विरोध करने लगे हैं। ट्रंप ने अपने बयानों से जियोपॉलिटिक्स में एक बड़ी हलचल पैदा कर दी है। एक्सपर्ट मानते हैं कि ट्रंप ने बहुत सोच समझकर बयान दिया है। कई बार वह दिखते भले ही अनाड़ी हैं लेकिन वह बहुत ही स्मार्ट और चतुर व्यक्ति हैं। जानकार यह भी कहते हैं कि अपने दूसरे कार्यकाल में ट्रंप घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मोर्चों पर कई चौंकाने वाले और बड़े फैसले कर सकते हैं। उन्हें अच्छी तरह से पता है कि यह उनका दूसरा और अंतिम कार्यकाल है। वह तीसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं बन सकते। इसलिए जो कुछ भी करना है उन्हें अपने इसी कार्यकाल में करना है।
टैरिफ और घुसपैठ दोनों से छुटकारा चाहते हैं ट्रंप
तो पहले बात कनाडा की। कनाडा अमेरिका का पड़ोसी राज्य है। मेक्सिको के बाद कनाडा अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा कारोबारी देश है। कारोबार के अलावा दोनों देशों के बीच बहुत सारी समानताएं हैं जो एक दूसरे को करीब और संबंधों को मजबूत बनाती हैं। कनाडा को लेकर ट्रंप को सबसे बड़ी दिक्कत टैरिफ और वहां से होने वाली घुसपैठ से है। ट्रंप को लगता है कि कनाडा से आने वाली वस्तुओं पर टैरिफ बहुत कम है। वस्तुओं पर कम टैरिफ का फायदा कनाडा को नुकसान अमेरिका को होता है। वह इन वस्तुओं पर 25 फीसद टैरिफ बढ़ाना चाहता हैं।
200 अरब डॉलर खर्च करने की क्या जरूरत है?
सीएनबीसी टीवी 18 के मुताबिक कनाडा के बारे ट्रंप ने कहा कि वह कनाडा के लोगों से प्यार करते हैं। कनाडा के लोग महान हैं लेकिन इस देश की सुरक्षा पर अमेरिका हर साल सैकड़ों अरब डॉलर खर्च करता है। कारोबार में हमारा बहुत घाटा हो रहा है। हमें उनकी कार की जरूरत नहीं है। वे हमारी 20 फीसदी कारें बनाते हैं। हमें इसकी जरूरत नहीं है। मैं इन कारों को डेट्रायट में बनाना पसंद करूंगा। जो उनके पास है, हमें उसकी जरूरत नहीं है। हमें उनका दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स नहीं चाहिए। हमारे पास उनसे ज्यादा डेयरी प्रोडक्ट्स हैं। हमें किसी चीज की जरूरत नहीं। तो हमें जब उनकी किसी चीज की जरूरत नहीं है तो कनाडा को सुरक्षित रखने के लिए हमें हर साल 200 अरब डॉलर खर्च करने की क्या जरूरत है? जाहिर है कि ट्रंप कनाडा से चीजें लेने और उसकी सुरक्षा पर खर्च करने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने तो ट्रूडो से कनाडा का गवर्नर बनने के लिए कह दिया। यह अलग बात है कि कनाडा के लोग और ट्रूडो अमेरिका में शामिल होने के लिए तैयार नहीं है। खैर ट्रूडो ने तो पीएम पद से इस्तीफा भी दे दिया है।
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बेहाल है कनाडा की अर्थव्यवस्था
ट्रंप को दूसरी समस्या कनाडा की ओर से होने वाली घुसपैठ से है। ट्रंप को लगता है कि अमेरिका में घुसपैठ केवल मेक्सिको बॉर्डर से नहीं बल्कि उसके नॉर्दन बॉर्डर यानी कनाडा से भी हो रही है। इस पर रोक लगाने की जरूरत है। दरअसल, कनाडा राजनीतिक शरण मांगने वाले दुनिया भर के लोगों को अपने यहां आने देता है, इसमें बहुत बड़ी संख्या खालिस्तानियों की भी है। दुनिया भर के लोग पहले कनाडा आते हैं और फिर धीरे-धीरे कुछ वैध और कुछ अवैध तरीके अमेरिका में दाखिल होना शुरू हो जाते हैं। दरअसल, ट्रूडो ने कनाडा में इतने बाहरी लोग भर लिए कि ये आबादी अब खुद मूल कनाडाई लोगों के लिए मुसीबत बन गई है। रिपोर्टों की मानें तो कनाडा में रहने के लिए घर मिलना मुश्किल हो गया है। आए दिन खाने-पीने की वस्तुओं कमी हो जा रही है। यहां तक कि मुफ्त में कुछ पाने के लिए लोगों को फूड स्टोर के बाहर खड़े देखा गया है। यह सब ट्रूडे के कार्यकाल में हुआ है। एक तरह से ट्रूडो ने कनाडा की अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार और देश का बेड़ा गर्क कर दिया है। ये सारे हालात ट्रंप और उनकी टीम के सामने से गुजरे हैं। ट्रंप को लगता है कि कनाडा से अपराधी अमेरिका में आ सकते हैं। इनकी संख्या यदि बढ़ गई तो अमेरिका में नई समस्या खड़ी हो सकती है, मेक्सिको घुसपैठ का मसला तो पहले से मौजूद है।
कनाडा के शामिल होने से अमेरिका का बढ़ जाएगा भूभाग
ट्रप अनाड़ी नहीं खिलाड़ी आदमी हैं। वह कारोबारी हैं। चीजों को वह फायदे और नुकसान की नजर से देखते हैं। जो चीज अमेरिका के फायदे में है, उसे वह लपक लेंगे। या दूसरे को अपनी बात मानने के लिए बाध्य करेंगे। अपने बयानों से कनाडा पर वह लगातार दबाव बना रहे हैं। मान लीजिए कनाडा यदि अमेरिका का 51वां राज्य बन जाता है तो अमेरिका को क्या-क्या फायदे हो सकते हैं। पहला तो यह कि उसकी उत्तरी सीमा घुसपैठ से सुरक्षित हो जाएगी। कनाडा के रूप में उसे एक बड़ा भू-भाग मिल जाएगा। कनाडा में प्राकृतिक संसाधनों एवं खनिज की बहुलता भी है। अमेरिका को अपने महात्वाकांक्षी योजनाओं के विस्तार में कनाडा की बड़ी भूमिका हो सकती है। ग्रीनलैंड के वह बहुत करीब आ जाएगा। कनाडा के साथ-साथ ग्रीनलैंड भी यदि अमेरिका को मिल जाता है तो तेल और गैस के मोर्चे पर अमेरिका के पास अकूद संपदा आ जाएगी। ट्रंप ऐसे ही नहीं ग्रीनलैंड को खरीदने की बात कर रहे हैं।
दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है ग्रीनलैंड
ऐसी कई रिपोर्टें आई हैं जिनमें ग्रीनलैंड में तेल, गैस और अन्य बहुमूल्य खनिजों के होने की प्रबल संभावना जताई गई है। ट्रंप पवन ऊर्जा, क्लाईमेट चेंज जैसी चीजों पर खर्च को अनर्गल बता चुके हैं। वह तेल और गैस के लिए 'ड्रिल ड्रिल ड्रिल' पर जोर दे रहे हैं। उनका इरादा और योजना ग्रीनलैंड में ड्रिल कराकर तेल और गैस का भंडार करना और फिर उसे दुनिया भर को बेचना है। दरअसल, एक्सपर्ट्स का कहना है कि आर्किटक और ग्रीनलैंड में बर्फ जिस तरह से पिघल रही है, उससे दुर्लभ खनिज तत्वों का दोहन करना बहुत आसान हो जाएगा। ग्रीनलैंड विश्व का सबसे बड़ा द्वीप है। इसकी आबादी बहुत ज्यादा नहीं है। 21 लाख स्क्वेयर किलोमीटर के क्षेत्रफल वाले इस आइलैंड पर करीब 56 हजार लोग रहते हैं। अभी यह डेनमार्क का एक ऑटोनामस इलाका है जिसके 80 प्रतिशत हिस्से पर स्थाई रूप से करीब 4 किलोमीटर मोटी बर्फ जमी रहती है। हालांकि, ट्रंप ऐसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं हैं जिन्होंने ग्रीनलैंड को खरीदने का सुझाव दिया है। 1860 के दशक में अमेरिका के 17वें राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन ने भी इसी तरह का विचार रखा था।
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पनामा नहर पर नियंत्रण जरूरी मानते हैं ट्रंप
अब बात पनामा नहर की। ट्रंप का मानना है कि पनामा नहर के इस्तेमाल के लिए पनामा उससे बहुत अधिक दाम वसूल रहा है इसलिए उसे वापस लेना बेहद जरूरी है। ट्रंप पनामा नहर पर चीनी सैनिकों का नियंत्रण होने का भी आरोप लगा चुके हैं। हालांकि पनामा के राष्ट्रपति जोसे राउल मुलिनो ट्रंप के इन आरोपों को 'बेतुका' बताकर खारिज कर चुके हैं। अटलांटिक और प्रशांत महासागर को जोड़ने वाली इस नहर के प्रवेश द्वार पर दो बंदरगाहों का प्रबंधन हॉन्गकॉन्ग स्थित सीके हचिसन होल्डिंग्स देखती है। खास बात है कि 1900 के दशक के शुरुआत में बनी इस नहर का नियंत्रण 1977 तक अमेरिका के ही पास था लेकिन राष्ट्रपति जिमी कार्टर की मध्यस्थता में ज़मीन को वापस पनामा को सौंप दिया गया था। साल 1999 से इसका नियंत्रण पूरी तरह से पनामा के पास चला गया। ट्रंप का कहना है कि पनामा नहर को पनामा को सौंपना एक बड़ी गलती थी। कार्टर अच्छे आदमी थे लेकिन उन्होंने एक बड़ी गलती की।
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