हेमंत सोरेन ने चंपई सोरेन पर ही क्यों खेला दांव, ये फैसला कैसे साबित हो सकता है मास्टरस्ट्रोक?
हेमंत ने चंपई सोरेन के नाम पर ही दांव क्यों खेला? अपने उत्तराधिकारी के रूप में चंपई सोरेन को चुनने के पीछे हेमंत सोरेन की आखिर रणनीति क्या है?
चंपई सोरेन
जेएमएम के संस्थापक सदस्य रहे चंपई सोरेन
चंपई सोरेन, हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। लेकिन हेमंत सोरेन के उन पर भरोसे के पीछे यही एकमात्र कारण नहीं है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता चंपई सोरेन, हेमंत सोरेन के वफादार हैं और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के पिता के करीबी माने जाते हैं। साथ ही झारखंड के नए मुख्यमंत्री चंपई कोल्हान क्षेत्र से हैं, जो बीजेपी का गढ़ माना जाता है। झारखंड को अब तक कोल्हान से तीन मुख्यमंत्री मिले हैं - दो भाजपा से थे, जिनमें अर्जुन मुंडा (2010 से 2013 तक) और रघुबर दास (2014 से 2019 तक) शामिल थे।
मधु कोड़ भी गए थे जेल
झारखंड के दूसरे मुख्यमंत्री मधु कोड़ा कांग्रेस से थे और 2006 से 2008 तक इस पद पर रहे। मधु कोड़ा, हेमंत सोरेन के साथ झारखंड के तीन मुख्यमंत्रियों में से हैं, जिन्हें घोटालों में गिरफ्तार किया गया। कोड़ा भी खनन घोटाले में शामिल थे और उन पर अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान कोयला और खनन ब्लॉक आवंटित करने के लिए रिश्वत लेने का आरोप था। उनके खिलाफ सीबीआई और ईडी ने जांच की थी।
कोल्हान में बीजेपी कमजोर
2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कोल्हान में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया था। 13 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा। सबसे बड़ा झटका जमशेदपुर (पूर्व) सीट पर लगा जहां सरयू राय ने भाजपा के रघुबर दास को भारी अंतर से हरा दिया। सरयू राय ने पिछला विधानसभा चुनाव टिकट नहीं मिलने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ा था। तब उन्होंने दावा किया था कि रघुबर दास नहीं चाहते थे कि वह चुनाव लड़ें।
कोल्हान के टाइगर हैं चंपई
मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान हेमंत सोरेन को ज्यादा लोकप्रियता नहीं मिली है। चंपई सोरेन को अपना उत्तराधिकारी चुनना बीजेपी को कमजोर कर सकता है और इसे ही हेमंत का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है। झारखंड के नए मुख्यमंत्री के रूप में 'कोल्हान के टाइगर' कहे जाने वाले चंपई सोरेन इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी को नुकसान पहुंचने का कारण बन सकते हैं। कोल्हान का पुराना अनुभव बताता है कि यहां बीजेपी की किस कदर चुनौती का सामना करना पड़ता है।
हेमंत को सुप्रीम कोर्ट से झटका
वहीं, भूमि घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से झटका लग चुका है। शीर्ष अदालत ने उन्हें हाई कोर्ट जाने का निर्देश दिआ है। इस बीच, प्रवर्तन निदेशालय आज हेमंत सोरेन को रांची में पीएमएलए कोर्ट में पेश करेगा। जांच एजेंसी पूछताछ के दौरान सहयोग नहीं करने और गोल-मोल जवाब देने की वजह से हेमंत के लिए 7 से 8 दिनों की हिरासत की मांग करेगी।
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